रायुपर। मरीज सीने में दर्द के कारण सिम्स इलाज के लिए पहुंचा, मरीज को तुरंत ट्राइएज में मेडिसिन विभाग के डॉक्टर द्वारा देखा गया। जब मरीज बेहोश हुआ तो ईसीजी किया जा रहा था। चिकित्सकों द्वारा आपातकालीन उपचार का पालन किया गया और रोगी को उन्नत कार्डियोपल्मोनरी पुनर्जीवन (सीपीआर) दिया गया, लेकिन डॉक्टरों के तमाम पुनर्जीवन उपायों और प्रयासों से मरीज मोहम्मद शमशाद हुसैनको पुनर्जीवित नहीं किया जा सका।
बिलासपुर तालापारा निवासी मरीज मोहम्मद शमशाद हुसैन, दिनांक 13 सितम्बर 2024 को सुबह सिम्स पहुंचा मरीज को मेडिसिन ओपीडी में पंजीकृत किया गया है और सीने में दर्द के लिए ओपीडी में डॉक्टर द्वारा मूल्यांकन किया गया है और ईसीजी की सलाह दी गई है। मरीज अपने रिश्तेदार के साथ सुबह आवश्यक जांच के लिए औपचारिकताएं पूरी करने के लिए एमआरडी वापस गया। मरीज की तबीयत ठीक नहीं थी और वह काउंटर के पास बैठ गया जब उसके बेटे ने औपचारिकताएं जारी रखीं। मरीज पर सिम्स बिलासपुर के कर्मचारियों की नजर पड़ी, जिन्होंने आपातकालीन स्थिति की संभावना को समझा और तुरंत सिम्स के कर्मचारियों और मरीज के रिश्तेदार की मदद से मरीज को व्हीलचेयर में एमआरडी के पास ट्राइएज में स्थानांतरित कर दिया। मरीज को तुरंत ट्राइएज में मेडिसिन विभाग के डॉक्टर द्वारा देखा गया। जब मरीज बेहोश हुआ तो ईसीजी किया जा रहा था।
मरीज मोहम्मद शमशाद हुसैन की जान चिकित्सकों द्वारा कोशिश करने के बाद नहीं बचा पाने के पश्चात एमएलसी की सूचना पुलिस को दी गई थी। एमएलसी की आवश्यकता के अनुसार शव को पोस्टमार्टम के लिए शवगृह में स्थानांतरित कर दिया गया था। पोस्टमार्टम आवेदन प्रस्तुत करने के बाद कानूनी औपचारिकताएं पूरी करने के बाद पुलिस द्वारा शव को पोस्टमार्टम के लिए सौंप दिया गया। पोस्टमार्टम कर शव परिवार को सौंप दिया गया।