छत्तीसगढ़

रिजर्व फॉरेस्ट में बांस कटाई मामला: रेंजर-डिप्टी रेंजर को क्लीन चिट.. बीट गार्ड पर अफसरों से अभद्रता का ठीकरा..

कोरबा

रिजर्व फॉरेस्ट में बांस कटाई के मामले की जांच रिपोर्ट आ गई है। वही हुआ, जिसकी आशंका पहले से थी। अवैध कटाई के अभियुक्त बनाए गए रेंजर-डिप्टी रेंजर को क्लीन चिट दे दी गई है, जबकि उनके खिलाफ कार्रवाई करने वाले बीट गार्ड की कार्रवाई को ही गलत करार दे दिया गया। प्रदेश के प्रधान मुख्य वन संरक्षक का कहना है कि रेंजर-डिप्टी रेंजर उच्च अधिकारियों के निर्देश पर ट्री गार्ड के लिए सूखे व गिरे-पड़े बांस संग्रहण कर रहे थे। इस दौरान त्रुटिवश कुछ हरे बांस कट गए। यदि बीट गार्ड को किसी प्रकार की परेशानी थी, तो उसे अपने डीएफओ को बताना था। इसकी जगह उसने अपने वरिष्ठ अफसरों से अभद्र व्यवहार किया। तीनों पक्षों को शो-कॉज नोटिस जारी कर जवाब प्रस्तुत करने कहा जाएगा।

इस मामले से जुड़े ये वीडियो देखिए

वनमंडल कटघोरा के बांकीमोंगरा अंतर्गत हल्दीबाड़ी के बीट गार्ड शेखर सिंह रात्रे ने अपनी बीट में श्रमिक बुलाकर बांस कटाई करा रहे रेंजर मृत्युंजय शर्मा व डिप्टी रेंजर अजय कौशिक के खिलाफ कार्रवाई करते हुए अवैध कटाई का अभियुक्त बनाया था। मौके पर रेंजर-डिप्टी रेंजर को कड़ी फटकार लगाते बीट गार्ड शेखर का वीडियो भी खूब वायरल हुआ।जिसके बाद पीसीसीएफ राकेश चतुर्वेदी के निर्देश पर कटघोरा डीएफओ शमा फारूकी ने पाली एसडीओ वाईपी डड़सेना को जांच का जिम्मा दिया था। यह विभागीय जांच पूरी हो गई। पीसीसीएफ को भेजे गए जांच प्रतिवेदन में लिखा गया है कि यह मामला अवैध कटाई नहीं है। हल्दीबाड़ी के उस रिजर्व फॉरेस्ट में ऊपर से मिले निर्देश के तहत ट्री गार्ड बनाने के लिए पुराने प्लांटेशन की सफाई कराई जा रही थी। लिहाजा, अवैध कटाई का मामला नहीं बनता। अब सभी को शो-कॉज नोटिस जारी किया जाएगा।

पीसीसीएफ राकेश चतुर्वेदी का कहना है कि रेंजर मृत्युंजय शर्मा व डिप्टी रेंजर अजय कौशिक की कोई गलती नहीं है, वे अपना काम कर रहे थे। बीट गार्ड का इस तरह अपने वरिष्ठ अफसरों के साथ अभद्र व्यवहार करना सही नहीं, इसलिए शेखर सिंह रात्रे को नोटिस जारी कर जवाब मांगा जाएगा। जवाब के आधार पर आगे की कार्रवाई की जाएगी।

न मौके पर गए न पंचों से लिया बयान

बीट गार्ड शेखर सिंह रात्रे ने कहा कि रेंजर-डिप्टी रेंजर को बचाने जांच में लीपापोती की गई। जांच अधिकारी डड़सेना मौके पर गए ही नहीं। उन्होंने मौके पर रहे पंचों व गवाहों का बयान भी नहीं लिया। यह सब गुप-चुप राशि गबन करने की योजना थी, जो मेरी कार्रवाई से सामने आ गई। दस फीसद कमीशन में काम के लिए स्व-सहायता समूह के नाम से फर्जी बिल वाउचर बन चुका है। कुल 47 लाख के काम के लिए छत्तीसगढ़ में केवल मरवाही डिवीजन से ही ट्री गार्ड खरीदने हैैं। कटघोरा डिवीजन में दस हजार 661 रुपये का काम है। मेरी बीट में भी में तीन हजार एक जगह व 1,600 ट्री गार्ड एक जगह लगना है। खैरागढ़, रायगढ़ व कसनिया डिपो से लाकर ट्री गार्ड बनवाने थे, न कि आरएफ-790 से बांस चोरी करके।

शेखर की कार्रवाई से पहले रेंजर ने रोकी थी कटाई

कटघोरा डीएफओ शमा फारूकी का कहना है कि हर बिंदु पर जांच कर प्रतिवेदन दिया गया। यदि जांच अधिकारी घटना स्थल पर नहीं गए या गवाहों के बयान नहीं लिए तो बीट गार्ड को चाहिए कि इसकी जानकारी तत्काल मुझे देते। जांचकर्ता ने जब बयान लिए तो वहां सभी पक्ष मौजूद थे। रेंजर-डिप्टी रेंजर के साथ बीट गार्ड का भी पक्ष सुना गया। तब जांच में जो भी कमी लगी, जांच अधिकारी को उसी वक्त बता देना चाहिए था। रेंजर ट्री गार्ड के लिए गिरे-पड़े व सूखे बांस संग्रहित करने ही गया था, जब पता चला कि त्रुटिवश कुछ हरे व पकिया बांस भी कटे हैं, तब उन्होंने तत्काल काम रुकवाया। जिस दिन बीट गार्ड शेखर ने कार्रवाई की, उस दिन तो कोई कटाई भी नहीं हो रही थी। कटाई का काम पहले ही रोका जा चुका था। रेंजर का चोरी या कटाई जैसा कोई इरादा नहीं था। इस दृष्टिकोण से प्रथम दृष्टया यही लग रहा कि रेंजर या डिप्टी रेंजर से कोई गलती नहीं हुई।

Back to top button