रायपुर
इस बार रक्षाबंधन का त्यौहार 22 अगस्त दिन रविवार को मनाया जाएगा । भाई बहन के प्यार का प्रतीक रक्षाबंधन हर साल सावन मास की पूर्णिमा तिथि को मनाया जाता है। रक्षाबंधन पर इस बार राखी बांधने के लिए 12 घंटे 13 मिनट की अवधि रहेगी। ज्योतिषियों का कहना है कि रक्षाबंधन पर इस बार सुबह 5:50 से लेकर 6:03 तक किसी भी वक्त राखी बांधी जा सकेगी । वहीं भद्राकाल 23 अगस्त सुबह 5:34 से 6:12 तक रहेगा।
रक्षाबंधन का त्यौहार 22 अगस्त दिन रविवार को मनाया जाएगा। भाई बहन के प्यार का प्रतीक रक्षाबंधन हर साल सावन मास की पूर्णिमा तिथि को मनाया जाता है। इस दिन बहनें अपने भाइयों की कलाइयों पर राखी मानती हैं। और उनकी लंबी उम्र की कामना करती हैं। इस दिन भाई अपनी बहनों को उपहार देकर उनकी रक्षा का वचन देते हैं।
राखी बांधने का शुभ मुहूर्त
रक्षाबंधन पर इस बार राखी बांधने के लिए 12 घंटे 13 मिनट की शुभ अवधि रहेगी। ज्योतिषियों का कहना है कि रक्षाबंधन पर इस बार सुबह 5:50 से लेकर 6:03 तक किसी भी वक्त राखी बांधी जा सकेगी। वहीं भद्रा काल 23 अगस्त को सुबह 5:34 से 6:12 तक रहेगा।
रक्षाबंधन पर ग्रहण नक्षत्रों की स्थिति
इस बार रक्षाबंधन पर ग्रहण नक्षत्रों की स्थिति बहुत शुभ रहने वाली है। इस दिन घनिष्ठा नक्षत्र लग रहा है। 22 अगस्त को शाम 7:40 तक धनिष्ठा नक्षत्र रहेगा मंगल ग्रह घनिष्ठा नक्षत्र का स्वामी है माना जाता है, कि इस शुभ अवसर में राखी बांधने से भाई-बहन के बीच प्रेम और गहरा होता है।
रक्षाबंधन के दिन करें ये उपाय
ज्योतिष के अनुसार रक्षाबंधन के दिन कुछ विशेष उपाय करने से जीवन में सुख समृद्धि का वास होता है और धन-धान्य में वृद्धि होती है, माना जाता है कि इस दिन अपनी बहन के द्वारा एक गुलाबी कपड़े में अक्षत सुपारी चांदी का सिक्का बांधकर पैसे वाले स्थान पर रखें ऐसा करने से आर्थिक तंगी दूर हो सकती है। रक्षाबंधन का त्यौहार सावन मास की पूर्णिमा तिथि को मनाया जाता है। माना जाता है कि इस चंद्रमा को खीर का भोग लगाने से जीवन में धन-धान्य में वृद्धि होती है। माना जाता है कि इस दिन गणपति बप्पा को राखी बांधने से भाई-बहन के बीच प्यार बढ़ता है।
रक्षाबंधन पर करें इस मंत्र का जाप
हिंदू धर्म में रक्षाबंधन की विशेष मान्यता है ऐसे में आप भी अपने भाई को राखी बांधते वक्त इस विशेष मंत्र का जाप करें। माना जाता है कि इस जाप को जपते हुए राखी बांधने से भाई बहन का प्यार हमेशा बना रहता है।
‘येन बद्धो बली राजा दानवेंद्रो महाबल:
तेनत्वाम प्रति बद्धनामि रक्षे, मांचला मांचला:’
इस मंत्र का अर्थ होता है कि जिस तरह से राजा बलि ने रक्षा सूत्र से विचलित हुए बिना अपना सब कुछ दान कर दिया था उसी प्रकार का रक्षा सूत्र आज मैं तुम्हें बांध रही हूं तुम भी अपने उद्देश्य से विचलित हुए बिना दृढ़ बने रहना।
रक्षाबंधन से जुड़ी कथा
शास्त्रों में रक्षाबंधन से जुड़ी कई कथाओं का वर्णन है पर इनमें से राजा बलि और माता लक्ष्मी की कथा सबसे ज्यादा प्रचलित है, धार्मिक कथाओं के अनुसार पाताल लोक में राजा बलि के यहां बंदी बने हुए देवताओं की मुक्ति के लिए माता लक्ष्मी ने राजा बलि को राखी बांधी थी। राजा बलि ने अपनी बहन माता लक्ष्मी को भेंट स्वरूप देवताओं को मुक्त करने का वचन दिया था। हालांकि राजा बलि ने देवताओं को मुक्त करने के लिए यह शर्त भी रखी थी कि देवताओं को साल के 4 महीने इसी तरह कैद में रहना होगा । इसलिए सभी देवता आषाढ़ शुक्ल पक्ष में देव शयनी एकादशी से कार्तिक शुक्ल पक्ष की देवउठनी एकादशी यानी 4 महीने तक पाताल लोक में निवास करते हैं इस दौरान मांगलिक कार्य करना वर्जित है।
दूसरी कथा
मध्यकालीन युग में राजपूत और मुगलों के बीच संघर्ष चल रहा था ऐसे में गुजरात के सुल्तान बहादुर शाह ने चित्तोड़ पर हमला कर दिया था। राजपूत और मुगलों के बीच संघर्ष के चलते रानी कर्णावती ( जो चित्तौड़ के राजा की विधवा थी ) मुगल सम्राट हुमायूं को राखी भेज कर अपनी और प्रजा की सुरक्षा का प्रस्ताव रखा था। तब हुमायूं ने रानी कर्णावती का प्रस्ताव स्वीकार कर अपनी बहन की रक्षा की और उनकी राखी का सम्मान रखा।
रक्षाबधन पूजा विधि
रक्षाबंधन पूजा विधि रक्षाबंधन का त्यौहार मनाने के लिए एक थाली में रंगोली चंदन अक्षत दही राखी मिठाई और घी का एक दीपक रखें पूजा की थाली को सबसे पहले भगवान को समर्पित करें। उसके बाद भाई को पूर्व या उत्तर की तरफ मुंह करवा कर बिठाए। पहले भाई के माथे पर तिलक लगाए फिर रक्षा सूत्र बांधकर आरती करें। इसके बाद मिठाई खिलाकर भाई की लंबी आयु की मंगल कामना करें । रक्षा सूत्र बांधते समय भाई तथा बहन का सर खुला नहीं होना चाहिए। रक्षा सूत्र बांधने के बाद माता पिता का आशीर्वाद लें और बहन के पैर छूकर उसे भेंट करें।
इसलिए भद्रा में नहीं बांधते राखी
शास्त्रों के अनुसार, भद्रा को सूर्य देव की पुत्री और शनि देव की बहन बताया गया है। इसे भी अपने भाई शनि की तरह क्रूर माना जाता है। इसलिए भद्राकाल में शुभ कार्यों का निषेध बताया गया है। इसलिए भद्राकाल में शुभ कार्यों का निषेध बताया गया है। पौरणिक कथा के अनुसार, रावण ने भद्रा काल में ही अपनी बहन से राखी बंधवाई थी, जिसके कारण उसका सर्वनाश हो गया। इस वजह से कोई भी बहन अपने भाई को भद्रा में राखी नहीं बांधती।