बिलासपुर। जस्टिस संजय के अग्रवाल छत्तीसगढ़ राज्य विधिक सेवा प्राधिकरण (CSLSA) के कार्यपालक अध्यक्ष होंगे। छत्तीसगढ़ उच्च न्यायालय के वरिष्ठ न्यायाधीश को राज्य सरकार ने ये जिम्मेदारी दी है। जस्टिस संजय के अग्रवाल ने छत्तीसगढ़ हाईकोर्ट में अपने न्यायिक करियर के दौरान कई महत्वपूर्ण और प्रभावशाली फैसले सुनाए हैं।
वे अपने सख्त निर्णयों के लिए भी पहचाने जाते हैं। उनके नेतृत्व और न्यायिक अनुभव से छत्तीसगढ़ राज्य विधिक सेवा प्राधिकरण को नई दिशा और ताकत मिलेगी, जो राज्य में विधिक सहायता की सेवाओं का विस्तार और सुदृढ़ीकरण करेगा।
जस्टिस संजय के अग्रवाल छत्तीसगढ़ के बिलासपुर के रहने वाले हैं। 15 जुलाई 1965 को रतनपुर (बिलासपुर) में उनका जन्म हुआ। उनके पिता का नाम वीरेंद्र अग्रवाल और मां का नाम चमेली अग्रवाल था। स्कूली शिक्षा रतनपुर में हुई। गुरु घासीदास विश्वविद्यालय, बिलासपुर से बैचलर ऑफ साइंस और बैचलर ऑफ लॉ और लॉ में मास्टर्स की डिग्री उन्होंने रविशंकर शुक्ल विश्वविद्यालय से ली। 3 जनवरी, 1989 को एक वकील के रूप में नामांकित हुए। बिलासपुर में जिला और सत्र न्यायालय, जबलपुर में मध्य प्रदेश के उच्च न्यायालय और बिलासपुर में छत्तीसगढ़ के उच्च न्यायालय में प्रैक्टिस किया।
छत्तीसगढ़ उच्च न्यायालय से समबद्ध रहते हुए उन्होंने छत्तीसगढ़ लोक सेवा आयोग, इंदिरा गांधी कृषि विश्वविद्यालय रायपुर के वाईस चांसलर, भारतीय क्रिकेट कंट्रोल बोर्ड (बीसीसीआई), बार काउंसिल ऑफ इंडिया, भारत पेट्रोलियम कॉर्पोरेशन लिमिटेड, इंडियन ऑयल कॉर्पोरेशन लिमिटेड, स्टील अथॉरिटी ऑफ इंडिया लिमिटेड, भारतीय स्टेट बैंक, केनरा बैंक, देना बैंक, नगर निगम, रायपुर और बिलासपुर, छत्तीसगढ़ सरकार के कई अन्य निगम, बोर्ड और प्राधिकरण और भारत और छत्तीसगढ़ के प्रसिद्ध कॉर्पोरेट समूह के वकील रहे।
हिदायतुल्ला नेशनल लॉ यूनिवर्सिटी, रायपुर (छत्तीसगढ़) के कार्यकारी परिषद के पदेन सदस्य के रूप में, भारतीय कानून रिपोर्ट समिति (छत्तीसगढ़ श्रृंखला) के सदस्य के रूप में और छत्तीसगढ़ लॉ जजमेंट (छत्तीसगढ़) के संपादकीय बोर्ड के सदस्य के रूप में जुड़े थे। वो छत्तीसगढ़ सी.पी.सी. के तहत मध्यस्थ रहे थे। वैकल्पिक विवाद समाधान और मध्यस्थता नियम, 2006। 1 मार्च, 2002 से 29 फरवरी, 2004 तक छत्तीसगढ़ राज्य के लिए उप महाधिवक्ता के रूप में कार्य किया और उसके बाद 25 जून, 2012 से पदोन्नति तक छत्तीसगढ़ राज्य के लिए महाधिवक्ता के रूप में कार्य किया।16 सितंबर 2013 को छत्तीसगढ़ उच्च न्यायालय के अतिरिक्त न्यायाधीश के रूप में पदोन्नत हुए। 08 मार्च 2016 को स्थायी न्यायाधीश के रूप में शपथ ली।