लखनऊ
डॉक्टर बनने का सपना देख पढ़ाई कर रही 12वीं की वैष्णवी तीन जुलाई से सो नहीं पा रही हैं। उसके पिता शहीद सीओ देवेंद्र मिश्रा की कुख्यात विकास दुबे और उसके साथियों ने जिस बेरहमी से हत्या की थी, वह उसे याद कर सिहर उठती हैं। एक ओर जब विकास दुबे के एनकाउंटर की परिस्थितियों को लेकर ढेरों सवाल उठ रहे हैं, वहीं शहीद सीओ की बेटी कहती हैं कि उन्हें यूपी पुलिस पर गर्व है।
वैष्णवी कहती हैं कि जिसने उनके पिता और 7 अन्य पुलिसकर्मियों की नृशंस हत्या की वह भी ऐसी ही मौत के लायक था। इसलिए जो हुआ वह सही हुआ। शहीद पिता की तेरहवीं पर 20 साल की वैष्णवी ने कहा, 'विकास दुबे दुर्दांत अपराधी था जिसने मेरे पिता की हत्या की बेरहमी से हत्या की।'
'पिता चाहते थे डॉक्टर बनूं लेकिन अब पुलिस में जाऊंगी'
वैष्णवी कहती हैं, 'वह (सीओ) मुझे डॉक्टर बनाना चाहते थे, लेकिन घर में सबसे बड़े होने की वजह से अब मेरी प्राथमिकता बदल गई हैं। मैं एक ऑफिसर के रूप में उनके प्रयासों को व्यर्थ नहीं जाने दूंगी। मैं भी पुलिस सर्विस में जाऊंगी और अपराधियों को सबक सिखाऊंगी।'
'मेरे पिता ने हमेशा सच्चाई का साथ दिया'
बता दें कि विकास दुबे के गुर्गों ने डीएसपी के कुल्हाड़ी से पैर काटने से पहले उनके सिर और सीने पर पॉइंट ब्लैंक रेंज से गोली मारी थी। वैष्णवी मानती हैं कि कानून व्यवस्था बनाए रखने के लिए पुलिस-अपराधियों की साठ-गांठ को खत्म करना होगा। उन्होंने कहा, 'मेरे पिता हमेशा सच्चाई के लिए खड़े रहे। उन्होंने हमेशा हमें सिखाया कि कभी झूठ न बोलो। किसी को भी सच से समझौता नहीं करना चाहिए।'
'हैदराबाद एनकाउंटर से तुलना करना गलत'
वैष्णवी ने कहा कि सीएम योगी आदित्यनाथ उनके पिता की तरह हैं और उन्होंने हर संभव मदद की है। पिता की मौत से टूटी वैष्णवी के दुख की सीमा न रही, जब उसे पता चला कि विकास दूबे और उसके साथियों के एनकाउंटर की तुलना हैदराबाद में बलात्कार के आरोपियों के एनकाउंटर से हो रही है। वैष्णवी कहती हैं कि दोनों घटनाओं का कोई मेल ही नहीं है। हैदराबाद की घटना मानवता के प्रति जघन्य अपराध थी तो उसके पिता और उनके साथियों की नृशंस सीधे-सीधे व्यवस्था और सरकार को चुनौती देने का मामला है।