नई दिल्ली
भारत एवं यूरोपीय संघ(ईयू) ने कोविड-19 की महामारी के पश्चात आर्थिक मंदी से बाहर आने को सर्वोच्च प्राथमिकता बताते हुए द्विपक्षीय व्यापार एवं निवेश समझौते को लेकर उच्चस्तरीय संवाद को तेज करने पर सहमति व्यक्त की है। प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी तथा यूरोपीय परिषद के अध्यक्ष चार्ल्स मिशेल और यूरोपीय आयोग की अध्यक्ष उसूर्ला वोन डेर लियेन के बीच आज यहां वीडियो कॉन्फ्रेंसिंग के माध्यम से 15वीं भारत यूरोपीय संघ शिखर बैठक में वैश्विक महत्व के अनेक फैसले लिये गए। दोनों पक्षों के बीच पांच दस्तावेजों पर भी हस्ताक्षर किये गए जिनमें संयुक्त वक्तव्य, भारत ईयू रणनीतिक साझीदारी – 2०25 का रोडमैप, संसाधन दक्षता एवं सकुर्लर इकॉनोमी पर संयुक्त वक्तव्य भी शामिल हैं। विदेश मंत्रालय में सचिव (पश्चिम) विकास स्वरूप ने यहां संवाददाताओं को बताया कि दोनों पक्षों ने कोविड महामारी से निपटने के लिए फामार्स्युटिकल्स, सर्वसुलभ, सस्ती एवं प्रभावी वैक्सीन के विकास एवं वितरण में सहयोग बढ़ाने के बारे में चर्चा की है।
दोनों पक्षों के बीच रणनीतिक साझीदारी को 2025 तक सुरक्षा, व्यापार, निवेश, आर्थिक साझेदारी, नवान्वेषण एवं जलवायु अनुकूल समाधान, डिजिटल तकनीक एवं कनेक्टिविटी के क्षेत्र में संभावनाओं का पूर्ण दोहन करने पर सहमति व्यक्त की। बैठक में भारत एवं यूरोप के बीच कनेक्टिविटी साझेदारी कायम करने तथा कृत्रिम बुद्धिमत्ता पर एक संयुक्त कार्यसमूह बनाने का प्रस्ताव भी आया। स्वरूप ने कहा कि दोनों पक्षों के बीच डिजिटल अर्थव्यवस्था के विकास तथा कृत्रिम बुद्धिमत्ता एवं 5जी प्रौद्योगिकी के क्षेत्रों में मिलकर विकास करने पर सहमति जताई। उन्होंने यह भी बताया कि दोनों पक्षों के बीच एक व्यापक कारोबार एवं निवेश समझौते पर बातचीत में नेताओं ने माना कि आर्थिक मंदी से उबरना और आर्थिक संबंधों की पूर्ण क्षमता का दोहन करना प्राथमिकता है जिसमें भारत एवं यूरोप के बीच आपूर्ति श्रृंखला को सशक्त बनाना भी शामिल है।
प्रधानमंत्री ने यूरोपीय कंपनियों को प्रत्यक्ष विदेशी निवेश के लिए आमंत्रित किया और बताया कि भारत में ईज़ ऑफ डूइंग बिजनेस, व्यापार नियमन प्रणालियों को वैश्विक वैल्यू सप्लाई चेन से जोड़ने का प्रयास किया जा रहा है। दोनों पक्षों के बीच परमाणु ऊर्जा के शांतिपूर्ण उपयोग विशेषकर कृषि एवं खाद्य सुरक्षा के क्षेत्र में अनुसंधान एवं विकास में सहयोग बढ़ाने के बारे में चर्चा की। सवालों के जवाब में स्वरूप ने बताया कि बैठक में वैश्विक एवं क्षेत्रीय मुद्दों पर बातचीत के दौरान चीन के बारे में भी चर्चा हुई तथा प्रधानमंत्री ने यूरोपीय नेताओं को सीमा पर स्थिति के बारे में भी बताया। उन्होेंने यह भी बताया कि आतंकवाद के खतरे पर चर्चा करते हुए पाकिस्तान के बारे में भी बात हुई।