राज्य

कानपुर किडनैपिंग केस : 22 दिन बाद भी अपहृत युवक का कुछ पता नहीं, बर्रा इंस्पेक्टर निलंबित

 कानपुर  
उत्तर प्रदेश के कानपुर में किडनैप हुआ लैब टेक्नीशियन युवक को मुक्त कराने में नाकाम बर्रा इंस्पेक्टर रणजीत राय को एसएसपी ने गुरुवार को निलंबित कर दिया। 22 दिन से अपहृत युवक का अब तक कुछ पता नहीं चलने से विभाग की भी किरकिरी हो रही थी। एसएसपी ने इसे कार्य में शिथिलता मानते हुए कार्रवाई की है।

कानपुर के बर्रा-5 निवासी लैब टेक्नीशियन संजीत यादव के अपहरण के मामले में बर्रा पुलिस और सर्विलांस सेल पूरी तरह फेल रही। पीड़ित परिवार का आरोप है कि पुलिस ने भरोसे में लेकर अपहर्ताओं को फिरौती के 30 लाख दिलवा दिए लेकिन बेटे को मुक्त नहीं करा सकी। इंस्पेक्टर रणजीत राय और उनकी टीम 22 दिन से खोज रही थी। अभी तक लोकेशन भी ट्रेस नहीं हो पाई थी कि कथित अपहर्ता कहां से फोन कर रहे हैं। उनकी जगह सर्विलांस सेल के प्रभारी रहे हरमीत सिंह को बर्रा थाने की जिम्मेदारी दी गई है।

अपहृत संजीत की बहन रुचि का कहना है कि जिस तरह से पुलिस ने उनके साथ दुर्व्यव्यहार और धोखा किया है उससे पूरे पुलिस सिस्टम की विश्वसनीयता पर संदेह होने होने लगा है। रुचि का कहना है कि उसके भाई को खोजने के लिए नए पुलिस अधिकारी को लगाया जाए।

सर्विलांस टीम भी रही नाकाम
नए इंस्पेक्टर हरमीत सिंह सर्विलांस के प्रभारी रहे हैं। वह और उनकी टीम भी अपहरणर्ताओं की लोकेशन ले रही थी लेकिन सटीक जानकारी नहीं मिल पाई। अपहर्ता 29 जून से लगातार परिजनों को फोन करके फिरौती की मांग कर रहे थे। इसके बावजूद सर्विलांस टीम ट्रेस नहीं कर सकी। सर्विलांस टीम से अपहरणकांड में बहुत अधिक मदद नहीं मिल पाई। अब हरमीत को ही बर्रा थाने की जिम्मेदारी सौंपी गई है। 

बहन के लिए दूसरा रिश्ता देखने गया था संजीत
पिता चमनलाल ने बताया कि रुचि का पहला रिश्ता राहुल के साथ तय किया गया था। बाद में कुछ दिक्कतों के कारण रिश्ता टूट गया था। इसके बाद भी राहुल लगातार बेटी से बात करता था। उसने बातों-बातों में पूरे परिवार को धमकाया भी था। 22 जून को संजीत बेटी के लिए दूसरा रिश्ता देखने गए थे। यह नहीं पता था कि उसी रात बेटे का अपहरण हो जाएगा।

गुजैनी पुल पर मिले युवक से क्या मिला सुराग 
चमनलाल का कहना है कि सोमवार देर रात जब वह अपहर्ताओं के बुलावे पर जब वह फिरौती की रकम देने गए थे। इस दौरान गुजैनी पुल पर डीसीएम के पीछे खड़े एक युवक को पुलिसकर्मियों ने पकड़ा था। पुलिस को पकड़े गए उस युवक से कोई सुराग मिला या नहीं अभी तक इसका भी पता नहीं चल सका है। 

मुहर लगवाकर क्या कोर्ट जाओगे 
परिजनों का कहना है कि जब वह गुमशुदगी दर्ज कराने गए थे तब जनता नगर चौकी इंचार्ज राजेश यादव से प्रार्थना पत्र में मुहर लगाने को कहा तो उन्होंने कहा कि क्या इसे लेकर कोर्ट जाओगे। आरोप है कि उन्होंने कहा क्या ऐसे ही भाई मिल जाएगा। आखिर कितना पैसा दोगे। 

