बिलासपुर। मेडिकल कॉलेज हॉस्पिटल सिम्स (Career Institute of Medical Sciences) की बदहाली और मरीजों की बेसिक सहूलियत नहीं होने पर हाई कोर्ट में आज होने वाली सुनवाई से पहले सिम्स अधीक्षक के पद से डॉ. नीरज शेंडे हटा दिए गए है। इसके जगह पर डॉ. सुजीत नायक को जिम्मेदारी दी गई है। कोर्ट ने कहा कि जो व्यक्ति स्वयं अनफिट है, उसे अधीक्षक कैसे बना दिया गया। कोर्ट ने मुख्य सचिव, स्वास्थ्य सचिव के साथ कलेक्टर को सिम्स अस्पताल की पूरी रिपोर्ट के साथ आज कोट में तबल किया है।
मामले की सुनवाई करते हुए चीफ जस्टिस रमेश सिन्हा ने कहा कि समाचारों और सोशल मीडिया के माध्यम से सिम्स में खराब कामकाज की स्थिति और चिकित्सा सुविधाओं की कमी के बारे में नियमित रूप से रिपोर्ट आ रही है, लेकिन न्यायालय ने इस उम्मीद के साथ स्वतः संज्ञान लेने से खुद को रोक लिया कि चीजों में सुधार होगा, लेकिन ऐसा नहीं हो रहा है। लगातार सिम्स की खामियां सामने आ रही हैं। सिम्स पहुंचने वाले मरीजों को भारी कठिनाइयों का सामना करना पड़ रहा है। उन्हें बीमारियों का इलाज कराने में कठिनाई हो रही है, इसलिए दशहरा की छुट्टियों के दौरान संज्ञान लेने को विवश हो रहे हैं। कोर्ट ने डॉक्टरों की संख्या, सुविधाओं और पिछले तीन वर्षों के लिए सिम्स को आवंटित धन और उसके उपयोग के संबंध में हाईकोर्ट ने मुख्य सचिव, सचिव स्वास्थ्य और समाज कल्याण विभाग को व्यक्तिगत हलफनामा दो दिन के भीतर दाखिल करने कहा है।
सिम्स की तरफ से हाईकोर्ट में जवाब देने के लिए डीन डॉ. केके सहारे को जाना था, लेकिन निजी कारणों से वे हाईकोर्ट नहीं गए। उनके स्थान पर अस्पताल अधीक्षक डॉ. नीरज शेंडे हाईकोर्ट पहुंच गए। कोर्ट ने अस्पताल में मेडिकल प्रैक्टिशियर की जानकारी मांगी, यह पूछा कि यहां कितने एमडी और कितने एमबीबीएस डॉक्टर हैं? इसके बारे में भी डॉ. शेंडे जवाब नहीं दे पाए। उनसे स्ट्रेचर और व्हील चेयर के संबंध में पूछा गया तो उन्होंने कहा कि केजुअल्टी में 10 व्हील चेयर और 10 स्ट्रेचर हैं। चीफ जस्टिस सिन्हा ने कहा कि आप अपने चेंबर तक जाते हैं तो आपकों बदहाली नजर नहीं आती क्या ? मरीजों को सुविधा उपलब्ध कराने की जिम्मेदारी राज्य की है, हमारे पास बहुत काम है, लेकिन अब हम मजबूर होकर स्वतः संज्ञान ले रहे हैं।