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भारत-चीन के बीच कमांडर स्तर की अहम बैठक आज

 
नई दिल्ली

भारत और चीन के बीच का विवाद अब कुछ कम होता नजर आ रहा है। दोनों ही देशों के सेना बफर जोन से पीछे हो चुकी हैं। चीन के सेना भी Line Of Actual Control से लगभग तीन किलोमीटर पीछे खिसक गई है। हालांकि अभी भी दोनों के बीच तनाव बरकरार है जिसको कम करने के लिए आज लद्दाख के चुशूल में कोर कमांडर स्तर की चौथी बैठक आयोजित होगी।

टेंशन कम करने को मीटिंग जारी
भारत-चीन के बीच तनाव कम करने के लिए ये बैठक सुबह 11.30 बजे होगी। 15 जून को गलवान घाटी में हुई हिंसक झड़प के बाद दोनों देशों के बीच तनाव कम करने के लिए लगातार बातचीत का दौर जारी है। इससे पहले तीसरे दौर की बैठक 30 जून को लद्दाख के चुशूल में ही की गई थी।

कमांडर स्तर की बैठक
आज होने जा रही बैठक कई मायनों में खास है। पिछले कुछ दिनों में दोनों देशों के सैनिकों के बीच सीमा पर चल रही तनातनी कम हुई है। चीनी सेना गलवान में फिंगर 4 प्वाइंट से पीछे हट गई है। ऐसे में कहा जा सकता है कि सामान्य होते हालात के बीच दोनों देशों के कोर कमांडर स्तर की यह पहली बैठक है।
 
अभी भी नापाक इरादे नहीं छोड़ रहा चीन
पूर्वी लद्दाख में लाइन ऑफ एक्चुअल कंट्रोल पर भारत-चीन की सेनाओं के पीछे हटने की प्रक्रिया चल रही है। फिर से इस तरह का तनाव न हो, इसलिए भारत डिसइंगेजमेंट की प्रक्रिया पूरी हो जाने के बाद एलएसी को लेकर नक्शों का आदान-प्रदान चाहता है। भारत की योजना है कि एक बार जब दोनों देशों के सैनिक पुराने पट्रोलिंग पोस्ट्स यानी मई से पहले वाली स्थिति में पहुंच जाए तब दोनों देश वेस्टर्न सेक्टर को लेकर अपने-अपने नक्शों को एक दूसरे के साथ साझा करें।

नक्शा साझा करने में आनाकानी
चीन अब तक वेस्टर्न सेक्टर में नक्शों को एक दूसरे से साझा करने से इनकार करता आया है। हालांकि, सेन्ट्रल सेक्टर के नक्शों को दोनों देशों ने एक दूसरे से साझा किया है। दोनों देशों के बीच सीमा पर तनाव घटाने को लेकर अब तक 22 दौर की बातचीत हो चुकी है लेकिन अब तक पेइचिंग ने ऐसा कोई संकेत नहीं दिया है कि नक्शों को एक्सचेंज कर एलएसी की स्थिति स्पष्ट की जाए।

दोनों देशों के बीच टेंशन पुरानी और जटिल
दोनों देशों के बीच सीमा विवाद इतना जटिल है कि उसके जल्द हल होने की बात अभी दूर की कौड़ी है। हालांकि, गलवान में हुए खूनी संघर्ष को भारत इस बात का पर्याप्त कारण मान रहा है कि कम से कम इस सेक्टर में एलएसी को लेकर अब स्पष्टता होनी ही चाहिए। दूसरी तरफ, नक्शों के एक्सचेंज को लेकर चीन की आनाकानी इस संदेह को बढ़ाता है कि पेइचिंग नहीं चाहता कि एलएसी को लेकर इस सेक्टर में भ्रम दूर हों ताकि वह जमीन पर यथास्थिति को बदलने की स्थिति में रहे।
 

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