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गैंग रेप पीड़िता समेत दो को जेल, अब पटना हाईकोर्ट के मुख्य न्यायाधीश से न्याय की गुहार

पटना
बिहार के अररिया जिले में सामूहिक दुष्कर्म की पीड़िता को ही जेल भेजने का मामला गरमा गया है। प्रमुख महिला संगठनों ने पटना हाईकोर्ट के मुख्य न्यायाधीश और महिला आयोग को पत्र लिखकर न्याय की गुहार लगाई है। इधर, देश के जाने-माने वकील प्रशांत भूषण, वृंदा ग्रोवर, इंदिरा जय सिंह सहित 376 वकीलों ने भी मुख्य न्यायाधीश को पत्र लिखकर पीड़िता व उसके दो सहयोगियों को जेल से रिहा करने की मांग की। बिहार महिला समाज की निवेदिता झा, एपवा की मीना तिवारी, एडवा की रामपरी, सिस्टर लीना, आसमां खान, अख्तरी (बिहार मुस्लिम महिला मंच), आकांक्षा, सिस्टर नेहा, तबस्सुम अली, कामायनी स्वामी, आशीष रंजन, रणजीत पासवान, सोहिनी आदि ने मुख्य न्यायाधीश को पत्र लिखा है और कहा कि घटना के चार दिन बीतने के बाद 10 जुलाई को पीड़िता का अररिया जिला कोर्ट में 164 का बयान कराया गया। न्याय देने के बदले उसे ही जेल भेज दिया गया। यह दुर्भाग्यपूर्ण घटना है। इससे पहले पीड़िता को कई लोगों को बार-बार घटना के बारे में बताना पड़ा। कई बार उसे ही इसके लिए जिम्मेदार ठहराया गया। जांच के दौरान पीड़िता की पहचान सार्वजनिक कर दी गई। इस पर आरोपित के परिवार के सदस्य बार-बार उससे मिलने का प्रयास करने लगे। साथ ही शादी कर मामले को रफा-दफा करने का प्रस्ताव भी दिया। 
 
पहचान तक कर दी गई थी सार्वजनिक
अब इंदिरा जय सिंह, प्रशांत भूषण, वृंदा ग्रोवर, रेबेका जॉन समेत देश के 376 वकीलों ने पटना हाईकोर्ट के मुख्य न्यायाधीश को पत्र लिखकर पीड़िता और उसके दो सहयोगियों को रिहा करने की दरख्वास्त की है। पत्र में कहा है कि इस घटना को संवेदनशील होकर देखना चाहिए। पीड़िता बहुत तनाव में थी। बयान दर्ज होने वाले दिन सवेरे से कुछ खाया-पीया नहीं था। कुछ दिनों से उसे नीद भी नहीं आ रही थी। इस कारण अपने साथ हुए दुष्कर्म के बारे में वह नहीं बता पाई। पीड़िता को जेल भेजने से पूर्व कोरोना जांच तक कराई गई। यही नहीं, 10 जुलाई को कोर्ट बयान दर्ज होने को बढ़ा-चढ़ा कर पेश करते हुए तीन घंटे के अंदर इलेक्ट्रॉनिक मीडिया में पीड़िता की पहचान सार्वजनिक कर दी गई। साथ ही पीड़िता और उसके दो सहयोगियों को झूठ बोलने के आरोप में जेल भेज दिया गया। उस पर धारा 353, 228 (बेलेबल), 188 (बेलेबल) लगाया गया है, न्यायसंगत नहीं है।

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