छत्तीसगढ़

संसार दु:खों की खान है-साध्वी चंदनबालाश्री

रायपुर
भैरव सोसायटी पचपेड़ी नाका स्थित नाकोड़ा भैरव भवन में चातुमार्सिक में चल रहे प्रवचनमाला में साध्वी चंदनबालाश्रीजी महाराज साहब ने जिनशासन की अपूर्व प्रभावना करने वाले आचार्य अभयदेव सूरीजी के माध्यम से महापुरूषों के जीवन वृतांत का वर्णन किया। उन्होंने कहा- शासन तीर्थंकरों का और अनुशासन छद्मस्थें का होता है। वीर निर्वाण के बाद प्रभु के प्रथम शिष्य गौतम स्वामी को तुरंत केवलज्ञान हो गया, अत: शासन की धुरी को सुधर्मा स्वामी ने संभाला। वीर शासन के धुरंधर आचार्यों में जिनका जन्म धारा नगरी में माता धन्ना की कुक्षी से हुआ। माता-पिता को जिनेश्वर सूरि एवं बुद्धिसागर सूरी जैसे प्रभावशाली आचार्यों का संयोग मिला। भोग से योग में, अविरति से विरति में, आगार से अणगार बनने का सुयोग प्राप्त हुआ। संसार दु:खों की खान है, जलती हुई आग है, अगर संसार में सुख होता तो जंबुकुमार, शालीभद्र, धन्नाजी जैसे राजमहलों को छोड़कर विरति पथ पर प्रयाण नहीं करते।

8 वर्ष की उम्र में जिन्होंने संयम स्वीकार कर गुरू आज्ञा व जिन आज्ञा का पालन करते हुए तब बल, जप बल, साधना बल, स्वाध्याय बल से जिन शासन की महती प्रभावना करते हुए 16 वर्ष की आयु में आचार्य पद पर विभूषित हुए। ज्ञान स्थवीर, संयम स्थवीर, तप स्थवीर आचार्य नवांगी टीकाकार अभयदेवसूरिजी को भयंकर कुष्ठ रोग हो गया। उन्होंने संघ से कहा- मेरा शरीर संघ की सेवा के योग्य नहीं है, अत: मैं अनशन ग्रहण करूंगा। संघ ने मीटिंग कर सामूहिक अ_म की आराधना की। शासनदेवी प्रगट हुई। देवी ने खाखर वृक्ष के नीचे स्थित प्रतिमा का संकेत किया, जहां प्रतिदिन गाय स्तनों से दूध की धारा बहाती है। आचार्यदेव के साथसंघ वहां पधारे। जयतिहुअण स्तोत्र की 17वीं गाथा बोलते-बोलते जमीन फटकर भगवान पाŸवनाथ प्रगट हुए। आज भी खंभात में स्थंभन पाŸवनाथ विराजमान हैं। हम भाव से उस तीर्थ की यात्रा करके जीवन को सार्थक एवं सफल बनाने का प्रयास करें।
 
पूर्व मंत्री व विधायक सत्यनारायण ने लिया साध्वीभगवंत से आशीर्वाद
श्रीनाकोड़ा भैरव जैन श्वेताम्बर चातुर्मास समिति के प्रमोद सोनिगरा ने बताया कि पूज्य साध्वीवर्या से आशीर्वाद ग्रहण करने चातुर्मास स्थल पर रायपुर ग्रामीण विधायक व पूर्व मंत्री सत्यनारायण शर्मा का आगमन हुआ। इस प्रसंग पर शर्मा ने कहा कि जैन समाज में धन संग्रह की प्रवृत्ति नहीं है बल्कि दान की प्रवृत्ति है और इसलिए जैन समाज बहुत परोपकारी समाज है। उन्होंने कहा कि साधु-साध्वी का जीवन त्याग और तपस्या का जीवन है, मैं इन्हें हृदय से प्रणाम करता हूं। ये संतजन सभी के जीवन के सुख की कामना सदा करते हैं। इस अवसर पर अतिथि विधायक शर्मा के हाथों आयम्बिल के तपस्वी चंपालाल गुंडेचा का बहुमान किया गया। सभा का संचालन समिति के प्रेम चोपड़ा ने किया।

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