रायपुर। छत्तीसगढ़ कैडर के वरिष्ठ IFS अधिकारी अरुण प्रसाद पी ने आखिरकार भारतीय वन सेवा से अपने कदम पीछे खींच लिए हैं। भारत सरकार ने उनके इस्तीफे को मंजूरी दे दी है, जिससे राज्य पर्यावरण संरक्षण मंडल के सदस्य सचिव के रूप में उनका कार्यकाल आधिकारिक रूप से समाप्त हो गया है।
प्रशासनिक सेवा से अचानक विदाई
अरुण प्रसाद ने बीते महीने अपना इस्तीफा राज्य सरकार को सौंपा था, जिसमें उन्होंने “व्यक्तिगत कारणों” का हवाला दिया था। हालांकि, सूत्रों के मुताबिक यह फैसला अचानक नहीं, बल्कि लंबे समय से विचाराधीन था। उनका इस्तीफा अब औपचारिक रूप से स्वीकृत हो चुका है, जिससे प्रशासनिक हलकों में चर्चाओं का दौर और तेज हो गया है।
तमिलनाडु से छत्तीसगढ़ तक की प्रशासनिक यात्रा
2006 बैच के IFS अधिकारी अरुण प्रसाद, मूल रूप से तमिलनाडु के रहने वाले हैं, लेकिन उन्होंने छत्तीसगढ़ में पर्यावरण और औद्योगिक विकास के क्षेत्रों में कई अहम भूमिकाएं निभाईं।
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CSIDC (छत्तीसगढ़ स्टेट इंडस्ट्रियल डेवलपमेंट कॉर्पोरेशन) के प्रबंध संचालक रहे
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मंडी बोर्ड के एमडी की अतिरिक्त जिम्मेदारी संभाली
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दंतेवाड़ा और राजनांदगांव जैसे संवेदनशील जिलों में DFO (वनमंडलाधिकारी) रहे
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और हाल तक वे राज्य पर्यावरण संरक्षण मंडल के सदस्य सचिव के रूप में कार्यरत थे
उनकी कार्यशैली को व्यावसायिक दक्षता और पर्यावरणीय समझ के बेहतरीन संतुलन के रूप में देखा जाता रहा है।
इस्तीफे के पीछे क्या है कहानी?
भले ही उनके इस्तीफे की वजह को “व्यक्तिगत कारण” बताया गया है, लेकिन अधिकारी स्तर पर कई तरह के अनुमान लगाए जा रहे हैं। कुछ इसे संभावित केंद्रीय पदस्थापना से जोड़ रहे हैं, तो कुछ इसे प्राइवेट सेक्टर या अंतरराष्ट्रीय संस्थाओं में नई भूमिका के संकेत के रूप में देख रहे हैं।