पटना
कोरोना के विशेष अस्पताल पटना एम्स में अब सरकारी अस्पतालों के अधीक्षकों और प्रभारियों के लेटर पर रेफर कोरोना मरीजों का ही इलाज होगा। इसके लिए एम्स के गेट पर ही इसकी जांच की व्यवस्था की गई है। वहीं, मरीजों के परिजनों के प्रवेश पर भी रोक लगा दी गई है। साथ ही सुरक्षा व्यवस्था के लिए तीन शिफ्टों में पुलिस बल की तैनाती की गई है।
इससे पहले मंगलवार को सदर एसडीओ तनैय सुल्तानिया, सिटी मजिस्ट्रेट व एडीएम पटना एम्स पहुंचे तथा निदेशक डॉ. प्रभात कुमार सिंह, अस्पताल अधीक्षक डॉ. सीएम सिंह समेत अन्य पदाधिकारियों के साथ बैठक की। साथ ही एम्स के आईपीडी व गेट नंबर एक के पास जाकर जायजा लिया। अस्पताल अधीक्षक ने बताया कि सुरक्षा के मद्देनजर अब एम्स परिसर में सिर्फ मरीज की ही इंट्री होगी। चूंकि एम्स पूर्णरूप से कोरोना अस्पताल है, इसलिए अन्य लोगों के आने से संक्रमण फैल सकता है। एम्स में कोरोना के वे ही मरीज एडमिट होंगे, जो दूसरे सरकारी अस्पतालों से रेफर किए जाएंगे। रेफर अस्पताल के प्रभारी या अधीक्षक द्वारा होना चाहिए। एम्स गेट के पास ही देखा जाएगा कि वह कोरोना का मरीज है या नहीं। बेड खाली रहने पर ही एडमिट कर इलाज किया जाएगा।
साथ ही एम्स में फ्लू जांच कॉर्नर भी बंद कर दिया गया है। फ्लू जांच को लेकर वेबजह भीड़ लग जाती थी, जिससे संक्रमण फैलने का खतरा रहता था। पटना सदर एसडीओ तनैय सुल्तानिया ने बताया कि अब एम्स पटना कोरोना पॉजिटिव रेफरल अस्पताल बन गया है। इसी से संबंधी रेफर मरीजों का ही वहां इलाज होगा। इसको लेकर विवि व्यवस्था का भी इंतजाम किया गया है। पटना एम्स में तीन मजिस्ट्रेट की तैनाती होगी। तीन शिफ्टों में 10-10 पुलिसकर्मियों व इनके साथ एक-एक पदाधिकारी को प्रतिनियुक्त किया गया है। साथ ही एक कंट्रोल रूम भी रहेगा।
परिजनों के विवाद खड़ा करने से होती है परेशानी
निदेशक ने कहा कि मरीज के साथ अटेंडेंट आने से पहला तो संक्रमण और फैलने का खतरा और दूसरी बात-बात पर डॉक्टरों से उनके अटेंडेंट उलझ वीडियो बनाने लगते हैं, जिससे इस विकट परिस्थिति में डॉक्टरों का मनोबल टूटता है। इसलिए मुख्य गेट के पास ही उन्हें रोक दिया जाएगा। वहीं बैठक में फुलवारीशरीफ थानाध्यक्ष रफिकुर रहमान भी मौजूद थे।