पॉलिटिक्स

शाह ने मुख्यमंत्रियों से कहा कि वे पाकिस्तानी नागरिकों की सूची केंद्र सरकार को भेजें ताकि उनके वीजा तुरंत रद्द किए जा सकें

नई दिल्ली
केंद्रीय गृह मंत्री अमित शाह ने शुक्रवार को देश भर के सभी मुख्यमंत्रियों से बातचीत की और अपने-अपने राज्यों में रह रहे पाकिस्तानी नागरिकों की तत्काल पहचान करने का निर्देश दिया। अधिकारियों के अनुसार, यह कदम जम्मू-कश्मीर के पहलगाम में हुए आतंकी हमले के बाद भारत-पाकिस्तान के बीच बढ़ते तनाव के मद्देनजर उठाया गया है। शाह ने मुख्यमंत्रियों से कहा कि वे पाकिस्तानी नागरिकों की सूची केंद्र सरकार को भेजें ताकि उनके वीजा तुरंत रद्द किए जा सकें और उन्हें देश से बाहर निकाला जाए।

पहलगाम हमले के बाद सख्त कार्रवाई
22 अप्रैल 2025 को पहलगाम के बैसारन में हुए आतंकी हमले में 25 भारतीय पर्यटकों और एक नेपाली नागरिक की मौत हो गई थी। यह हमला 2019 के पुलवामा हमले के बाद कश्मीर घाटी में सबसे घातक हमलों में से एक माना जा रहा है। भारत ने इस हमले के लिए पाकिस्तान समर्थित आतंकवाद को जिम्मेदार ठहराया है और इसके जवाब में कई कठोर कदम उठाए हैं। इनमें 1960 के सिंधु जल समझौते को निलंबित करना, अटारी-वाघा सीमा चौकी को बंद करना, पाकिस्तानी सैन्य सहायकों को नई दिल्ली से निष्कासित करना और सभी पाकिस्तानी नागरिकों के वीजा रद्द करना शामिल है।

वीजा रद्द करने की प्रक्रिया
गृह मंत्रालय के सूत्रों के अनुसार, शाह ने मुख्यमंत्रियों से कहा कि वे अपने राज्यों में रह रहे सभी पाकिस्तानी नागरिकों की सूची तैयार करें और इसे केंद्र को सौंपें। सरकार ने पहले ही घोषणा की है कि 27 अप्रैल 2025 से पाकिस्तानी नागरिकों के सभी मौजूदा वीजा रद्द कर दिए जाएंगे, जबकि मेडिकल वीजा 29 अप्रैल 2025 तक वैध रहेंगे। इसके अलावा, भारतीय नागरिकों को पाकिस्तान से जल्द से जल्द वापस लौटने की सलाह दी गई है।

राज्यों से त्वरित कार्रवाई की मांग
शाह ने मुख्यमंत्रियों से अपील की कि वे इस कार्य को सर्वोच्च प्राथमिकता दें और अपने-अपने राज्यों में कानून-व्यवस्था की स्थिति को बनाए रखें। उन्होंने यह भी सुनिश्चित करने को कहा कि पाकिस्तानी नागरिकों की पहचान और उनके वीजा रद्द करने की प्रक्रिया में कोई देरी न हो। सूत्रों के मुताबिक, केंद्र सरकार इस मामले में राज्यों के साथ मिलकर काम कर रही है ताकि यह प्रक्रिया सुचारू रूप से पूरी हो सके।

पाकिस्तान के साथ राजनयिक तनाव
पहलगाम हमले के बाद भारत ने पाकिस्तान के साथ राजनयिक संबंधों को और कम कर दिया है। भारत ने नई दिल्ली में पाकिस्तानी उच्चायोग के सैन्य सलाहकारों को निष्कासित कर दिया और इस्लामाबाद में अपने उच्चायोग के कर्मचारियों की संख्या को 55 से घटाकर 30 करने का फैसला किया है। जवाब में, पाकिस्तान ने भारतीय विमानों के लिए अपने हवाई क्षेत्र को बंद कर दिया और भारत के साथ सभी व्यापारिक गतिविधियों को निलंबित कर दिया। पाकिस्तान ने भारत के सिंधु जल समझौते को निलंबित करने के फैसले को "युद्ध की कार्रवाई" करार दिया है।

प्रधानमंत्री मोदी का कड़ा रुख
प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने पहलगाम हमले के बाद कहा कि इस हमले के दोषियों और उनके समर्थकों को "कल्पना से परे सजा" दी जाएगी। उन्होंने बिहार के मधुबनी में एक जनसभा को संबोधित करते हुए कहा, "आतंकवादियों और उनके प्रायोजकों को बख्शा नहीं जाएगा।" मोदी ने यह भी स्पष्ट किया कि भारत आतंकवाद के खिलाफ अपनी लड़ाई में कोई कसर नहीं छोड़ेगा।

विपक्ष का समर्थन
कांग्रेस सहित विपक्षी दलों ने भी इस हमले की कड़ी निंदा की है और केंद्र सरकार के कदमों का समर्थन किया है। कांग्रेस अध्यक्ष मल्लिकार्जुन खरगे ने कहा कि देश को एकजुट होकर आतंकवाद के खिलाफ लड़ना होगा। पार्टी ने 25 अप्रैल 2025 को देश भर में कैंडललाइट मार्च का आयोजन किया ताकि हमले के पीड़ितों को श्रद्धांजलि दी जा सके और आतंकवाद के खिलाफ एकता का संदेश दिया जा सके।

अंतरराष्ट्रीय प्रतिक्रिया
पहलगाम हमले की कई देशों ने निंदा की है। फ्रांस के राष्ट्रपति इमैनुएल मैक्रों ने कहा कि फ्रांस इस दुख की घड़ी में भारत के साथ मजबूती से खड़ा है। अमेरिका ने जम्मू-कश्मीर के लिए "यात्रा न करें" की सलाह जारी की है और भारत के साथ अपनी एकजुटता व्यक्त की है। भारत सरकार ने स्पष्ट कर दिया है कि वह आतंकवाद के खिलाफ अपनी नीति में कोई ढील नहीं बरतेगी। गृह मंत्री शाह की मुख्यमंत्रियों के साथ बातचीत और पाकिस्तानी नागरिकों के वीजा रद्द करने का फैसला इस दिशा में एक बड़ा कदम है। आने वाले दिनों में भारत और पाकिस्तान के बीच तनाव और बढ़ सकता है, क्योंकि दोनों देश एक-दूसरे के खिलाफ जवाबी कार्रवाइयों में जुटे हैं।

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