अंबाला
ऑपरेशन सिंदूर के बाद यह साफ हो गया है कि आने वाले समय में युद्ध के मैदान में ड्रोन की भूमिका बेहद अहम होगी। इसी दिशा में भारतीय सेना ने तैयारी शुरू कर दी है। सेना न केवल स्थानीय उद्योगों पर निर्भर रहेगी, बल्कि स्वयं भी ड्रोन तकनीक विकसित करने के लिए कदम बढ़ा रही है। अंबाला में इसके लिए एक अत्याधुनिक प्रयोगशाला स्थापित करने की योजना बनाई गई है, जिसमें मिलिट्री इंजीनियरिंग सर्विस (MES) के विशेषज्ञ कार्य करेंगे।
सूत्रों के अनुसार, विशेषज्ञ ड्रोन निर्माण से जुड़े कच्चे माल, उपकरण और तकनीकी आवश्यकताओं की जानकारी जुटा रहे हैं। इन जानकारियों के बाद प्रयोगशाला की नींव रखी जाएगी। वहीं अंबाला की खड्गा कोर ने भी कुछ ड्रोन प्रोटोटाइप तैयार किए हैं, जिनका उत्पादन प्राइवेट कंपनियों की मदद से किया जा रहा है। सेना का लक्ष्य आत्मनिर्भरता की दिशा में ऐसे ड्रोन बनाना है जो पूरी तरह स्वदेशी हों। फिलहाल अधिकतर ड्रोनों में विदेशी उपकरणों का उपयोग होता है, लेकिन अब भारतीय स्टार्टअप स्वदेशी तकनीक को आगे बढ़ा रहे हैं।
युद्ध के लिए तैयार होंगे हजारों ड्रोन
MES विशेषज्ञों को जल्द ही ड्रोन व काउंटर-ड्रोन तकनीक का प्रशिक्षण दिया जाएगा। इसके बाद प्रयोगशाला में शोध और विकास का कार्य शुरू होगा। सेना की योजना हर यूनिट में ऐसे दस्ते तैयार करने की है जो ड्रोन संचालन और तकनीकी समझ में दक्ष हों। अधिकारियों का कहना है कि भविष्य के युद्ध में हजारों ड्रोन और उनके साथ विस्फोटक तकनीक का बड़े स्तर पर उपयोग किया जाएगा।