नई दिल्ली
राजस्थान में सियासी ड्रामा जारी है। सरकार बचाने के लिए दिल्ली से भेजे गए कांग्रेस के संकट मोचक कभी बगावत की राह पर निकले विधायकों को सख्त लहजे में चेतावनी दे रहे हैं तो कभी हमेशा दरवाजा खुला होने की बात कह रहे हैं। कभी पार्टी के प्रदेश मुख्यालय से सचिन पायलट के पोस्टर हटा दिए जा रहे हैं तो कुछ देर बाद फिर उन्हें लगा दिया गया। मुख्यमंत्री गहलोत मीडिया के सामने विधायकों की एक तरह परेड कराकर 'दिल्ली के दूतों' के साथ विक्ट्री साइन दिखाते हुए 109 विधायकों के समर्थन का दावा किया जो जरूरी बहुमत के आंकड़े से 8 अधिक है। हालांकि, बैठक में पालयट समेत कांग्रेस के ही कम से कम 19 विधायक नदारद रहे जो बताता है कि संकट अभी खत्म नहीं हुआ।
क्या होगा अगर 19 विधायकों ने इस्तीफा दिया?
वैसे तो सचिन पायलट कैंप 25 से 30 विधायकों के समर्थन का दावा कर रहा है। लेकिन सोमवार दोपहर को कांग्रेस विधायक दल की बैठक में इतने तो नहीं लेकिन कम से कम 19 एमएलए शामिल नहीं हुए। अगर मध्य प्रदेश की तर्ज पर राजस्थान कांग्रेस में भी 'बागी' विधायक इस्तीफा देते हैं तो विधानसभा की स्ट्रेंथ 200 से घटकर 181 हो जाएगी। ऐसे में बहुमत के लिए कम से कम 91 सीटों की जरूरत होगी। बीजेपी के पास 72 सीटें हैं और 3 सीटें उसकी सहयोगी आरएलपी के पास 3 सीटें हैं। ऐसी सूरत में गहलोत निर्दलीयों और छोटे दलों की मदद से गहलोत अपनी सरकार आसानी से बचा सकेंगे। एमपी की तरह बीजेपी राजस्थान में तभी सरकार बना पाएगी जब कम से कम 25-30 कांग्रेस विधायकों के इस्तीफे के साथ उसे निर्दलीय और छोटे दलों को भी साधने में कामयाबी मिले।
नरम हुए पायलट के तेवर?
रात ढाई बजे जब कांग्रेस ने प्रेस कॉन्फ्रेंस की तब विधायकों को सख्त लहजे में चेतावनी दी कि विधायक दल की बैठक में न आने वालों पर कड़ी कार्रवाई होगी, पार्टी से बाहर का रास्ता दिखा दिया जाएगा। हालांकि, जब दिन में रणदीप सुरजेवाला मीडिया से मुखातिब हुए तो सुलह की भाषा बोलते हुए कहा कि पायलट समेत सभी विधायकों के लिए कांग्रेस के दरवाजे पहले भी खुले थे, अब भी खुले हैं और आगे भी खुले रहेंगे। अब मीडिया में ऐसी भी रिपोर्ट्स आ रही है कि सचिन पायलट के तेवर भी नरम हुए हैं। अब वह भी सुलह चाहते हैं, इसके संकेत मिल रहे हैं। रिपोर्ट्स के मुताबिक वह अपने कुछ चहेते विधायकों को मंत्री बनाने और कुछ अहम मंत्रालयों को अपने लोगों को दिए जाने की मांग कर रहे हैं। इसके अलावा खुद को प्रदेश अध्यक्ष के तौर पर बरकरार देखना चाहते हैं। इस बीच प्रियंका गांधी वाड्रा के भी दखल देने की बात सामने आ रही है। बताया जा रहा है कि प्रियंका पायलट और गहलोत दोनों से बात कर रही हैं और संकट का हल निकालने के लिए सक्रिय हो चुकी हैं।