पटना
बिहार के गोपालगंज जिले में 264 करोड़ रुपए की लागत से बना पुल एक महीने में नहीं टिक पाया और 29वें दिन ध्वस्त हो गया। इस मामले पर राजनीतिक बयानबाजी भी खूब हो रही है। पुल ढ़हने की घटना को लेकर अबतक विपक्ष के निशाने पर रही नीतीश सरकार पर अब अपने भी सवाल उठा रहे हैं। लोक जनशक्ति पार्टी के अध्यक्ष चिराग पासवान ने इस मामले में उच्चस्तरीय जांच और दोषियों के खिलाफ कार्रवाई की मांग की है।
चिराग पासवान ने इस मामले पर ट्वीट करते हुए गुरुवार को लिखा, '264 करोड़ की लागत से बने पुल का एक हिस्सा आज ध्वस्त हो गया है। जनता के पैसे से किया कोई भी कार्य पूरी गुणवत्ता से किया जाना चाहिए था। इस तरह की घटनाएं जनता की नजर में जीरो करप्शन पर सवाल उठाती हैं। लोजपा मांग करती है की उच्च स्तरीय जांच कर जल्द दोषियों पर कड़ी कार्यवाही करें।'
इससे पहले बिहार विधानसभा में नेता प्रतिपक्ष तेजस्वी यादव ने भी बिहार सरकार पर निशाना साधा। उन्होंने कहा कि 263 करोड़ से 8 साल में बना लेकिन मात्र 29 दिन में ढ़ह गया पुल। संगठित भ्रष्टाचार के भीष्म पितामह नीतीश जी इस पर एक शब्द भी नहीं बोलेंगे और ना ही साइकिल से रेंज रोवर की सवारी कराने वाले भ्रष्टाचारी सहपाठी पथ निर्माण मंत्री को बर्खास्त करेंगे। बिहार में चारों तरफ लूट ही लूट मची है।
वहीं बिहार के पथ निर्माण मंत्री नंद किशोर यादव ने कहा है कि सत्तर घाट पुल के क्षतिग्रस्त होने की झूठी खबर फैलाई जा रही है। उन्होंने कहा कि सत्तर घाट मुख्य पुल से लगभग दो किलो मीटर दूर गोपालगंज की ओर से आ रही सड़क पर स्थित एक 18 मीटर लंबाई के छोटे पुल तक पहुंचने का पथ कट गया है। जिस पुल के हिस्से के क्षितग्रस्त होने या ध्वस्त होने की बात कही जा रही है, वह बिल्कुल भी सही नहीं है।