उज्जैन
महाकाल मंदिर में बिगड़ती व्यवस्था और भस्म आरती में प्रवेश को लेकर बढ़ते विवादों के बीच प्रशासन ने बड़ा कदम उठाया है। मंदिर प्रबंधन को मजबूत करने के लिए अब दो डिप्टी कलेक्टर, दो नायब तहसीलदार समेत कुल नौ अधिकारियों की नियुक्ति की गई है। इससे पहले एक आईपीएस अधिकारी को मंदिर का प्रशासक बनाया गया था।
मंदिर प्रबंधन में बदलाव
हाल ही में मंदिर में आग लगने, दीवार गिरने और अवैध वसूली की घटनाओं के बाद प्रशासन ने सक्रियता दिखाई। इन घटनाओं के बाद आईएएस अधिकारी प्रथम कौशिक को मंदिर का प्रशासक नियुक्त किया गया था। अब कलेक्टर कार्यालय के आदेश के तहत डिप्टी कलेक्टर सिम्मी यादव और एसएन सोनी, नायब तहसीलदार हिमांशु कारपेंटर और आशीष पालवड़िया सहित पांच अन्य अधिकारियों को मंदिर प्रबंधन में जिम्मेदारी दी गई है।
महाकाल मंदिर में लगी आग, दीवार गिरने, और प्रवेश के नाम पर अवैध वसूली में हुई एफआईआर के बाद IAS प्रथम कौशिक को मंदिर का प्रशासक बनाया गया था। कलेक्टर कार्यालय से करीब चार दिन पहले जारी ऑर्डर के बाद अब मंदिर की व्यवस्था सुधारने के लिए दो डिप्टी कलेक्टर सिम्मी यादव, एस एन सोनी, नायब तहसीलदार हिमांशु कारपेंटर, आशीष पालवड़िया, परियोजना अधिकारी अरुण शर्मा, एडीपीसी गिरीश तिवारी, एटीओ एलएन मकवाना, उपयंत्री एसके पांडे, देवेंद्र परमार को नियुक्त किया गया है।
सोमवार को सभी अधिकारियों को मंदिर का भ्रमण कराकर मंदिर की व्यवस्था के बारे में बताया गया। अब जल्द ही सभी अधिकारी मंदिर की व्यवस्था संभालेंगे। कलेक्टर नीरज सिंह ने बताया कि महाकाल लोक बनने के बाद भक्तों की बढ़ती संख्या को देखते हुए मंदिर के प्रशासनिक तंत्र को मजबूत बनाने के लिए राज्य शासन ने आईपीएस को प्रशासक बनाया है। अब दो डिप्टी कलेक्टर सहित नायब तहसीलदार और नए अधिकारी मंदिर में इंजीनियरिंग विंग, सुरक्षा सहित अन्य व्यवस्था संभालेंगे।
सोमवार को सभी अधिकारियों ने मंदिर का दौरा किया और व्यवस्थाओं की जानकारी ली। कलेक्टर नीरज सिंह ने कहा कि महाकाल लोक निर्माण के बाद श्रद्धालुओं की संख्या में बढ़ोतरी को देखते हुए प्रशासनिक ढांचे को मजबूत करने का निर्णय लिया गया है।
शिवनवरात्रि पर महाकाल का भव्य श्रृंगार
शिवनवरात्रि के तीसरे दिन महाकाल मंदिर में भव्य आयोजन हुआ। बुधवार सुबह चार बजे मंदिर के पट खोले गए और भस्म आरती में भगवान महाकाल का विशेष अभिषेक किया गया। जल, दूध, दही, घी, शक्कर और रस से बने पंचामृत से भगवान का स्नान कराया गया। इसके बाद भांग, चंदन, सूखे मेवे, सिंदूर और आभूषणों से मनमोहक श्रृंगार किया गया।
भस्म आरती में भगवान गणेश, माता पार्वती और कार्तिकेय का पूजन हुआ। भगवान महाकाल को फल-मिष्ठान का भोग अर्पित किया गया। नंदी हॉल में नंदी जी का विशेष पूजन हुआ। महा निर्वाणी अखाड़े की ओर से भगवान महाकाल को भस्म अर्पित की गई, जिसके बाद पूरा मंदिर “जय महाकाल” के जयकारों से गूंज उठा।