नई दिल्ली
विधानसभा स्पीकर सीपी जोशी की तरफ से अयोग्यता के नोटिस के बाद राजस्थान हाईकोर्ट का रुख करने वाले सचिन पायलट और उनके समर्थक 18 विधायकों ने इस बात पर जोर दिया कि विधानसभा के बाहर कुछ कांग्रेस नेताओं के फैसले और नीतियों से असहमति होने पर दलबदल विरोधी कानून नहीं लगाया जा सकता है।
पायलट की तरफ से राजस्थान हाईकोर्ट पहुंचने को कांग्रेस के नेता इस बात का संकेत मानते हैं कि वे अशोक गहलोत के खिलाफ लड़ाई को तार्कसंगत अंजाम तक पहुंचाना चाहते हैं। अगर सचिन पायलट कैंप को विधानसभा से अयोग्य करार दिया जाता है तो विधानसभा का संख्या बल कम हो जाएगा और चुनाव होने तक अशोक गहलोत मजबूत स्थिति में रहेंगे।
गुरुवार की दोपहर बाद संयुक्त याचिका राजस्थान हाईकोर्ट में लगाई गई। लेकिन, पायलट का प्रतिनिधित्व कर रहे सीनियर वकील हरीश साल्वे याचिका में संशोधन के लिए और अधिक समय की मांग की।
स्पीकर सीपी जोशी का प्रतिनिधित्व कर रहे प्रतीक कसलीवाल ने कहा, "उन्होंने कहा कि वे नोटिस के बदले राजस्थान विधानसभा सदस्य (पार्टी बदलने के आधार पर अयोग्यता) नियम, 1989 को चुनौती देंगे। जज की तरफ से 2 जजों की बेंच को मामले भेजने के करीब पांच बजे इस पर सुनवाई शुरू हुई।"
गुरुवार की याचिका में सचिन पायलट की तरफ से शुरुआती जिरह ये थी कि कांग्रेस विधायक दल की दो बैठकों में न रहने से दलबदल विरोधी कानून नहीं लागू हो जाता है। संविधान की 10वीं अनुसूची के मुताबिक, दलबदल विरोधी कानू लगाया जा सकता है अगर सदस्य स्वैच्छिक तौर पर पार्टी को छोड़ देता है या फिर विधानसभा में पार्टी के आदेश के विपरीत वोट करता है।
पायलट ने इस बात पर जोर दिया कि स्पीकर यह सब मुख्यमंत्री अशोक गहलोत के दवाब में आकर ऐसा कर रहे हैं। याचिका में कहा गया कि विधानसभा में "गंभीर दुर्व्यवहार" हासिल किए जाने की मांग की गई है, जिसमें याचिकाकर्ताओं पर प्रतिबंध लगाने की मांग की जा रही है।