मध्य्प्रदेश

बुजुर्ग मरीज को पलंग से बांधे जाने के मामले पर 27 जुलाई को हाईकोर्ट में सुनवाई

जबलपुर
कोरोना संकटकाल में निजी अस्पतालों में इलाज के लिए भर्ती होने वाले मरीजों से मनमानी वसूली हो रही है। दो महीने पहले शाजापुर के एक निजी अस्पताल में बिल न चुकाने पर बुजुर्ग मरीज को पलंग से बांधे जाने के मामले पर हाईकोर्ट में सुनवाई हुई।

सुप्र्रीम कोर्ट के अधिवक्ता डॉ. अश्विनी कुमार ने 8 जून को सुप्रीम कोर्ट के चीफ जस्टिस को पत्र लिखकर शाजापुर की घटना पर कार्रवाई का अनुरोध किया था। सुप्रीम कोर्ट ने इस मामले को हाईकोर्ट में अग्रेसित करते हुए बतौर जनहित याचिका सुनवाई के आदेश दिए हैं। सर्वोच्च्य न्यायालय के निर्देश पर हाईकोर्ट के मुख्य न्यायाधीश अजय कुमार मित्तल व जस्टिस विजय कुमार शुक्ला की युगलपीठ ने इस मामले पर गाइडलाइन पर गंभीरतापूर्वक विचार करेंगे। इसी सिलसिले में सुझाव पेश करने के लिए वरिष्ठ अधिवक्ता नमन नागरथ को कोर्ट मित्र (एमिकस क्यूरी) नियुक्त किया गया है। अगली सुनवाई 27 जुलाई को निर्धारित की गई है।

हाईकोर्ट ने शाजापुर के मामले पर सुनवाई करते हुए यह पाया कि पूर्व में भी इस तरह के मामले समय-समय पर सामने आते रहे हैं। वर्तमान कोरोना काल में निजी अस्पतालों की भूमिका भी अत्यंत महत्वपूर्ण हो गई है। आर्थिक रूप से कमजोर मरीज निजी अस्पताल का बिल चुका पाने की स्थिति में नहीं होता। इसी तरह के अन्य सवालों के जवाब तलाशने और निजी अस्पतालों के लिए एक आदर्श आचार संहिता अथवा गाइडलाइन निर्धारित करने की आवश्यकता है।

मामला सुप्रीम कोर्ट के वरिष्ठ अधिवक्ता डॉ.अश्विनी कुमार की जागरुकता की वजह से हाईकोर्ट तक पहुंचा। उन्होंने आठ जून को भारत के प्रधान न्यायाधीश को एक पत्र भेजा था। जिसमें जानकारी दी गई थी कि मध्यप्रदेश के शाजापुर जिले में एक बुजुर्ग मरीज को बिल न चुकाने पर निजी अस्पताल प्रबंधन द्वारा पलंग से बांध दिया गया। सुप्रीम कोर्ट ने जानकारी पर संज्ञान लेते प्रकरण हाई कोर्ट भेज दिया।

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