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सीमा विवाद के बीच सेना को 300 करोड़ तक के हथियार तेजी से खरीद की इजाजत

नई दिल्ली
भारत और चीन के बीच मई से जुलाई के शुरुआती सप्ताह तक चरम पर पहुंचा तनाव भले ही घट गया हो, लेकिन चीन के प्रति अविश्वास की भावना चरम पर है। इसकी झलक सरकार और सेना के हालिया नीतिगत फैसलों में देखी जा सकती है। बुधवार को ही रक्षा अधिग्रहण परिषद (DAC) ने सशस्त्र बलों को 300 करोड़ रुपये तक के रक्षा खरीद का विशेषाधिकार दे दिया। रक्षा मंत्रालय ने इस फैसले का महत्व बताते हुए कहा कि इससे न केवल उभरती परिचालन आवश्यकताओं को पूरा किया जाएगा बल्कि खरीद में लगने वाला समय भी घट जाएगा। मंत्रालय ने कहा कि अब महत्वपूर्ण औजार की आपूर्ति एक साल के अंदर सुनिश्चित हो जाएगी।

300 करोड़ तक के मनमाफिक खरीद की छूट
अधिकारियों ने बताया कि खरीद से संबंधित चीजों की संख्या को लेकर कोई सीमा नहीं है और आपात आवश्यकता श्रेणी के तहत प्रत्येक खरीद 300 करोड़ रुपये से अधिक मूल्य की नहीं होनी चाहिए। यह निर्णय रक्षा मंत्री राजनाथ सिंह की अध्यक्षता वाली रक्षा खरीद परिषद (डीएसी) की बैठक में हुआ। रक्षा मंत्रालय ने एक बयान में कहा, 'डीएसी ने 300 करोड़ रुपये तक की तात्कालिक पूंजीगत खरीद से जुड़े मामलों को आगे बढ़ाने के लिए सशस्त्र बलों को अधिकार प्रदान कर दिए जिससे कि वे अपनी आपात अभियानगत जरूरतों को पूरा कर सकें।'

जल्द होगी सैन्य जरूरतों की आपूर्ति
इसने कहा कि इस निर्णय के बाद खरीद से जुड़ी समयसीमा कम हो जाएगी और इससे खरीद के लिए छह महीने के भीतर ऑर्डर देना तथा एक साल के भीतर संबंधित वस्तुओं की उपलब्धता की शुरुआत सुनिश्चित होगी। मंत्रालय ने कहा कि उत्तरी सीमाओं पर मौजूदा सुरक्षा स्थिति तथा देश की सीमाओं की रक्षा के लिए सशस्त्र बलों की मजबूती की आवश्यकता के मद्देनजर डीएसी की विशेष बैठक हुई। पूर्वी लद्दाख में चीन के साथ गतिरोध के बीच सेना के तीनों अंगों ने पिछले कुछ सप्ताहों में कई तरह के सैन्य उपकरणों, अस्त्र-शस्त्रों और सैन्य प्रणालियों की खरीद शुरू कर दी है।

…ताकि भविष्य में धौंस न दिखा पाए चीन
दरअसल, पूर्वी लद्दाख में चीन ने वास्तविक नियंत्रण रेखा (LAC) के पास अपने सैनिक और साजो-सामान जुटाकर (मिलिट्री बिल्डअप) के जरिए भारत पर दबाव बनाने की कोशिश की जिसके जवाब में भारत ने अपने इलाके में बराबर का मिलिट्री बिल्ड अप कर दिया। साथ ही, अमेरिका, फ्रांस, ऑस्ट्रेलिया समेत अन्य वैश्विक ताकतों का भारत के प्रति समर्थन का रुख से चीन के मंसूबे पर पानी फिर गया और उसने शांति का राग अलापना शुरू कर दिया। हालांकि, भारत ने उसकी बदनीयत को भांपकर भविष्य की तैयारियों में जुट गया। भारत अपनी सैन्य ताकत इस स्तर पर ले जाने की दिशा में जोर-शोर से जुट गया है जिससे भविष्य में चीन कभी अपनी सैन्य क्षमता का धौंस दिखाकर दबाव बनाने की सोच भी नहीं सके।

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