रायपुर
बिलासपुर लोकसभा सीट यहां ओबीसी वर्ग की बहुलता है. इसमें साहू और कुर्मी की जनसंख्या सबसे ज्यादा है. ओबीसी में यादव भी प्रभावी भूमिका में है. बिलासपुर लोकसभा क्षेत्र में दो जिला बिलासपुर व मुंगेली को शामिल किया गया है. यहां भिलाई नगर सीट से लगातार दो बार विधायक बने देवेंद्र यादव को बिलासपुर लोकसभा क्षेत्र से प्रत्याशी बनाया गया है.वही बीजेपी ने तोखन साहू को टिकट दिया है
देवेंद्र यादव
2008 में पहली बार एनएसयूआई के जिला अध्यक्ष बने. देवेंद्र 2009 में रुंगटा कॉलेज के एनएसयूआई प्रतिनिधि रहे .2009 से 2011 तक जिला अध्यक्ष एनएसयूआई रहे .2011 से 2014 तक प्रदेश अध्यक्ष एनएसयूआई रहे .2014 से 2015 तक राष्ट्रीय सचिव .2015 से 2016 तक राष्ट्रीय महासचिव एनएसयूआई रहे। 2017-18 में वे राष्ट्रीय सचिव यूथ कांग्रेस बनाए गए. 2020 से 2021 तक वे सदस्य पुस्तकालय समिति छत्तीसगढ़ विधानसभा रहे.
देवेंद्र यादव के नाम देश का सबसे उम्र के महापौर बनने का भी खिताब है. महज 25 साल 10 माह की उम्र में देवेंद्र भिलाई के मेयर बने. साल 2016 में वह चुनाव जीते .इसके बाद 2018 में पार्टी ने उन्हें भिलाईनगर सीट से टिकट दिया और पूर्व मंत्री प्रेम प्रकाश पांडेय को हरा दिया. महाराष्ट्र के डिप्टी सीएम देवेंद्र फंडनवीस के नाम सबसे कम उम्र का मेयर बनने का खिलाब था, जिसे देवेंद्र यादव ने तोड़ा था.
तोखन साहू
वर्तमान में भाजपा किसान मोर्चा के प्रदेश अध्यक्ष हैं. बात इनके सार्वजनिक और राजनीतिक जीवन की करें, तो तोखन साहू 2013 में पहली बार विधानसभा के लिए निर्वाचित हुए. 2014-15 में श्री साहू सदस्य महिलाओं एवं बालकों के कल्याण सम्बंधी समिति ,सदस्य प्रत्यायुक्त विधानसभा समिति, छत्तीसगढ़ विधानसभा रह चुके हैं. उसके बाद 2015 में वह संसदीय सचिव छत्तीसगढ शासन रहे. 2013 में तोखन ने निर्वाचन क्षेत्र क्रमांक 26 लोरमी से चुनाव लड़ा. इस चुनाव में तोखन को 52302 मत मिले थे. वहीं दूसरे नंबर पर कांग्रेस के धर्मजीत सिंह थे, जिन्हें 46061 वोट मिले और तोखन साहू विधायक चुने गए.
बिलासपुर लोकसभा क्षेत्र के अंतर्गत 8 विधानसभा सीटें आती हैं. बिलासपुर जिले में 6 विधानसभा सीट बिलासपुर, बिल्हा,बेलतरा,मस्तूरी,कोटा और तखतपुर तो वहीं मुंगेली जिले की दो सीट मुंगेली और लोरमी विधानसभा सीट शामिल है. विधानसभा चुनाव में 8 में से 6 पर भाजपा तो वहीं कोटा और मस्तूरी विधानसभा में कांग्रेस ने जीत हासिंल की है. 2019 मतदाता सूची के अनुसार 18 लाख 76 हजार 953 मतदाता है. इसमें पुरुष मतदाता की संख्या 9 लाख 53 दजर 659 वहीं महिला वोटरों की संख्या 9 लाख 23 हजार 203 है.
