मध्य्प्रदेश

अधिकारीयों के अजीबो-गरीब फैसले, आशा-आंगनवाडी कार्यकर्ता करेंगे पॉजिटिव मरीजों के संपर्क में आए लोगों की कॉन्टेक्ट टेसिंग का काम

भोपाल
राजधानी में एक तरफ जहां कोरोना का खतरा लगातार बढ़ता जा रहा है वहीं कोरोना कंट्रोल के दावे करने वाले अधिकारी अजीबो-गरीब फैसले ले रहे हैं। पॉजिटिव मरीजों के संपर्क में आए लोगों की कॉन्टेक्ट टेसिंग का काम अब तक डॉक्टर और चिकित्सा छात्र करते आ रहे थे। लेकिन अब ये जिम्मेदारी आशा और आंगनवाडी कार्यकर्ताओं को देने की तैयारी की जा रही है। इसके लिए दो दिन पहले कार्यकर्ताओं को ट्रेनिंग भी दी जा चुकी है। प्रशासन द्वारा शुरू की जा रही इस नई व्यवस्था से बढ़ते कोरोना को कंट्रोल करने की प्लानिंग पर सवाल उठ रहे हैं।

बीते चार महीनों से लगातार सर्वे में लगीं आशा कार्यकर्ताओं को मात्र एक हजार रुपए महीना यानि महज 33 रुपए प्रतिदिन दिया जा रहा है। जबकि आम दिनों में आशा कार्यकर्ताओं को अपने काम के बदले 10 हजार रुपए तक प्रोत्साहन राशि मिल जाती थी। कोरोना संकटकाल में बिना संसाधनों के आशा और आंगनबाड़ी कार्यकर्ताओं को विभाग मास्क तक मुहैया नहीं करा रहा है। इधर तीन महीने के लिए नियुक्त किए गए डॉक्टर्र्स को अब तक सैलरी नहीं मिल पाई है। इस वजह से ये व्यवस्था बदलने की बात कही जा रही है।

पॉजिटिव मिल रहे मरीजों के फर्स्ट कॉन्टेक्ट में आए लोगों और संक्रमित इलाकों में सेंपलिंग के नाम पर अब खानापूर्ति की जा रही है। दो महीने पहले जहां सौ टीमें फील्ड में सेंपलिंग कर रहीं थीं। लेकिन अब दो दर्जन से भी कम टीमें शहर में सेंपल ले रहीं हैं। सूत्र तो यहां तक बताते हैं कि सेंपलिंग टीमों को भी ये कह दिया गया है कि कम से कम सेंपल लिए जाएं। क्योंकि अब जो सेंपल जांचे जा रहे हैं उनमें बडे पैमाने पर पॉजिटिव मिल रहे हैं।

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