मध्य्प्रदेश

MP में बच्चों को दी जा रही 5 दवाएं पाई गईं घटिया, 19 दवा कंपनियां ब्लैकलिस्ट!

भोपाल 

मध्यप्रदेश मेडिकल कॉर्पोरेशन लिमिटेड (MPMCCL) ने घटिया गुणवत्ता के कारण इस साल अब तक 19 दवाओं को ब्लैकलिस्ट किया है। इनमें से 5 दवाएं ऐसी हैं जो बच्चों को दी जाती थीं, जिससे सरकारी अस्पतालों में बच्चों को दी जा रही दवाओं की गुणवत्ता को लेकर गंभीर चिंता पैदा हो गई है। इन ब्लैकलिस्ट दवाओं में पेरासिटामोल ड्रॉप्स, जेंटामाइसिन इंजेक्शन, थायमिन टैबलेट्स, मल्टीविटामिन टैबलेट्स और एस्कॉर्बिक एसिड (विटामिन C) शामिल हैं। इन दवाओं का उपयोग आमतौर पर बुखार, दर्द, पोषण की कमी और संक्रमण जैसी समस्याओं में बच्चों को दिया जाता है। 

मार्च 2025 में पेरासिटामोल ड्रॉप्स को गुणवत्ता परीक्षण में असफल पाए जाने के बाद प्रतिबंधित किया गया था। वहीं, जेंटामाइसिन इंजेक्शन (40 mg/ml), जो आंखों और बैक्टीरियल संक्रमण के इलाज में प्रयुक्त होती थी, को अक्टूबर 2025 में ब्लैकलिस्ट किया गया। थायमिन टैबलेट्स IP 100 mg, जो बच्चों में विटामिन B1 की कमी दूर करने के लिए दी जाती थीं, जनवरी 2025 में बाजार से हटाई गईं। मल्टीविटामिन टैबलेट्स, जिनमें बी-कॉम्प्लेक्स और विटामिन C शामिल हैं, मई माह में गुणवत्ता जांच में फेल पाई गईं। वहीं एस्कॉर्बिक एसिड (विटामिन C 100 mg), जो बच्चों की इम्युनिटी बढ़ाने के लिए दी जाती थी, को मई 2025 में ही ब्लैकलिस्ट किया गया।

एमपी खाद्य एवं औषधि प्रशासन  ने भी बच्चों के लिए दी जाने वाली दवाओं की गुणवत्ता को लेकर जांच का दायरा बढ़ा दिया है। हाल ही में बच्चों में प्रतिकूल दवा प्रतिक्रिया की रिपोर्टों के बाद यह कार्रवाई की गई है।  खाद्य एवं औषधि प्रशासन के अधिकारी ने बताया कि जिन दवाओं के नमूने फेल पाए गए हैं, उन्हें तुरंत प्रतिबंधित कर दिया गया है। वहीं, विशेषज्ञों का कहना है कि यह स्थिति दवा नियंत्रण प्रणाली की गंभीर खामियों की ओर इशारा करती है। साथ ही सवाल उठाया है कि सरकार को प्रतिबंधित दवाओं वाली कंपनियों की भी जांच करने की पहल करनी चाहिए। इससे गड़बड़ियां पर रोक लगेगी। बता दें  छिंदवाड़ा की घटना के बाद दवाओं की गुणवत्ता को लेकर सघन जांच अभियान चलाया जा रहा है।

 

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