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ब्रेकिंग:24 घंटे में तीन व्यापारियों ने लगाया मौत को गले…कोरोना महामारी, लॉकडाउन ने व्यापारी वर्ग की नींद उड़ाई..

अहमदाबाद
पिछले तीन महीने से अधिक समय से कोरोना महामारी और लॉकडाउन ने गुजरात में व्यापारी वर्ग की नींद उड़ा दी है। बिजनस ठप होने और कर्ज न चुका पाने की स्थिति में पिछले 24 घंटों में यहां तीन व्यापारियों ने मौत को गले लगा लिया। इनमें से एक अहमदाबाद और दो राजकोट के हैं।

जब साकेत टिबरेवाल को उनके पिता का फोन आया तो उन्हें नहीं पता था कि वह उनसे आखिरी बार बात कर रहे हैं। 38 साल के प्लाइवुड बिजनसमैन सीजी रोड स्थित अपने ऑफिस में विडियो कॉन्फ्रेंसिंग अटेंड कर रहे थे। उन्होंने अपने पिता से कहा कि वह आधे घंटे में घर पहुंच रहे हैं। साकेत ने बिल्कुल ऐसा ही किया लेकिन जैसे ही वे अपने घर की ओर बढ़े, जोर-जोर की आवाज आ रही थी।

मनी लेंडर के दबाव में ली अपनी जान
एक पल के लिए साकेत कुछ समझ नहीं पाए। जब सामने अपने पिता का शव देखा तो होश उड़ गए। प्रह्लादनगर स्थित सफल परिवेश सोसायटी में 12 मंजिला इमारत की छत से कूदकर उन्होंने जान दे दी। अपने सुइसाइड नोट में केमिकल बिजनसमैन सुशील टिबरेवाल ने लिखा कि एक मनी लेंडर के दबाव ने उन्हें ऐसा कदम उठाने को मजबूर किया।

लगातार आ रहे थे धमकी भरे कॉल
सुशील ने नोट में दावा किया कि उन्हें लगातार धमकी भरे कॉल आ रहे थे। वहीं लॉकडाउन और इसके प्रभाव के चलते व्यापारी कर्ज का पैसा नहीं जुटा पाए थे। ऐसे में बार-बार धमकी मिलने पर 68 साल के व्यापारी ने अपनी जान दे दी।

साकेत ने बताया, ‘मेरे पिता ने कैबिनेट में एक नोट छोड़ा था। साकेत ने कहा कि मेरे पिता ने 5 फीसदी ब्याज के साथ ओम प्रकाश पंजाबी से 20 लाख रुपये का कर्ज लिया था। मेरे पिता ने लिखा कि वह एक करोड़ से भी ज्यादा पैसे चुका थे लेकिन फिर भी पंजाबी उन्हें धमकी दे रहा था।’ आनंदनगर पुलिस ने ऐक्सिडेंटल डेथ का मामला दर्ज किया है।

राजकोट में दो व्यापारियों ने की आत्महत्या
इसके अलावा राजकोट में दो अलग-अलग घटनाओं में दो व्यापारियों ने खुदकुशी कर ली। एक छोटी फैक्ट्री के मालिक जयंतीभाई भलानी और ट्रांसपोर्ट बिजनस करने वाले धर्मेंद्र सिंह कर्ज न चुका पाने के चलते अपनी जान ले ली। धर्मेंद्र सिंह ने अपने ऑफिस में सोमवार को देर शाम को फांसी लगाकर आत्महत्या कर ली।

‘लोन के इंस्टॉलमेंट भरने के पैसे नहीं थे’
उनके भाई दशरथ ने बताया, ‘मेरे भाई महाराष्ट्र में सामान ट्रांसपोर्ट करते थे लेकिन वहां कोई खरीदार नहीं बचा था। धर्मेंद्र लोन के इंस्टॉलमेंट चुकाने के चक्कर में काफी परेशान थे। साथ ही डीजल के दाम भी बढ़ रहे थे।’ वहीं 51 साल के जयंतीभाई ने गांव में एक कुएं में कूदकर जान दे दी। अपने सुइसाइड नोट में उन्होंने लिखा कि उनकी जमा-पूंजी खत्म हो चुकी थी और लोन चुकाने के लिए पैसे नहीं बचे थे इसलिए वे अपनी जान ले रहे हैं।

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