नई दिल्ली
जैसे ही पराली के सीजन की हलचल शुरू हुई है वैसे ही एक बार फिर दिल्ली-एनसीआर में प्रदूषण को लेकर डिबेट शुरू हो गई है. इसी कड़ी में एक सुनवाई के दौरान सुप्रीम कोर्ट ने सख्त नाराजगी जताई है. मुख्य न्यायाधीश बीआर गवई की अध्यक्षता वाली बेंच ने सुनवाई के दौरान कहा कि किसानों का सम्मान किया जाता है क्योंकि वे हमारे अन्नदाता हैं. मगर किसी को भी पर्यावरण को प्रदूषित करने की छूट नहीं दी जा सकती. कोर्ट ने सरकार से पूछा कि पराली जलाने वालों पर दंडात्मक कार्रवाई क्यों नहीं हो रही. क्या कुछ किसानों को जेल भेजना सही मैसेज नहीं देगा?
शीर्ष अदालत ने कहा कि अगर पराली जलाने वाले कुछ को जेल भेजा तो सब ठीक हो जाएंगे क्योंकि यह मिसाल कायम करेगा। कोर्ट ने सख्त लहजे में कहा कि वह पराली जलाने वाले किसानों के खिलाफ कार्रवाई चाहता है। इसके साथ ही कोर्ट ने केंद्रीय प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड और वायु गुणवत्ता प्रबंधन आयोग को तीन महीने के भीतर सभी रिक्तियों को भरने का निर्देश दिया।
दिल्ली-एनसीआर में हर साल अक्टूबर में होने वाले वायु प्रदूषण से जुड़ी याचिकाओं पर सुनवाई करते हुए देश के मुख्य न्यायाधीश (CJI) जस्टिस बीआर गवई ने बुधवार को कहा कि कुछ किसानों को पराली जलाने के लिए जेल भेजना दूसरों के लिए एक कड़ा संदेश हो सकता है। उन्होंने पूछा कि किसानों पर कार्रवाई करने से कतरा क्यों रहे हैं?
तीन महीने के भीतर भरें रिक्तियां
सुप्रीम कोर्ट ने प्रदूषण नियंत्रण बोर्डों में रिक्तियों को लेकर राज्यों को फटकार भी लगाई और दिल्ली से सटे राज्यों उत्तर प्रदेश, हरियाणा, राजस्थान और पंजाब को तीन महीने के भीतर रिक्तियों को भरने का निर्देश दिया। सुप्रीम कोर्ट ने वायु प्रदूषण रोकने के उपायों पर वायु गुणवत्ता प्रबंधन आयोग से तीन हफ्ते में रिपोर्ट भी मांगी है। इसके अलावा कोर्ट ने वायु गुणवत्ता प्रबंधन आयोग और राज्य प्रदूषण नियंत्रण बोर्डों से वायु प्रदूषण रोकने के लिए विचार-विमर्श कर योजनाएँ बनाने को कहा है।
न्यायमित्र ने क्या कहा?
इससे पहले, मामले में न्यायमित्र नियुक्त अपराजिता सिंह ने CJI गवई की अध्यक्षता वाली पीठ को बताया कि पराली जलाने की समस्या से निपटने के लिए किसानों को सब्सिडी और उपकरण दिए गए हैं। उन्होंने कहा, “लेकिन किसानों की भी यही कहानी है। पिछली बार, किसानों ने कहा था कि उन्हें ऐसे समय पराली जलाने के लिए कहा गया था, जब उपग्रह उस क्षेत्र से नहीं गुज़र रहा था। मुझे यह कहते हुए दुख हो रहा है कि 2018 से सुप्रीम कोर्ट ने व्यापक आदेश पारित किए हैं, और वे आपके सामने केवल लाचारी जताते हैं।”
पराली का इस्तेमाल ईंधन बनाने के लिए हो सकता है? CJI ने पूछा
इस पर CJI ने सवाल किया कि अधिकारी इस मुद्दे को सुलझाने के लिए दंडात्मक प्रावधानों पर विचार क्यों नहीं कर रहे हैं। उन्होंने कहा, "अगर कुछ लोग सलाखों के पीछे जाएंगे, तो इससे सही संदेश जाएगा। आप किसानों के लिए दंडात्मक प्रावधानों के बारे में क्यों नहीं सोचते? अगर पर्यावरण की रक्षा करने का आपका सच्चा इरादा है, तो फिर आप क्यों पीछे हट रहे हैं?" CJI ने आगे कहा, "किसान हमारे लिए खास हैं, और हम उनकी बदौलत खा रहे हैं… लेकिन इसका मतलब यह नहीं है कि हम पर्यावरण की रक्षा नहीं कर सकते।" सीजेआई बीआर गवई ने इस दौरान ये भू पूछा कि क्या जलाई जाने वाली पराली का इस्तेमाल ईंधन बनाने के लिए भी किया जा सकता है। उन्होंने कहा, “मैंने कुछ अखबारों में ऐसा पढ़ा है।”
हर साल अक्टूबर-नवंबर में दिल्ली की हवा हो जाती है जहरीली
बता दें कि पड़ोसी राज्य पंजाब और हरियाणा में पराली जलाने के कारण साल अक्टूबर और नवंबर में दिल्ली की हवा जहरीली हो जाती है और प्रदूषण का स्तर खतरनाक स्थिति में पहुंच जाता है। किसान खेतों से पराली को हटाने के लिए उसे जला देते हैं। इसके विकल्प के तौर पर खेतों को साफ़ करने के लिए विशेष मशीनों का इस्तेमाल किया जाता है। किसानों का तर्क है कि ये विकल्प काफ़ी महंगे हैं। इसलिए पराली जलाने की घटनाएँ हर साल सामने आती रहती हैं, हालाँकि दर्ज मामलों में कमी आई है।