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पाकिस्तान की बर्बादी, भारत से दुश्मनी का है नतीजा,जरूरी सामान चीन से अधिक कीमत में आयात करने को मजबूर

नईदिल्ली
पाकिस्तान ने मोदी सरकार के जम्मू-कश्मीर से अनुच्छेद 370 खत्म करने के फैसले के विरोध में भारत के साथ व्यापारिक रिश्ते खत्म कर लिए थे. लेकिन अब भारत को अकड़ दिखाना पाकिस्तान को बहुत महंगा पड़ रहा है.

पाकिस्तान के विदेशी मुद्रा भंडार की हालत बेहद खराब है और उसके पास तीन हफ्ते के आयात के लिए ही पैसा बचा है. लेकिन उसे गेहूं और चीनी जैसी चीजों पर अपने खजाने को लुटाना पड़ रहा है.

गेहूं, चीनी, घी आदि जरूरी चीजों की भारी किल्लत से जूझता पाकिस्तान भारी खर्च कर रूस, यूएई, मिस्र, ब्राजील, सिंगापुर आदि देशों से आयात कर रहा है. लेकिन अगर पाकिस्तान ने भारत के साथ अपने रिश्ते ठीक रखे होते तो इस आयात खर्च में भारी कमी आती. दूर देशों से आयात करने में पाकिस्तान का शिपिंग चार्ज काफी बढ़ गया है और डॉलर के मुकाबले पाकिस्तानी रुपये के अवमूल्यन ने इस संकट को और गहरा कर दिया है. भारत कई देशों को जिस दर पर गेहूं बेच रहा है, पाकिस्तान को दूसरे देशों से गेहूं खरीद के लिए उससे कहीं अधिक पैसे देने पड़ रहे हैं.

अपनी झूठी अकड़ के लिए खुद का ही नुकसान कर रहा पाकिस्तान

पाकिस्तान की सरकार गेहूं की किल्लत को पूरा करने के लिए कुल 75 लाख टन गेहूं का आयात कर रही है. पाकिस्तान रूस से सबसे अधिक गेहूं खरीद रहा है. सोमवार को ही रूस से गेहूं की एक बड़ी खेप कराची बंदरगाह पर पहुंची है. आने वाले दिनों में 4 लाख 50 हजार टन गेहूं रूस से पाकिस्तान पहुंचने वाला है.

पाकिस्तान सांख्यिकी ब्यूरो (पीबीएस) के आंकड़ों के मुताबिक, वित्त वर्ष 2021 में पाकिस्तान ने 31 लाख टन से अधिक गेहूं का आयात किया था जिसके लिए उसने 98.3 करोड़ डॉलर का भुगतान किया था. वित्त वर्ष 2022 में 22 लाख टन से ज्यादा का गेहूं आयात किया गया था जिसके लिए पाकिस्तान को 79.5 करोड़ रुपये देना पड़ा था. वहीं वित्त वर्ष 2023 की पहली तिमाही में पाकिस्तान 856,813 टन अनाज आयात कर रहा है जिसके लिए उसने 40.8 करोड़ रुपये का भुगतान किया है.

पाकिस्तान, रूस और यूक्रेन आदि देशों से गेहूं का आयात करता है लेकिन दोनों देशों के बीच चल रहे युद्ध ने वैश्विक गेहूं की कीमतों को बढ़ा दिया है. पाकिस्तान रूस से उस बढ़ी हुई कीमत पर ही गेहूं की खरीद कर रहा है. वहीं, भारत, यूएई, कतर, ओमान, श्रीलंका आदि देशों को रियायती दरों पर गेहूं बेच रहा है. पाकिस्तान कश्मीर मुद्दे को बीच में लाकर खुद अपना ही नुकसान कर रहा है.

भारत-पाक के बीच माल-ढुलाई का खर्च काफी कम

भारत-पाकिस्तान के बीच जब रिश्ते थोड़े बेहतर थे तब दोनों देशों के बीच अधिकतर व्यापार सड़क मार्ग से ट्रकों के माध्यम से होता था. इससे आयात का खर्च काफी कम आता था. लेकिन 5 अगस्त 2019 को भारत सरकार ने कश्मीर से धारा 370 को हटाकर जम्मू-कश्मीर के विशेष राज्य का दर्जा खत्म कर दिया जिसके बाद भारत-पाकिस्तान के राजनयिक, व्यापारिक रिश्तों में दूरी आ गई. द्विपक्षीय व्यापार लगभग नगण्य हो गया.

अगर पाकिस्तान बाद के समय में अपनी हरकतों से बाज आता और भारत के साथ व्यापारिक रिश्तों को ठीक करने की कोशिश करता तो उसका आयात खर्च काफी कम होता. पाकिस्तान को छोड़कर लगभग सभी पड़ोसी देश भारत से गेहूं, चीनी आदि वस्तुओं का आयात अपेक्षाकृत कम खर्च कर रहे हैं. व्यापारिक सूत्रों का कहना है कि बांग्लादेश, नेपाल, श्रीलंका आदि देश भारत से बड़ी मात्रा में गेहूं का आयात कर रहे हैं.

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