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मिसाइल स्टोरेज फैसिलिटी लेह से महज 250 किलोमीटर की दूरी पर

नई दिल्ली 

चीन का ये खतरा जमीन के नीचे छुपा है. ये एक मिसाइल गैरीसन है जो लेह से बहुत दूर नहीं है. पीपुल्स लिबरेशन आर्मी रॉकेट फोर्स (PLARF) को पहले सेकंड आर्टिलरी कोर के नाम से जाना जाता था. इसकी अति आधुनिक अप-एंड-रनिंग मिसाइल स्टोरेज फैसिलिटी लद्दाख की राजधानी लेह से महज 250 किलोमीटर की दूरी पर है.

कहां है भूमिगत मिसाइल शस्त्रागार?
इसकी लोकेशन दक्षिणी शिनजियांग मिलिट्री डिस्ट्रिक्ट (SXJMD) के करीब है. इस डिस्ट्रिक्ट को 1950 में स्थापित किया गया था. उसके बाद इसे कई बार पुनर्गठित किया गया. हालांकि, इसके तहत आने वाले क्षेत्रों को समान रखा गया- अक्सू, काशगर, यारकंद और खोतान.

लद्दाख के सामने का इलाका, जिसमें अक्साई चिन या पूर्वी लद्दाख शामिल है, वो दक्षिणी शिनजियांग मिलिट्री डिस्ट्रिक्ट के तहत 1950 और 1960 के दशक में आ गया जब चीन ने तिब्बत पर कब्जा किया था. SXJMD, जिसे सैदुल्लाह मिलिट्री ट्रेनिंग एरिया के रूप में भी जाना जाता है. ये क्षेत्र ब्रिटिश राज के दौरान प्रस्तावित आर्डग जॉनसन लाइन के तहत भारत के दावे वाले जम्मू और कश्मीर के अंतर्गत आता है.

रणनीतिक रूप से, ये लोकेशन आपातकालीन स्थितियों में PLA के लिए अतिरिक्त तैनाती उपलब्ध कराती है क्योंकि ये ट्रेनिंग बेस में उनकी मौजूदगी के कारण संभव है. काराकोरम पहाड़ों में खोदी गई भूमिगत मिसाइल सुविधा, तिब्बत को शिनजियांग से जोड़ने वाले हाइवे से करीब तीन से पांच किलोमीटर की दूरी पर है.

इसमें 14 भूमिगत सुरंगें हैं जो सड़क के तीन किलोमीटर दक्षिण से शुरू होती हैं और दो किलोमीटर आगे तक जारी रहती हैं. और फिर एक जल सोत्र के पश्चिम में 12 सुरंगें हैं जो संभवत: ऑपरेशनल मिसाइल का स्टोरेज है. पूर्वी दिशा में दो अन्य सुरंगें विभिन्न सड़कों से जुड़ी हुई हैं. ये इनके प्रशासनिक और कमांड-एंड-कंट्रोल सुरंगें होने का संकेत है.

फैसिलिटी में खंभों की पंक्ति देखी जा सकती है. संभवत: ये भूमिगत स्टोरेज सुरंगों के लिए बिजली की आपूर्ति के लिए हैं.इन सुरंगों के इर्द-गिर्द विभिन्न संकेतक और अन्य सुविधाएं बताती हैं कि यह फैसिलिटी कम से कम 24 मिसाइलों को स्टोर कर सकती है. इनमें उनके ट्रैक्टर-इरेक्टर लांचर (TEL) और अन्य वाहन शामिल हैं.

सपोर्ट सुविधाएं-
पिछले दो दशकों की सैटेलाइट तस्वीरों के विश्लेषण से संकेत मिलता है कि अधिकतर सपोर्ट सुविधाएं G209 हाइवे के पास स्थित हैं. यहां एक हाई-बे गैराजों के साथ बड़ा गैरीसन है. सपोर्ट वाहनों के लिए अन्य गैराज हैं. यहां कम से कम आठ हाई-बे गैराज हैं. इनका इस्तेमाल वाहनों की तैनाती से पहले उनकी चेकिंग के लिए होता है.

हाल ही में यहां नया हेलीपोर्ट बनाया गया है. SXJMD एविएशन ब्रिगेड डिटेचमेंट के लिए बनाया गया ये हेलीपोर्ट इस सुविधा से एयर-डिफेंस सपोर्ट को जोड़ने के लिए है. ताजा सैटेलाइट तस्वीरों से यहां 15-20 इमारतों का नया निर्माण दिखता है जो कि संभवत: भविष्य में अतिरिक्त सैनिकों की तैनाती को ध्यान में रखकर किया गया है.

ये नया निर्माण नवंबर 2019 के आसपास शुरू हुआ. इससे संकेत मिलता है कि पूर्वी लद्दाख में जो मौजूदा गतिरोध हुआ, उसकी रणनीति अक्टूबर-नवंबर 2019 में ही तैयार की गई हो सकती है. यहां एक बड़ा सोलर पैनल फार्म भी देखा जा सकता है जो अंडरग्राउंड फैसिलिटी और अन्य सपोर्ट सुविधाओं को बिजली की आपूर्ति के लिए है.

ये नारे संकेत देते हैं कि SXJMD और XJMD दोनों नियमित अभ्यास के लिए इस प्रशिक्षण क्षेत्र का इस्तेमाल कर रहे हैं. यहां एक तोपखाना और एयर-डिफेंस ट्रेनिंग एरिया है, जो गन-डिप्लॉयमेंट के विभिन्न तरीकों को दर्शाता है. नदी के पार सैटेलाइट तस्वीरों से एक वृत्ताकार ऐन्टेना व्यूह रचना (CDAA) को देखा जा सकता है. भारत को इस PLARF सुविधा पर कड़ी निगरानी बनाए रखने की जरूरत है. यहां लगभग 24 TELs (ट्रैक्टर इरेक्टर लांचर्स) और आसपास अन्य सपोर्ट सुविधाओं के लिए पर्याप्त स्टोरेज एरिया है.
 

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