छत्तीसगढ़

किल कोरोना सर्वे में आंगनवाड़ी कार्यकर्ताओं को नहीं मिले ग्लब्ज, मास्क, सेनिटाईजर

खरगोन
एक जुलाई से शुरू हुए किल कोरोना अभियान की सर्वे टीम में आंगनवाड़ी कार्यकर्ता व सहायिकाओं को शामिल किया गया है। सर्वे के दौरान कोरोना वायरस से बचाव के लिए सुरक्षा उपकरण उपलब्ध नहीं कराए जाने पर आंगनवाड़ी कार्यकर्ता/ सहायिका संघ ने सर्वे समाप्ति के दो दिन पहले नाराजगी जताते हुए प्रशासन ने पीपीई कीट, मास्क, सेनेटाईजर आदि उपलब्ध कराने की मांग की है। संघ की यामिनी पाटील ने बताया कि सर्वे में लगी किसी भी कर्मचारी को अब तक पूरी सुरक्षा किट नहीं दी है।

सर्वे के दौरान अधिकांश कर्मचारी बिना पीपीई कीट, ग्लब्स, सैनिटाइजर और मास्क के ही सर्वे कर रहे हैं। इस स्थिति से टीम को संक्रमण होने का खतरा भी बना हुआ है, क्योंकि महिला कर्मचारी मुंह पर चुन्नी, स्कार्फ, रूमाल लपेटकर ड्यूटी कर रही हैं। कई कर्मचारी खुद के रुपए खर्च कर रोजाना मास्क खरीदने को मजबुर है। पाटील ने बताया कि तीन माह से आंगनवाड़ी कार्यकर्ता, सहायिका को पूरा मानदेय भी नहीं मिला है, बावजूद इसके वे जान जोखिम में डालकर अपनी ड्यूटी ईमानदारी से निभा रही है। उल्लेखनीय है कि पिछले दिनों आंगनवाड़ी कार्यकर्ता के संक्रमित होने के मामले भी सामने आए है। 15 जुलाई तक चलने वाले सर्वे के दौरान टीम को सोशल डिस्टेंस का पालन करते हुए लोगों की स्क्रीनिंग के साथ सर्दी, खांसी, बुखार, मलेरिया, डेंगू सहित गर्भवती महिलाओं के टीकाकरण की भी जांच करना है। ऐसे में एक भी संक्रमित की चपेट में आया तो पूरी चेन संक्रमित हो सकती है।

लोग नहीं देते सही जानकारी
पाटील ने जारी प्रेसनोट में बताया कि कोरोना संक्रमण की चैन तोडऩे के लिए चल रहे किल कोरोना अभियान में लगी टीमों को अजब, गजब स्थितियों का सामना करना पड़ रहा है। सर्वे के दौरान लोग ने केवल बुखार, खांसी, जुकाम जैसी बीमारियों को छिपा रहे हैं, कई लोग मेडिकल से सर्दी, खांसी व बुखार की दवाई, गोली लाने पर गलत मोबाइल नंबर सहित पता गलत बता रहे है, जिससे एएनएम व आशा कार्यकर्ता को सर्वे में परेशानी का सामना करना पड़ता है, लोग भी अपेक्षापूर्ण व्यवहार नहीं करते। 

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