रात 10:30 बजे मोबाइल हुआ बंद पैथालॉजी भी नहीं पहुंचा 
घटना के दिन 22 जून को संजीत का मोबाइल बंद हो गया तो परिजन हॉस्पिटल पहुंचे। यहां से पता चला कि संजीत घर के लिए निकल गया है। हालांकि संजीत को पैथालॉजी के सैंपल लेकर सचान चौराहा के पास एक लैब में जाना था लेकिन वहां स्टॉफ ने बताया कि देर रात संजीत उनके यहां भी नहीं आया। 

कांग्रेस प्रदेश अध्यक्ष ने की चमनलाल से बात 
कांग्रेस कार्यकर्ता विकास अवस्थी और पार्षद जेपी पाल ने बताया कि प्रदेश अध्यक्ष अजय कुमार लल्लू ने गुरुवार दोपहर अपहृत संजीत के पिता चमनलाल से फोन पर बातचीत की है। उन्होंने उन्हें सांत्वना देते हुए कहा कि पार्टी इस दुख की घड़ी में उनके साथ है। जल्द ही मिलने का आश्वासन भी दिया। 

रुपया चला गया कम से कम भाई ही आ जाता
संजीत के न लौटने पर रुचि का रो-रोकर बुरा हाल हो गया। उसका कहना है कि रुपया चला गया उसे इसका बिल्कुल भी दुख नहीं है लेकिन कम से कम उसका भाई आ जाता।  

भाई को आ जाने दो पैसे का सोर्स और रकम बता देंगे
रुचि ने बताया कि एसपी साउथ मैडम अपर्णा गुप्ता पैसों को लेकर सवाल उठा रही थीं कि संजीत के परिजनों के पास इतना रुपया आखिर कहां से आया इसके सोर्स का पता लगवा रही हैं। इस पर रुचि का कहना है कि केवल उसका भाई वापस आ जाए वह एक-एक पाई का हिसाब दे देंगे। 

स्वॉट टीम पर भरोसा नहीं, नए अधिकारी से हो जांच 
रुचि का कहना है कि एसटीएफ उसके भाई को बरामद कर नहीं पाई वहीं स्वॉट टीम के प्रभारी दिनेश यादव ने भी उस पर बयान देने का दबाव डाला था। ऐसे में अब उसे स्वॉट टीम पर भी भरोसा नहीं है। मामले की जांच किसी नए और तेजतर्रार अधिकारी से कराई जाऊ। 

सहकर्मियों के मोबाइल लिसनिंग पर 
जिस हॉस्पिटल में संजीत काम करता है उसके साथ काम करने वाले दो सहकर्मी सचेंडी के हिमांशु और बर्रा गांव के शिवम के मोबाइल को सर्विलांस टीम ने लिसिनिंग पर लगाया है। 

चार टीमों में लगाए मात्र छह पुलिसकर्मी!
रुचि का कहना है कि तत्कालीन बर्रा इंस्पेक्टर रणजीत राय शुरू से कह रहे थे कि अपहरणकर्ताओं की गिरफ्तारी और संजीत की सकुशल बरामदगी के लिए उनकी चार टीमें लगी थीं। क्या चार टीमों में केवल छह पुलिसकर्मी ही होते हैं। पुलिस के कहने पर ही पिता चमनलाल अपहरणकर्ताओं को फिरौती देने गए थे। 

अपहरणकर्ताओं की आखिरी लोकेशन गुजैनी, फिर मोबाइल बंद
पुलिस ने बताया कि सोमवार देर रात को अपहरणकर्ता की बातचीत के दौरान उसके मोबाइल की लोकेशन गुजैनी में ही थी। लेकिन बैग फेंकने के कुछ देर बाद ही मोबाइल फोन बंद हो गया जिसके चलते उसके आगे की लोकेशन नहीं मिल सकी। पुलिस सूत्रों ने यह भी बताया कि अपहरणकर्ता की कॉल डाटा फिल्ट्रेशन के जरिए ट्रेस करने का प्रयास किया गया था लेकिन सफलता नहीं मिल पाई।

Back to top button