बिलासपुर लोकसभा सीट का 3 बार परिसीमन हुआ है. शुरुआत में यह सामान्य वर्ग के लिए आरक्षित थी. इसके बाद इसमें बदलाव करते हुए इसे अनुसूचित जाति वर्ग के लिए आरक्षित कर दिया गया. साल 2009 में इसे एक बार फिर सामान्य कर दिया गया. साल 1996 से इस सीट पर भाजपा का कब्जा रहा है. साल 1996 से 2004 के बीच 4 बार हुए लोकसभा चुनाव में भाजपा के पुन्नूलाल मोहले यहां से सांसद रहे. मोहले के नाम लगातार चुनाव जीतने का कीर्तिमान भी रहा है. उनके बाद भाजपा के दिग्गज नेता दिलीप सिंह जूदेव चुनाव लड़े. साल 2009 में जूदेव सांसद निर्वाचित हुए.
ओबीसी में यादव भी प्रभावी भूमिका में है. बिलासपुर लोकसभा क्षेत्र के अंतर्गत 9 विधानसभा सीटें आती हैं.बिलासपुर लोकसभा क्षेत्र में दो जिला बिलासपुर और मुंगेली को शामिल किया गया है. इनमें से दो अनूसूचित जाति के लिए आरक्षित हैं, जिनमें कोटा, तखतपुर, बेलतेरा, लोरमी, बिल्हा, मस्तूरी(एससी), मुंगेली(एससी) और बिलासपुर शामिल है. वर्तमान में बिलासपुर जिले में 8 तहसील, 7 ब्लॉक और 909 गांव शामिल हैं.
बिलासपुर का चुनावी इतिहास बेहद दिलचस्प है. कांग्रेस-भाजपा प्रमुख पार्टियों में 7 बार कांग्रेस तो 7 बार भाजपा चुनाव जीत चुकी है. केवल एक बार निर्दलीय प्रत्याशी तो एक बार लोकदल के प्रत्याशी को जीत मिली थी. 4 बार लोकसभा चुनाव जीत कर मुंगेली जिले के भाजपा नेता पुन्नूलाल मोहले ने पार्टी की जमीन तैयार की थी. उनके पहले कांग्रेस के रेशमलाल जांगड़े, भाजपा के लखनलाल साहू और अरुण साव मुंगेली जिले के रहने वाले और चुनाव जितने वाले सांसद बने. इस बार भी भाजपा ने मुंगेली जिले के साहू समाज के नेता और पूर्व विधायक तोखन साहू का नाम तय किया है. बिलासपुर लोकसभा सीट एक महत्वपूर्ण सीट है. यह सीट भाजपा के गढ़ के रूप में जानी जाती है.
बिलासपुर लोकसभा सीट पर BJP के अरुण साव ने कांग्रेस के अटल श्रीवास्तव को 1,41,763 वोटों से मात दी थी. बीजेपी के अरुण साव को 6.34 लाख मत हासिल हुए थे जबकि कांग्रेस के अटल श्रीवास्तव को 4.92 लाख वोट मिले थे। बीएसपी के उत्तम दास 21,180 मत हासिल कर तीसरे स्थान पर रहे थे. बिलासपुर सीट पर 4365 लोगों ने NOTA का बटन दबाया था. कुल मिले मतों में भाजपा को 52.47, कांग्रेस को 4०.75, बीएसपी को 1.75 और नोटा को 0.36 प्रतिशत मत हासिल हुए थे.
1952 में कांग्रेस के सरदार अमर सिंह सहगल ने जीत दर्ज की 1957 में कांग्रेस के रेशम लाल को मिली जीत 1962 में निर्दलीय उम्मीदवार सत्यप्रकाश जीते 1967 में कांग्रेस के अमर सिंह जीते 1971 में कांग्रेस के रामगोपाल तिवारी जीते 1977 में बीएलडी के निरंजन प्रसाद केशरवानी जीते 1980 में कांग्रेस आई के गोदिल प्रसाद अनुरागी को मिली जीत 1984 में कांग्रेस के खेलन राम जीते 1989 में बीजेपी के रेशम लाल जांगड़े को मिली जीत 1991 में कांग्रेस के खेलन राम जांगड़े को विजय मिला 1091 के बाद फिर बिलासपुर लोकसभा सीट पर कांग्रेस जीत नहीं पाई 1997 में बीजेपी के पुन्नूलाल मोहिले जीते 1998 में बीजेपी के पुन्नूलाल मोहिले फिर जीते 2004 में बीजेपी के पुन्नूलाल मोहिले तीसरी बार जीतेB2009 में बीजेपी के दिलीप सिंह जूदेव को विजयश्री मिली 2014 में बीजेपी के लखनलाल साहू को जीत मिली 2019 में बीजेपी के अरुण साव ने जीत दर्ज की.