बिलासपुर। कवर्धा में हुए सड़क हादसे में 19 लोगों की मौत पर हाईकोर्ट ने स्वत: संज्ञान लिया है। चीफ जस्टिस की डिवीजन बेंच ने प्रकरण की सुनवाई करते हुए राज्य शासन, राष्ट्रीय राजमार्ग सड़क परिवहन (NHAI) और कलेक्टर सहित सभी पक्षकारों से शपथ पत्र में जवाब मांगा है। मामले की अगली सुनवाई 26 जून को होगी।
कवर्धा जिले के पंडरिया विकासखंड में कुकदूर थाना क्षेत्र के ग्राम पंचायत खाम्ही के आश्रित गांव सेमरहा से 35 से 40 महिला पुरुष तेंदूपत्ता तोड़ने के लिए 20 मई सोमवार की सुबह रुख्मीदादर के जंगल गए थे। तेंदूपत्ता तोड़ने के बाद सभी दोपहर को पिकअप क्रमांक सीजी 09 जेडी 5670 से अपने गांव सेमरहा लौट रहे थे। गांव से करीबन बीस किलोमीटर पहले नेउर– बाहपानी मार्ग पर बंजारी घाट में घुमावदार मोड़ पर ब्रेक फेल होने से पिकअप अनियंत्रित होकर खाई में जा गिरी। इस घटना में 15 महिलाओं, तीन नाबालिक लड़कियों और एक पुरुष की मौत गई। जबकि दस लोग घायल है। सभी मृतक आदिवासी बैगा समुदाय से ताल्लुकात रखते थे। इस संरक्षित समुदाय को राष्ट्रपति ने गोद लिया है। मृतकों के परिजनों के लिए 5 लाख व घायलों के लिए 50 हजार मुआवजे की घोषणा राज्य सरकार ने की।
इस हादसे की मीडिया में प्रकाशित खबरों को हाईकोर्ट ने संज्ञान लेते हुए जनहित याचिका मान आज हाईकोर्ट ने प्रारंभिक सुनवाई की है। हाईकोर्ट में चीफ जस्टिस की डिवीजन बेंच ने इसके लिए राज्य सरकार के लोक निर्माण विभाग के प्रमुख सचिव, परिवहन आयुक्त, स्टेट हाईवे और नेशनल हाइवे, कवर्धा कलेक्टर सहित 12 लोगों को पक्षकार बनाते हुए उनसे जानकारी मांगी है।
आज सुनवाई के दौरान चीफ जस्टिस की डिवीजन बेंच ने कहा कि जिस तरह से पिकअप में इतने लोगों को बैठाया गया था और वह पलट गई यह गंभीर घटना है। इस तरह के हादसे रोकने के लिए राज्य सरकार, परिवहन विभाग, नेशनल हाईवे, व कलेक्टर समेत अन्य पक्षकार क्या उपाय कर सकते हैं? इस पर अपना शपथ पत्र दें। साथ ही यह भी बताएं कि देश में लगातार बढ़ रहे सड़क हादसे रोकने के लिए सुप्रीम कोर्ट के द्वारा जारी गाइडलाइन के तहत राज्य सरकार ने क्या-क्या कार्यवाही की है, इसकी भी रिपोर्ट प्रस्तुत करें। मामले की अगली सुनवाई 26 जून को होगी।



