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महादलित विकास मिशन घोटाला..17 करोड़ रुपये में सेंध लगाने वाले IAS समेत 6 अधिकारियों पर FIR दर्ज..

बिहार 
बिहार के सतर्कता जांच ब्यूरो (वीआईबी) ने बिहार महादलित विकास मिशन (बीएमवीएम) घोटाले आमें कथित रूप से शामिल होने के लिए 1991 बैच के एक सेवारत आईएएस अधिकारी एमवी राजू, तीन सेवानिवृत्त आईएएस अधिकारियों और छह अन्य लोगों के खिलाफ दूसरी प्राथमिकी दर्ज की है।

बीएमवीएम के लिए जारी 17 करोड़ रुपये का गबन किया गया था जो मूल रूप से महादलित युवाओं के उत्थान के लिए था। सतर्कता जांच ब्यूरो के निरीक्षक संजीव कुमार के बयान के आधार पर आईएएस अधिकारी एसएम राजू (निलंबित) के खिलाफ प्राथमिकी दर्ज की गई। इसके अलावा केस में पूर्व बीएमवीएम निदेशक राघवेंद्र झा, राज नारायण लाल, रामाशीष पासवान, देबजानी कर, तत्कालीन मिशन के राज्य कार्यक्रम निदेशक अनिल कुमार सिन्हा (OSD), शशि भूषण सिंह (को-ऑर्डिनेटर), हरेंद्र श्रीवास्तव (ओएसडी), बीरेंद्र चौधरी (सहायक निदेशक) और डॉ. बीरबल झा (निदेशक, ब्रिटिश लिंगुआ) के भी नाम हैं।

इन सब पर भारतीय दंड संहिता (आईपीसी) और भ्रष्टाचार निवारण अधिनियम की धाराओं 406/409/420/467/468/471/477 ए/ 120 बी के तहत प्राथमिकी दर्ज की गई। मिशन 2010 में लागू हुआ। यह घोटाला 2016 तक जारी रहा। दर्ज प्राथमिकी के अनुसार, 4 अक्टूबर 2011 को, बीएमवीएम ने महादलित युवाओं को एमएस ऑफिस, टैली, बोली जाने वाली अंग्रेजी और अन्य पाठ्यक्रमों सहित 22 ट्रेडों की ट्रेनिंग के लिए एक विज्ञापन प्रकाशित किया था। इसमें केंद्र सरकार से विशेष सहायता से तत्कालीन राज्य सरकार की दशरथ मांझी कौशल विकास योजना के तहत कौशल विकास ट्रेनिंग के लिए आवंटित धन किया गया था। घोटाले की जांच के दौरान वीआईबी ने पाया कि ब्रिटिश लिंग्वो के निदेशक डॉ. बीरबल झा ने बिहार महादलित विकास मिशन के अधिकारियों की मिलीभगत से साजिश रचकर 2012 और 2016 के वित्तीय वर्ष में फर्जी कागज जमाकर सरकार से 17 करोड़ रुपये ले लिए।

दर्ज एफआईआर में वीआईबी ने खुलासा किया कि योजना के तहत बीएमवीएम ने दावा किया कि उसने 14,826 छात्रों को प्रशिक्षित किया था जबकि जांच में ब्यूरो ने पाया कि अधिकांश छात्रों ने एक ही सत्र और अवधि के दौरान अलग-अलग ट्रेड में हिस्सा लिया था। जांच के दौरान यह भी सामने आया कि जिन छात्रों का नाम फर्मों की सूची में था, वे ऐसे उम्मीदवार थे, जिन्हें प्रशिक्षण और प्रमाणन कभी दिया ही नहीं गया था। ऐसे युवाओं ने एक लिखित बयान दिया था कि वे कभी भी इस तरह के प्रशिक्षण में नहीं गए थे। जनवरी 2017 में निलंबित किए गए राजू 2003 में भी विवादों के घेरे में थे। बिहार में तत्कालीन विपक्ष के नेता सुशील कुमार मोदी ने भ्रष्टाचार के आरोपों पर उनकी बर्खास्तगी की मांग करते हुए सरकार को सलाह दी थी कि वह कर्नाटक में अपने निलंबन के बाद जहां भी वह प्रतिनियुक्ति पर गए थे, उसे स्वीकार नहीं किया जाए। दिसंबर 2016 में विजिलेंस ब्यूरो ने आईएएस अधिकारी राजू समेत 15 अन्य अधिकारियों के खिलाफ बिहार के बाहर तकनीकी शिक्षा लेने वाले एससी/एसटी छात्रों के लिए मैट्रिक छात्रवृत्ति वितरण में कथित अनियमितता के लिए केस दर्ज किया था। अप्रैल 2019 में सतर्कता जांच ब्यूरो ने 5.55 करोड़ रुपये से अधिक की धनराशि के गबन के लिए आईएएस अधिकारी एसएम राजू और दो सेवानिवृत्त आईएएस अधिकारियों और पांच अन्य के खिलाफ घोटाले में कथित संलिप्तता के लिए आरोप पत्र दाखिल किया था।

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