छत्तीसगढ़

रामायण का प्रभाव विषय पर हुई वेब संगोष्ठी

रायपुर
सरगुजा के जनजातीय समाज पर रामायण का प्रभाव विषय पर अंतरराष्ट्रीय वेबीनार का आयोजन सेंटर फॉर स्टडी आॅन होलिस्टिक डेवलपमेंट, छत्तीसगढ़ एवं इनसाइक्लोपीडिया आॅफ रामायण के छत्तीसगढ़ राज्य के प्रभारी और कार्यक्रम के संचालक इंडोलॉजिस्ट ललित शर्मा के निर्देशन में आयोजित किया गया।

डॉ. योगेन्द्र प्रताप सिंह निदेशक अयोध्या शोध संस्थान ने कहा कि मूर्त और अमूर्त परंपरा में विशेष कर आदिवासी अंचल सरगुजा में रामायण का व्यापक रुप से प्रसार है। कार्यक्रम के मुख्य अतिथि महंत राजेश्री डॉ रामसुंदर दास ने कहा कि छत्तीसगढ़ की संस्कृति में राम की उपलब्धता एवं खासकर सरगुजा अंचल संस्कृति पर उन्होंने विशेष ध्यान केंद्रित किया। डॉ. संयुक्ता भोवन सराह ने मॉरीशस की संस्कृति में राम और रामायण की महत्ता के विषय में सारगर्भित व्याख्यान दिया, उन्होंने कहा कि हमारे पूर्वज भारत से सिर्फ रामायण साथ लेकर आए थे और अपनी संस्कृति को बचाकर रखने का महत्वपूर्ण कार्य किया। संकट के समय में रामायण ही उनका सहारा बनी। मुख्य वक्ता पुनीत राय सरगुजा अंचल में जनजातियों में समाज पर रामायण के प्रभाव पर विस्तार से अपना व्याख्यान प्रस्तुत किया। मल्हार से 80 वर्षीय वृद्ध पं. हरिप्रसाद पाण्डेय ने रामायण के प्रसंगो से स्वरचित गुप्त कुंडलिया छंदो पाठन किया। उत्तरप्रदेश की लोक गायिकामती कुसुम वर्मा सस्वर अवध के लोकगीत को गाया और लोक जीवन में उनकी महत्ता पर प्रकाश डाला।

अपने अध्यक्षीय उदबोधन में प्रो. जीए घनश्याम ने कहा कि राम के बिना लोक जीवन की कल्पना ही नहीं की जा सकती। 19 जुलाई  रविवार को शाम 7 बजे दक्षिण कोसल की रामलीला एवं उसका सामाजिक प्रभाव विषय पर वेब संगोष्ठी के मुख्य वक्ता अशोक तिवारी, मुख्य अतिथि डॉ. नीलकंठ तिवारी, संस्कृति एवं पर्यटन मंत्री उत्तरप्रदेश तथा अध्यक्ष प्रो. सच्चिनन्द जोशी मेम्बर सेक्रेटरी आईएनजीसीए दिल्ली होंगे।

इस वेब संगोष्ठी में अयोध्या रिसर्च इंस्टिट्यूट के संचालक डॉ. योगेंद्र प्रताप सिंह, मुख्य अतिथि महंत राजेश्री डॉ. रामसुंदर दास, मुख्य वक्ता डॉ. पुनीत राय सहायक प्राध्यापक हिंदी शासकीय महाविद्यालय शंकरगढ़, अतिथि वक्ता डॉ. संयुक्ता भुवन राम साराह सेवा निर्वृत्त एसोसिएट प्राध्यापक और महात्मा गांधी संस्थान मारीशस के हिंदी अध्ययन विभाग प्रमुख, अतिथि वक्ता लोक गायिकामती कुसुम वर्मा लखनऊ, मल्हार के कवि कुंडलिया छंदों में सुंदरकांड एवं अन्य खंडकाव्यों के रचयिता हरिप्रसाद पाण्डेय, कार्यक्रम के अध्यक्ष प्रोफेसर जीए घनश्याम ओएसडी उच्च शिक्षा विभाग, डॉ नितेश मिश्रा  प्राध्यापक पंडित रविशंकर शुक्ल विश्वविद्यालय उपस्थित थे।

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