मध्य्प्रदेश

अब फसल बीमा की अनिवार्यता मध्यप्रदेश में समाप्त

भोपाल
प्रदेश के एक करोड़ किसानों के लिए अच्छी खबर है। अब सहकारी बैंक उनका जबरिया फसल बीमा नहीं करेंगे। यह पूरी तरह एच्छिक होगा। बस योजना से बाहर आने के लिए उन्हें बैंक को 24 जुलाई तक लिखित में आवेदन देना होगा।

मध्यप्रदेश में इस समय एक करोड़ किसान है। राजस्व रिकार्ड में लगभग अस्सी लाख किसान खेती करते है। वहीं पैतीस लाख लोग हर साल सहकारी बैंको से बिना ब्याज केअल्पकालीन कृषि ऋण लेते है। कर्ज लेने वाले सभी किसानों का प्रधानमंत्री फसल बीमा योजना के अंतर्गत अनिवार्य बीमा  होता है। अपैक्स बैंक और जिला सहकारी बैंक फसल के रकबे के हिसाब से पंजीयन कराने और कर्ज लेने वाले सभी किसानों का तय बीमा कंपनियों से बीमा करवाते है। कर्जदार किसानों का फसल बीमा अनिवार्य होता है। इसकी प्रीमियम के रुप मे किसानों से हर साल 350 करोड़ रुपए लिए जाते है और केन्द्र सरकार इसमें दो हजार करोड़ रुपए तथा राज्य सरकार भी इतना ही लगभग दो हजार करोड़ रुपए का अंशदान करती है। किसानों से यह राशि फसल उपार्जन के समय उनको दिए गए कर्ज के साथ ही काट ली जाती है।

जो भी किसान अल्पकालिक फसल ऋण लेते है और जो अपनी फसलों का बीमा नहीं कराना चाहते है उन्हें इस साल बीमा की अंतिम तारीख 31 जुलाई 2020 से सात दिन पूर्व 24 जुलाई तक संबंधित बैंक को लिखित में आवेदन देना होगा कि वे इस साल फसल बीमा योजना का लाभ नहीं लेना चाहते। आवेदन करके वे योजना से बाहर आ जाएंगे और सहकारी बैंक उनसे प्रीमियम की राशि की वसूली नहीं करेंगे।

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