बिलासपुर
छत्तीसगढ़ में फर्जी वकीलों की तादात में तेजी से बढ़ोतरी हुई है। इनमें एक तरफ ऐसे वकील हैं, जिनके पास पर्याप्त शैक्षणिक योग्यता नहीं हैं, तो दूसरी तरफ ऐसे वकील हैं, जिनके पास डिग्री तो है, लेकिन वकालत के पेशे में सक्रिय नहीं हैं। केवल मतदान के लिए ही काउंसिल की सदस्यता लिए हुए हैं।
लिहाजा बार काउंसिल ऑफ इंडिया ने छत्तीसगढ़ बार काउंसिल को भंग कर दिया है। इसके साथ ही तीन सदस्यीय विशेष समिति का गठन किया गया है, जो अगले छह महीने में फर्जी और सही वकीलों की पहचान करने के साथ चुनाव की प्रक्रिया को पूरा करेगी। इसलिए किया भंग दरअसल, बार काउंसिल ऑफ इंडिया ने छत्तीसगढ़ बार काउंसिल को वकीलों की पहचान कर चुनाव कराने का नियत समय खत्म होने पर दो बार एक्सटेंशन दिया था। लेकिन इस अवधि में भी छत्तीसगढ़ बार काउंसिल के प्रक्रिया पूर्ण नहीं कर पाने को बार काउंसिल ऑफ इंडिया ने गंभीरता से लेते हुए काउंसिल को ही भंग कर दिया है।
ये हैं समिति के तीन सदस्य
इसके साथ ही बार काउंसिल ऑफ इंडिया ने तीन सदस्यीय विशेष समिति का गठन किया है, इसमें छत्तीसगढ़ के एडवोकेट जनरल, अधिवक्ता आशीष श्रीवास्तव और प्रतीक शर्मा शामिल हैं।
वेरिफिकेशन के बिना चुनाव नहीं
यह विशेष समिति राज्य बार काउंसिल में पंजीबद्ध वकीलों का बार काउंसिल ऑफ इंडिया सर्टिफिकेट एंड प्लेस ऑफ प्रेक्टिस (वेरिफिकेशन) रूल्स 2015 के तहत वेरिफिकेशन करने के साथ-साथ छह महीने के भीतर चुनाव की प्रक्रिया को पूर्ण करेगी। बार काउंसिल ऑफ इंडिया ने स्पष्ट किया है कि वकीलों के वेरिफिकेशन के बिना चुनाव नहीं होंगे।
पंजीकृत सदस्यों की संख्या 29228 पहुंच गई
बार काउंसिल ऑफ इंडिया के साथ छत्तीसगढ़ बार काउंसिल के हुए वीडियो कांफ्रेंसिंग में बताया गया कि 2016 तक राज्य बार काउंसिल में पंजीकृत सदस्यों की संख्या 26096 थी, वहीं 25 जनवरी 2021 तक यह संख्या बढ़कर 29228 पहुंच गई। वेरिफिकेशन की प्रक्रिया के दौरान 12204 अधिवक्ताओं ने ही फार्म जमा किए, इनमें से महज 9741 लोगों ने एलएलबी के मार्कशीट अटैच किए, इनमें से महज 1691 अधिवक्ताओं के मार्कशीट यूनिवर्सिटी से वेरिफाई हो पाएं हैं।
फर्जी वकीलों की संख्या बढ़ी
जानकारों की मानें तो छत्तीसगढ़ में फर्जी वकीलों की तादात में तेजी से बढ़ोतरी हुई है। इनमें एक तरफ ऐसे वकील हैं, जिनके पास पर्याप्त शैक्षणिक योग्यता नहीं हैं, तो दूसरी तरफ ऐसे वकील हैं, जिनके पास डिग्री तो है, लेकिन वकालत के पेशे में सक्रिय नहीं हैं। केवल मतदान के लिए ही काउंसिल की सदस्यता लिए हुए हैं। माना जा रहा है कि ऐसे तमाम अधिवक्ताओं की पहचान कर काउंसिल की सूची से हटाया जाएगा, जिससे साफ-सुथरा चुनाव हो सके।