मध्य्प्रदेश

6 हजार से अधिक दैवेभो कर्मचारियों को नहीं मिला अब तक वेतन, निगम आयुक्त नहीं उठ रहे कर्मचारियों का फोन

भोपाल
नगर निगम की आठ शाखाओं के लगभग 6 हजार से अधिक दैवेभो कर्मचारी वेतन का इंतजार कर रहे हैं। इन कर्मचारियों को मई और जून माह का वेतन अब तक नहीं मिला है। इससे इनकी आर्थिक स्थिति लड़खड़ा गई है। इस मामले को लेकर दैवेभो कर्मचारियों ने विभागीय अफसरों से बात की, लेकिन कोई सुनवाई नहीं हुई। ननि के आला अधिकारियों ने जब इस मामले को गंभीरता से नहीं लिया तबथक हार कर कर्मचारियों ने नगर निगम आयुक्त वीएस चौधरी कोलसानी को फोन किया, लेकिन उन्होंने भी फोन रिसीव नहीं किया।

निगम आयुक्त कर्मचारी और नागरिकों की परेशानी को गंभीरता से नहीं ले रहे हैं। शहर के नागरिक भी निगम आयुक्त को कई बार अपनी परेशानी बताने के लिए फोन कर चुके हैं, लेकिन वह फोन नहीं उठते। एक तरफ शहर की जनता और कर्मचारी परेशान हैं, वहीं दूसरी तरफ कमिश्नर के इशारों पर ठेकेदारों को मोटी रकम का भुगतान किया गया है।  

निगम के सैकड़ों दैवेभो कर्मचारियों के सामने जहां दो वक्त की रोटी का संकट खड़ा हो गया है। वहीं दूसरी तरफ निगम आयुक्त वीएस चौधरी कोलसानी के इशारों पर चेहते ठेकेदारों को भुगतान किया जा रहा है। निगम की माली हालात पहले ही खराब है। इसके बावजूद कमिश्नर ने चार बड़े ठेकेदारों को अपने इशारे पर बिल का भुगतान करवाया है। जबकि कई अन्य ठेकेदार मार्च के पहले किये गए कामों के बिल लगाकर भुगतान का इंतजार कर रहे हैं, लेकिन उनके बिल अब तक पेंडिंग है। निगम में चर्चा है कि जिनका कमिश्नर से सीधा संपर्क है। उनके बिलों का तुरंत भुगतान होने लगा है।

नगर निगम प्रशासक कविंद्र कियावत के ड्रीम प्रोजेक्ट को लेकर निगम आयुक्त लापरवाही बरत रहे हैं। दरअसल शहर के हर जोन में बदहाल दो पार्क विकसित  करने के उन्होंने निर्देश दिये हैं, लेकिन अभी तक निगम के उद्यान शाखा ने एक भी पार्क विकसित नहीं किया है। निगम आयुक्त कई प्रोजेक्ट का काम देखने के लिए निरीक्षण कर चुके हैं लेकिन शाखा के अफसर उनकी बातों को तवज्जो तक नहीं दे रहे। बदहाल पार्काें में मच्छरों के आंतक से जनता परेशान हैं। लोग शिकायत करते हैं, लेकिन न कटाई होती है न सफाई हो रही है।

शहर में सेनिटाइजेशन का काम पिछले 3 महीने से निगम कर रहा। खास बात यह है कि स्वास्थ्य विभाग के अपर आयुक्त शशवत मीणा को सेनिटाइजेशन के संबंध में कोई जानकारी नहीं है। सेनिटाइजर और उपकरण कब खरीदे गए। इसकी उनको कोई जानकारी नहीं है। इस संबंध में स्टोर का काम देख रहे अशोक नागर ने बताया सीएसआर के तहत सेनिटाइजर मिला है। उसको अब तक यूज किया जा रहा है। हालांकि सेनिटाइजेंशन के मामले में गोलमाल की आशंका जताई जा रही। यदि इसकी जांच हुई तो कई खुलासे हो सकते हैं। अपर आयुक्त राजेश राठौर ने निगम से जाने से पहले शहर में सेनिटाइजेशन के सभी उपकरण और संसाधानों की खरीदी की थी।

 

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