नई दिल्ली
केंद्र सरकार ने 10 साल बाद केंद्रीय सरकारी स्वास्थ्य योजना (CGHS) की दरों में बड़ा संशोधन किया है, जो 13 अक्टूबर से लागू होगा। इससे करीब 46 लाख कर्मचारी और पेंशनर्स को राहत मिलेगी। नई दरें अब अस्पताल कैटेगरी, शहर कैटेगरी और वार्ड टाइप के आधार पर तय होंगी। इससे निजी अस्पतालों को भी लाभ होगा, क्योंकि दरें औसतन 25–30% तक बढ़ाई गई हैं। सरकार ने सभी अस्पतालों को नई दरें स्वीकार करने का निर्देश दिया है, वरना उन्हें सूची से हटाया जाएगा। इस कदम से कैशलेस इलाज की सुविधा में सुधार और अस्पतालों की आय दोनों बढ़ने की उम्मीद है।
क्यों जरूरी था बदलाव
पिछले कई सालों से सरकारी कर्मचारी और पेंशनर्स शिकायत कर रहे थे कि CGHS से जुड़े अस्पताल कैशलेस इलाज देने से इनकार करते हैं। मरीजों को पहले इलाज के पैसे खुद देने पड़ते थे और फिर महीनों बाद रिफंड मिलता था। दूसरी ओर, निजी अस्पतालों का कहना था कि पुरानी दरें बहुत कम थीं और मौजूदा मेडिकल खर्चों के अनुसार नहीं थीं। बता दें कि आखिरी बार CGHS की दरों में बड़ा बदलाव 2014 में किया गया था। तब से अब तक सिर्फ छोटे सुधार हुए थे, कोई व्यापक संशोधन नहीं हुआ था।
कर्मचारी यूनियनों की मांग का असर
इस साल अगस्त में नेशनल फेडरेशन ऑफ सेंट्रल गवर्नमेंट एम्प्लॉइज यूनियन्स ने सरकार को ज्ञापन सौंपा था। उन्होंने कहा था कि कैशलेस सुविधा न मिलने से कर्मचारियों और पेंशनर्स को आर्थिक कठिनाई हो रही है। इसके बाद सरकार ने यह अहम फैसला लिया।
नई CGHS दरें कैसे तय होंगी
नई दरें अब चार मुख्य बातों पर आधारित होंगी:
1. अस्पताल का एक्रेडिटेशन (NABH/NABL)
2. अस्पताल का प्रकार (जनरल या सुपर स्पेशियलिटी)
3. शहर की श्रेणी (X, Y, Z)
4. मरीज का वार्ड प्रकार (जनरल, सेमी-प्राइवेट, प्राइवेट)
नए नियमों के अनुसार, जो अस्पताल NABH/NABL प्रमाणित नहीं हैं, उन्हें 15% कम दरें मिलेंगी। सुपर स्पेशियलिटी अस्पतालों को 15% अधिक दरें मिलेंगी।
शहरों की श्रेणी के अनुसार दरें-
Y (टियर-II) शहर: X शहरों से 10% कम
Z (टियर-III) शहर: X शहरों से 20% कम
पूर्वोत्तर राज्य, जम्मू-कश्मीर और लद्दाख – Y श्रेणी के अंतर्गत रखे गए हैं।
वार्ड के हिसाब से दरें-
• जनरल वार्ड: 5% कम
• प्राइवेट वार्ड: 5% ज्यादा
• ओपीडी, रेडियोथैरेपी, डेकेयर और छोटी प्रक्रियाओं की दरें पहले जैसी रहेंगी।
• कैंसर सर्जरी की दरें भी समान रहेंगी, लेकिन कीमोथैरेपी और रेडियोथैरेपी की दरें संशोधित की गई हैं।
अस्पतालों के लिए अनिवार्यता
स्वास्थ्य मंत्रालय ने सभी अस्पतालों को निर्देश दिया है कि वे 13 अक्टूबर तक नई दरों को स्वीकार करें। जो अस्पताल ऐसा नहीं करेंगे, उन्हें डि-एम्पैनल (CGHS सूची से हटाया) जा सकता है।
कैशलेस इलाज में सुधार की उम्मीद
नई दरों के बाद उम्मीद है कि अस्पताल अब CGHS मरीजों को आसानी से कैशलेस इलाज देंगे। इससे कर्मचारियों और पेंशनर्स को जेब से पैसे खर्च करने की जरूरत नहीं पड़ेगी और रिफंड की झंझट खत्म होगी।
CGHS पैकेज में क्या-क्या शामिल है
CGHS पैकेज में इलाज से जुड़ी लगभग सारी सुविधाएं शामिल हैं-
कमरे और बेड का खर्च
भर्ती शुल्क
एनेस्थीसिया, दवाइयां और मेडिकल सामान
डॉक्टर और विशेषज्ञ की फीस
ICU/ICCU खर्च
ऑक्सीजन, वेंटिलेटर, ऑपरेशन थिएटर शुल्क
फिजियोथेरेपी, टेस्ट, ब्लड ट्रांसफ्यूजन आदि
90 दिन में नई MoA पर साइन जरूरी
अस्पतालों को अब 90 दिनों के भीतर नया समझौता (MoA) साइन करना होगा। पुरानी MoA की वैधता 13 अक्टूबर को खत्म हो जाएगी।
कुल मिलाकर क्या फायदा होगा
यह संशोधन कर्मचारियों और पेंशनर्स के लिए बेहतर और कैशलेस इलाज सुनिश्चित करेगा, जबकि अस्पतालों को उचित दरों पर भुगतान मिलेगा। लगभग एक दशक बाद हुआ यह सुधार CGHS सिस्टम को अधिक व्यवहारिक, पारदर्शी और भरोसेमंद बनाने की दिशा में बड़ा कदम है।