मध्य्प्रदेश

संदिग्ध मरीजों की रिपोर्ट आने में देरी, जिम्मेदार अधिकारी का कहना दो दिन तक रिपोर्ट पता न मिले तो समझ ले रिजल्ट निगेटिव

भोपाल
कोरोना के खतरनाक वायरस ने लाखों जिंदगियां बर्बाद कर दी हैं। सरकार इस बीमारी की जल्दी पहचान (अर्ली डिटेक्शन)के लिए कई बार निर्देश दे चुकी है, लेकिन राजधानी में बीते तीन महीनों में संदिग्ध मरीजों की रिपोर्ट के लिए लोग भटक रहे हैं। हालात ऐसे हैं कि कई दिनों तक जब रिपोर्ट का पता नहीं चलता तो लोग दूसरी और तीसरी बार अपना सैंपल देकर जांच करा लेते हैं। राजधानी में सीएमएचओ और कलेक्टर बदल गए, लेकिन ये अव्यवस्था अब तक बरकरार है।

कोरोना संकटकाल में बीते साढे तीन महीनों में सैंपल देने के बाद रिपोर्ट के लिए लोग दफ्तरों और अस्पतालों के चक्कर लगाते घूम रहे हैं। अस्पताल वाले सीएमएचओ दफ्तर में पता करने का बोलते हैँ और यहां कोई जिम्मेदार बताने को तैयार नहीं। स्मार्ट सिटी में बनाए गए कंट्रोल रूम में भी कोई अधिकारी इस मामले में जवाब नहीं देते। जिले में स्वास्थ्य विभाग के जिम्मेदार अधिकारी कहते हैं कि दो दिन तक यदि रिपोर्ट पता न चले तो समझ लो रिजल्ट निगेटिव है।

राजधानी में कोरोना के रिपोर्टिंग सिस्टम में ऐसी अव्यवस्था का आलम है कि दूसरी बीमारियों के मरीजों और गर्भवती महिलाओं की प्रसव के पहले कोरोना की जांच के लिए सैंपल लैब में भेजे जाते हैं। कई मरीजों को संदिग्ध मानकर अस्पतालों में समय पर सही इलाज भी नहीं मिल पाता। कई बार मरीजों की मौत होने के बाद भी रिपोर्ट के बिना शव भी नसीब नहीं हो पाता। सुल्तानिया अस्पताल में पिछले महीने सुंदर नगर की गर्भवती महिला रश्मि साहू को गंभीर हालत में सुल्तानिया अस्पताल में भर्ती कराया था। इससे पहले जेपी अस्पताल में उसके  सैंपल जांच के लिए भेजे गए थे। उसके पेट में बच्चे की मौत होने के कारण उसकी 18 जून को सुल्तानिया में मौत हो गई थी। पत्नी की मौत के बाद शव के लिए पति अस्पताल पंहुचा तो रिपोर्ट लाने को कहा गया। पति ने स्वास्थ्य विभाग के अधिकारियों से लेकर कलेक्टर तक से रिपोर्ट के लिए मदद मांगी। जब तक रिपोर्ट आती तब तक नगर निगम की टीम आई और उसका अंतिम संस्कार कर दिया। बाद में पता चला कि रश्मि को कोरोना नहीं था।

रिपोर्ट समय पर पता न चलने से लोग अपनी दूसरी और तीसरी बार सेंपल देकर जांच करा रहे हैं। इससे जहां किट बर्बाद हो रहीं हैं। वहीं मरीजों की हालत भी बिगड़ रही है। स्वास्थ्य विभाग के अधिकारी भी मानते हैं रिपोर्ट की सूचना संबंधित व्यक्ति तक न पंहुचने की व्यवस्था सबसे ज्यादा भोपाल में ही खराब है। लेकिन आईडीएसपी की जिम्मेदार कर्मचारियों पर कार्रवाई का साहस नहीं कर पा रहे हैं।

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