जयपुर.
राष्ट्रीय हरित अधिकरण (एनजीटी) ने गंगा में प्रदूषण को लेकर बिहार सरकार को चेतावनी दी है। कहा गया है कि अगर बिहार गंगा जल प्रदूषण पर मांगी गई जानकारी छह सप्ताह के भीतर देने में विफल रहता है, तो वह (एनजीटी) बिहार के मुख्य सचिव को व्यक्तिगत रूप से पेश होने का आदेश देगा। एनजीटी बिहार में गंगा में प्रदूषण की रोकथाम और नियंत्रण से संबंधित मामले की सुनवाई कर रहा था।
हरित अधिकरण ने पिछले साल पांच राज्यों में गंगा और उसकी सहायक नदियों के प्रदूषण का मुद्दा उठाया था। बंगाल की खाड़ी में मिलने से पहले गंगा उत्तराखंड, उत्तर प्रदेश, बिहार, झारखंड और पश्चिम बंगाल से होकर बहती है। एनजीटी अध्यक्ष न्यायमूर्ति प्रकाश श्रीवास्तव की पीठ ने इस साल 17 फरवरी की बिहार की रिपोर्ट पर गौर कर कहा कि राज्य के 38 में से 20 जिलों ने अधूरी और आंशिक रूप से गलत जानकारी के साथ अपनी रिपोर्ट सौंपी थी। पीठ में शामिल न्यायिक सदस्य न्यायमूर्ति सुधीर अग्रवाल और विशेषज्ञ सदस्य ए सेंथिल वेल ने राज्य के वकील की दलील पर गौर किया। उन्होंने कहा था कि आवश्यक जानकारी जिला मजिस्ट्रेटों (जो जिला गंगा संरक्षण समितियों के प्रमुख हैं) द्वारा छह सप्ताह में प्रस्तुत की जाएगी।
19 फरवरी को पारित एक आदेश में, अधिकरण ने कहा कि हम यह स्पष्ट करते हैं कि अगर अधिकरण के समक्ष पूरी अपेक्षित जानकारी प्रस्तुत नहीं की जाती है, तो हमें मुख्य सचिव को व्यक्तिगत रूप से उपस्थित होने का निर्देश देने की आवश्यकता हो सकती है। मामले को राज्य की रिपोर्ट पर विचार करने के लिए एक मई को पोस्ट किया गया है।