नई दिल्ली
अशोक गहलोत के खिलाफ बगावती तेवर अपनाने वाले राजस्थान के पूर्व उप-मुख्यमंत्री सचिन पायलट के खिलाफ कांग्रेस पार्टी के एक्शन के बाद सवाल उठ रहा है कि अब उनका अगला कदम क्या होगा। हालांकि, सचिन पायलट ने एक तरफ जहां साफ कर दिया है कि वे भारतीय जनता पार्टी में शामिल नहीं होने जा रहे हों तो वहीं दूसरी तरफ कांग्रस पार्टी में विभिन्न पदों पर काबिज उनके समर्थक लगातार राजस्थान में अपने पद से इस्तीफा दे रहें है। अब तक करीब 60 पार्टी पदाधिकारियों का इस्तीफा राज्य में हो चुका है। इस बीच, कांग्रेस पार्टी के वरिष्ठ नेता एम. वीरप्पा मोइली ने कहा कि सचिन पायलट यूपीए-2 सरकार के दौरान सांसद और केन्द्रीय मंत्री बने। राजस्थान में प्रदेश कांग्रेस अध्यक्ष और उसके बाद उप-मुख्यमंत्री बने। वह मुख्यमंत्री नहीं बन पाए क्योंकि हाईकमान की तरफ से पर्यवेक्षक भेजा गया था, विधायकों की राय ली गई। वो चाहे मध्य प्रदेश हो या फिर राजस्थान दोनों जगहों पर ऐसा ही हुआ। नेता जिन्हें चुने हुए विधायकों का समर्थन होता है उन्हें मुख्यमंत्री बनाया जाता है। मोइली ने आगे कहा, जो भी समस्या थी उसे पार्टी के मंच पर सुलझाया जाना था। सचिन पालयट के लिए कोई जल्दबाजी नहीं है। अगर उनके लिए कहीं पर भविष्य है तो वह कांग्रेस पार्टी में है। उन्होंने इसे माना है। उन्होंने कहा कि वे बीजेपी को ज्वाइन नहीं करेंगे, यह अच्छा है।
गौरतलब है कि गहलोत सरकार को अस्थिर करने के प्रयास के आरोप में राजस्थान के एसओजी (स्पेशल ऑपरेशंस पुलिस) की तरफ से सचिन पायलट समेत मुख्यमंत्री, चीफ व्हीप कुछ नेता और मंत्रियों को बयान दर्ज करने के लिए समन भेजा गया था। इसके बाद से गहलोत के खिलाफ नाराज चल रहे सचिन पायलट दिल्ली के पास गुरुग्राम में अपने समर्थक विधायकों के साथ जमे हुए हैं। पार्टी ने उन्हें कांग्रेस विधायक दल की बैठक में बुलाया था लेकिन जिद पर अड़ने के बाद सचिन पायलट को प्रदेश कांग्रेस अध्यक्ष और उप-मुख्यमंत्री पद से हटा दिया गया।