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भारत-चीन सीमा विवाद का शांतिपूर्ण समाधान क्षेत्रीय और वैश्विक स्थिरता के लिए महत्वपूर्ण: यूरोपीय संघ 

नई दिल्ली
यूरोपीय संघ (ईयू) के वरिष्ठ अधिकारियों ने मंगलवार को कहा कि भारत और चीन के बीच सीमा विवाद का शांतिपूर्ण समाधान क्षेत्रीय और वैश्विक स्थिरता के लिए महत्वपूर्ण है। 27 देशों के समूह ईयू और भारत के नेताओं के बीच होने वाले ऑनलाइन सम्मेलन से एक दिन पहले अधिकारियों ने कहा कि दो ''शक्तिशाली देशों के बीच सीमा गतिरोध पर ईयू की नजर है और उसे उम्मीद है कि दोनों देश अपने मतभेदों का शांतिपूर्ण समाधान निकालने के लिए बातचीत जारी रखेंगे। पूर्वी लद्दाख में भारत और चीन के बीच सीमा विवाद के बीच 15वां ईयू-भारत शिखर सम्मेलन होगा। सम्मेलन में भारतीय प्रतिनिधिमंडल का नेतृत्व प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी करेंगे जबकि यूरोपीय पक्ष का नेतृत्व यूरोपीय परिषद के अध्यक्ष चार्ल्स मिशेल और यूरोपीय आयोग की अध्यक्ष उर्सुला वॉन डेर लेयेन करेंगी। ईयू अधिकारियों में से एक ने कहा कि हम यह देखकर खुश हैं कि वास्तविक नियंत्रण रेखा पर झड़पें होने के बाद से दोनों पक्षों ने संयम दिखाया और वार्ता करते रहे।

उन्होंने कहा कि रिपोर्टों से पता चलता है कि दोनों पक्षों द्वारा प्रमुख क्षेत्रों से सैनिकों की वापसी की जा रही है और राजनयिक और सैन्य स्तर पर प्रयास किये जा रहे हैं। एक अन्य अधिकारी ने कहा, 'दुनिया में भारत और चीन दो शक्तिशाली देश हैं। क्षेत्रीय और वैश्विक स्थिरता के लिए उनके मतभेदों का शांतिपूर्ण समाधान महत्वपूर्ण है।' जब उनसे पूछा गया कि क्या बुधवार को होने वाली वार्ता में भारत-चीन सीमा विवाद शामिल रहेगा तो अधिकारियों ने कोई स्पष्ट जवाब नहीं दिया लेकिन कहा कि महत्वपूर्ण क्षेत्रीय और वैश्विक मुद्दों पर आमतौर पर चर्चा होती है। अधिकारियों ने कहा कि चीन, अमेरिका और रूस जैसे देशों के साथ संबंध महत्वपूर्ण हैं और वे आमतौर पर वार्ता में शामिल होते हैं। भारत और चीनी सेनाओं के बीच गत पांच मई से लगभग आठ सप्ताह के लिए पूर्वी लद्दाख में कई स्थानों पर गतिरोध की स्थिति बनी रही। गत 15 जून को गलवान घाटी में भारत और चीन के सैनिकों के बीच हिंसक झड़प में 20 भारतीय सैन्यकर्मियों के शहीद होने के बाद स्थिति और अधिक तनावपूर्ण हो गई। हालांकि, राजनयिक और सैन्य स्तर पर कई दौर की बातचीत के बाद दोनों पक्षों ने छह जुलाई को सैनिकों को पीछे हटाने की प्रक्रिया शुरू की।

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