लाइफस्टाइल

दिनभर की थकान ही नहीं डिमेंशिया भी दूर भगाएगा डॉग, ताजा स्टडी में हुआ खुलासा

नई दिल्ली
क्या आप भी उन लोगों में से हैं, जो अपने पेट को देखते ही अपनी दिनभर भी थकान भूल जाते हैं। पेट्स हमारे लाइफ का एक बेहद अहम और खूबसूरत हिस्सा होता है। यही वजह है कि लोग उन्हें इतना प्यार देते हैं कि वह उनके परिवार का हिस्सा बन जाते हैं। आपको प्यार देने के साथ ही पेट्स खासकर डॉग्स आपको कई स्वास्थ्य समस्याओं से भी बचा सकते हैं। इन दिनों काम के बढ़ते प्रेशर की वजह से लोग कई तरह की दिमागी समस्याओं का शिकार बन रहे हैं। डिमेंशिया इन्हीं समस्याओं में से एक है, जिससे आजकल कई लोग परेशान हैं। इस समस्या से निजात पाने के लिए लोग कई उपाय अपनाते हैं, लेकिन क्या आप जानते हैं कि डॉग्स इस समस्या का खतरा कम कर सकते गैं। दरअसल, हाल ही में सामने आई एक नई स्टडी में यह पता चला कि अगर आप एक पेट पेरेंट हैं, तो आपको 65 साल तक के लोगों में डिमेंशिया का खतरा 40% तक कम हो सकता है। आइए जानते हैं कैसे डॉग्स डिमेंशिया के खतरे को कम करते हैं।

तनाव कम करे
अगर आपके पास एक पेट डॉग है, जो उनके साथ बातचीत करने से तनाव और चिंता के स्तर में कमी आती है। डॉग को प्यार से सहलाने से ऑक्सीटोसिन रिलीज होता है, जो तनाव कम करने से जुड़ा एक हार्मोन है। लंबे समय तक तनाव डिमेंशिया के लिए एक जोखिम कारक माना जाता है। ऐसे में कुत्ते तनाव कम कर आपको डिमेंशिया ने बचाने में मदद करते हैं।

ज्यादा फिजिकल एक्टिविटी
पेट डॉग को एक्टिव रहने के लिए रोजाना वॉक और एक्सरसाइज की जरूरत होती है। ऐसे में उनके साथ जब आप भी फिजिकल एक्टिविटी करते हैं, तो इससे आपके दिल की सेहत में सुधार होता है और डिमेंशिया से जुड़े जोखिम कारक कम होते हैं। नियमित एक्सरसाइज से कॉग्नेटिव फंक्शन बेहतर होता है और कॉग्नेटिव डिसऑर्डर के विकसित होने का खतरा कम होता है।

फिक्स्ड रूटीन
डॉग्स के साथ रहने से आपकी दिनचर्या भी व्यवस्थित और तय रहती है। इसकी वजह से आपकी लाइफस्टाइल काफी फिक्स रहती है, जिससे मानसिक स्वास्थ्य को फायदेमंद हो सकता है। एक तय दिनचर्या को फॉलो करने से तनाव के स्तर को कम करने में मदद करती है।

सामाजिक संपर्क बढ़ता है
डॉग्स एक सोशल एनिमल है और उनका साथ आपको अकेलेपन और अलग होने की भावनाओं का सामना करने में मदद करता है। अपने कॉग्नेटिव फंक्शन को बनाए रखने के लिए सामाजिक जुड़ाव जरूरी है और डॉग्स रखने से सामाजिक संपर्क बढ़ता है।
 

दिमाग को एक्टिव रखे
कुत्ते की देखभाल करने के लिए आपको प्रशिक्षण, खेल और प्रॉब्लम सॉल्विंग जैसी विभिन्न गतिविधियां करनी होती हैं। इससे आपका दिमाग ज्यादा एक्टिव और तेज बनता है और इस तरह आप डिमेंशिया के खतरे को कम कर सकते हैं।

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