पॉलिटिक्स

पश्चिम बंगालः BJP विधायक की मौत जांच CID के हवाले

कोलकाता

पश्चिम बंगाल के उत्तरी दिनाजपुर जिले में भाजपा विधायक की आत्महत्या के मामले ने राज्य में राजनीतिक तापमान बढ़ा दिया है. लेकिन इस मामले में अभी कई ऐसी कड़ियां हैं, जिन्हें जोड़ना अभी बाकी है. दरअसल, उत्तरी दिनाजपुर की हेमताबाद सीट से बीजेपी विधायक देबेन्द्र नाथ रे की लाश उनके घर से करीब एक किलोमीटर दूर लकड़ी की छत से लटकी हुई मिली थी. अब इस मामले की जांच सीआईडी के हवाले कर दी गई है.

उनकी मौत के तरीके ने इस पूरे मामले को शक के घेरे में ला दिया है. मृत विधायक की जेब से मिले नोट की एक कॉपी मिल गई है. दिलचस्प बात ये है कि उस नोट में लिखा गया है "मेरी मौत के लिए ये दो लोग जिम्मेदार हैं." फिर उस नोट में माबूद अली और नीलय सिंघा नामक दो लोगों के नाम लिखे हैं और उनके मोबाइल नंबर के साथ-साथ उनकी तस्वीर भी नोट में लगी है. उनका जिला मालदा बताया गया है, जो दिनाजपुर से केवल सौ किलोमीटर दूर है.

ऐसा शायद ही कभी देखा गया हो कि पुलिस किसी नोट को सुसाइड नोट मान रही हो, और उसमें उन लोगों की तस्वीर, नाम, मोबाइल नंबर तक छपे हों, जिनके खिलाफ आरोप लगाए जा रहे हों.

पश्चिम बंगाल के मुख्य सचिव अलापन बंदोपाध्याय ने कहा, "हम इस मामले को लेकर बहुत गंभीर हैं. इसकी जांच सीआईडी ​​को सौंप दी गई है. विधायक की मौत के मामले में किसी भी राजनीतिक हस्तक्षेप या बाहरी दखल की इजाजत नहीं दी जाएगी."

उन्होंने बताया कि एमएलए का शव एक मोबाइल की दुकान के सामने लटका हुआ पाया गया. ये वही दुकान है, जहां अक्सर उनका आना-जाना होता था. उनकी पोस्टमार्टम की रिपोर्ट में उल्लेख है कि मौत से पहले उन्हें चोट लगी थी. जबकि उनकी मौत फांसी के कारण हुई है. इसका रासायनिक परीक्षण भी किया जा रहा है. इस पोस्टमॉर्टम रिपोर्ट से ये नतीजा नहीं निकला कि यह आत्महत्या है या एक हत्या.

मुख्य सचिव अलापन ने आगे कहा "हम प्रारंभिक जांच के आधार पर इसे आत्महत्या मान कर चल रहे हैं. हमें दो नामों और दो तस्वीरों के साथ एक सुसाइड नोट भी मिला है. हम उन लोगों को खोज रहे हैं, जिनका नंबर भी उस नोट में दिया गया है. इसके पीछे अनौपचारिक बैंकिंग या पैरा बैंकिंग या मिनी बैंकिंग की भी संभावना है. हम इस मामले में शामिल लोगों को सामने लाने के लिए पूरी तरह से साफ और स्पष्ट जांच को लेकर गंभीर हैं. इस मामले के भावनात्मक पहलू भी हैं लेकिन हम इस केस को तर्क और सबूतों के साथ अंजाम तक पहुंचाएंगे."

आपको बताते चलें कि देबेंद्र नाथ रे पहले सीपीएम के सदस्य थे. लेकिन पिछले साल उन्होंने भाजपा का दामन थाम लिया था. लोकसभा चुनाव के बाद रे ने बीजेपी की सदस्यता ली थी. वह 2016 में उत्तरी दिनाजपुर की हेमताबाद विधानसभा सीट से सीपीएम के टिकट पर विधायक चुने गए थे. उनका परिवार इसे हत्या करार दे रहा है. परिजनों का आरोप है कि राजनीतिक रंजिश के कारण उनकी हत्या की गई है. मामले की जांच की जा रही है. इस मामले को लेकर बीजेपी के एक प्रतिनिधि मंडल ने राष्ट्रपति से भी मुलाकात की है.

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