रायपुर। समाज कल्याण विभाग में वर्ष 2004 में एनजीओ घोटाले की जांच करने सोमवार को भोपाल से सीबीआई की चार सदस्यीय टीम माना स्थित कार्यालय में छापे की कार्रवाई करने पहुंची। दो घंटे चली छापे की कार्रवाई में सीबीआई ने समाज कल्याण विभाग से दो दशक पुराने घोटाले से संबंधित फाइल पड़ताल करने के बाद जब्त कर अपने साथ ले गई। छापे की कार्रवाई करने सीबीआई की टीम कार्यालयीन समय में समाज कल्याण विभाग के कार्यालय पहुंची।
कार्यालय पहुंचने के बाद सीबीआई के अफसर फाइलों की जांच में जुट गए। सीबीआई की टीम जांच करने पहुंची तब समाज कल्याण विभाग के डायरेक्टर अपने कार्यालय नहीं पहुंचे थे। छापे की कार्रवाई की जानकारी मिलने पर विभाग के डायरेक्टर कार्यालय पहुंचे। सीबीआई की टीम द्वारा विभागीय अफसर से पूछताछ किए जाने की बात सामने आई है। सीबीआई की टीम समाज कल्याण विभाग के कार्यालय में दूसरी बार छापे की कार्रवाई करने पहुंची।
एक हजार करोड़ घोटाला का आरोप
राज्य के कई वरिष्ठ आईएएस अफसरों ने फर्जी एनजीओ बनाकर समाज कल्याण विभाग में एक हजार करोड़ रुपए का घोटाला किया है। अफसरों ने दिव्यांगों के कल्याण के लिए बनाए गए स्टेट रिसोर्स इंस्टिट्यूट (राज्य स्रोत निशक्तजन संस्थान) जैसे फर्जी एनजीओ बनाकर सरकारी फंड का बड़े पैमाने पर दुरुपयोग किया।
इन अधिकारियों पर घोटाले का आरोप
वर्ष 2004 में हुए एनजीओ घोटाले में पूर्व मुख्य सचिव विवेक ढांढ, आईएएस एमके राउत, डा. आलोक शुक्ला, सुनील कुजूर, बीएल अग्रवाल सहित 11 वरिष्ठ आईएएस और राज्य सेवा से जुड़े सतीश पांडेय, पीपी श्रोती के साथ राजेश तिवारी, अशोक तिवारी, हरमन खलखो, एमएल पांडेय और पंकज वर्मा के खिलाफ घोटाला करने के आरोप हैं। घोटाला सामने आने पर पूर्व मुख्य सचिव विवेक ढांड और एमके राउत ने सुप्रीम कोर्ट में याचिका दायर कर खुद को जिम्मेदारी से अलग बताया था। इसके बाद जांच पर रोक लग गई थी। पिछले दिनों सुप्रीम कोर्ट ने मामला हाईकोर्ट को वापस भेज दिया। हाईकोर्ट ने सीबीआई को पुरानी एफआईआर पर जांच कर रिपोर्ट सौंपने को कहा है। हाईकोर्ट के आदेश के बाद सीबीआई ने जांच तेज कर दी है। पूर्व मुख्य सचिव अजय सिंह की कमेटी ने एनजीओ घोटाले को उजागर किया था। घोटाला में आईएएस के साथ तत्कालीन महिला एवं बाल विकास मंत्री रेणुका सिंह भी जांच के घेरे में आ गई।
घोटाले की टाइमलाइन
16 नवंबर 2004 कागजों पर दिव्यांगों के लिए एसआरसी, पीआर आरसी नाम से 2 संस्थाएं बनाकर 2020 तक घोटाला किया।
2004 में एनजीओ का संचालन सरकारी विभाग जैसा किया गया और 2020 तक कर्मचारियों की 2 जगहों से वेतन निकाला गया।
2008 से 2012 तक कुंदन ठाकुर नौकरी कर रहे थे। कुंदन को अपने दो जगह नौकरी करने की 4 साल बाद जानकारी मिली। इसके बाद कुंदन ने आरटीआई के जरिए जानकारी निकाली। इसी तरह से रायपुर में 14, बिलासपुर में 16 अन्य कर्मचारी भी 2 जगह से वेतन निकाले जाने की जानकारा सामने आई।
28 सितंबर 2018 को मुख्य सचिव अजय सिंह ने एनजीओ के नियमित बैठक और ऑडिट करने के निर्देश दिए।
30 जनवरी 2020 हाईकोर्ट ने कुंदन की याचिका को जनहित याचिका (पीआईएल) में तब्दील किया और सीबीआई जांच के आदेश दिए।25 सितंबर 2025 को बिलासपुर हाईकोर्ट ने दोबारा सीबीआई जांच के आदेश दिए।