मुंबई
प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी और ब्रिटेन के प्रधानमंत्री कीर स्टारमर ने गुरुवार को भारत और ब्रिटेन के बीच व्यापार और रणनीतिक सहयोग को मजबूती देने की प्रतिबद्धता एक बार फिर दोहराई. दोनों नेताओं ने मुंबई में कई नए समझौते किए जिनका मकसद आर्थिक संबंधों को गहरा करना, शिक्षा में साझेदारी बढ़ाना और रक्षा व समुद्री सहयोग को मजबूत करना है. प्रधानमंत्री स्टारमर बुधवार को मुंबई पहुंचे थे. आज राजभवन में दोनों नेताओं ने संयुक्त प्रेस कॉन्फ्रेंस की. पीएम मोदी और स्टारमर ने भारत–यूके व्यापक आर्थिक और व्यापार समझौते के शीघ्र अनुमोदन की उम्मीद भी जाहिर की. अमेरिका के साथ भारत के व्यापारिक रिश्तों में आए तनाव के बाद ब्रिटेन व्यापारिक दृष्टिकोण से इंडिया के लिए बहुत अहम हो गया है.
कीर स्टारमर के इस दौरे के दौरान व्यापार और निवेश से संबंधित कुछ बड़े कदम भी दोनों देशों ने उठाए हैं.
कीर स्टारमर के इस दौरे के दौरान व्यापार और निवेश से संबंधित कुछ बड़े कदम भी दोनों देशों ने उठाए हैं. भारत-यूके सीईओ फोरम की पुनर्गठित बैठक का आयोजन किया गया. संयुक्त आर्थिक और व्यापार समिति (JETCO) को फिर से सक्रिय भी किया गया है. यह समिति भारत और ब्रिटेन के बीच हुए व्यापक आर्थिक और व्यापार समझौते (CETA) को लागू करने में मदद करेगी और दोनों देशों में नौकरी और आर्थिक विकास को बढ़ावा देगी. इसके अलावा दोनों देशों ने क्लाइमेट टेक्नोलॉजी स्टार्टअप फंड में नया संयुक्त निवेश किया गया. यह पहल ब्रिटेन सरकार और भारतीय स्टेट बैंक (SBI) के बीच हुए समझौते (MoU) के तहत की गई है. इसका उद्देश्य जलवायु तकनीक और आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस (AI) जैसे क्षेत्रों में नए और इनोवेटिव उद्यमियों को सहयोग देना है.
JETCO व्यापार समझौते में निभाएगा अहम भूमिका
आज सुबह दोनों देशों ने JETCO को पुनर्स्थापित करने के लिए टर्म ऑफ रेफरेंस पर हस्ताक्षर किए. दस्तावेज़ पर हस्ताक्षर के बाद केंद्रीय वाणिज्य मंत्री पीयूष गोयल ने एक्स पर एक पोस्ट में लिखा, “JETCO को फिर से सक्रिय करने के लिए हस्ताक्षर करना एक बड़ा कदम है. यह हमारे रणनीतिक साझेदारी के ढांचे को मजबूत करेगा, भारत-यूके CETA के कार्यान्वयन को बढ़ावा देगा और दोनों देशों के व्यापार को नए स्तर तक ले जाएगा.”
पीएम मोदी और ब्रिटिश पीएम की मौजूदगी में 3,884 करोड़ की
मुंबई में प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी और ब्रिटिश प्रधानमंत्री कीर स्टार्मर की मुलाकात के दौरान दोनों देशों ने 468 मिलियन डॉलर (करीब 3,884 करोड़ रुपये) की डिफेंस डील पर सहमति जताई है. इस समझौते के तहत ब्रिटेन इंडियन आर्मी को हल्के वजन वाली मल्टीरोल मिसाइलें (Lightweight Multirole Missiles) सप्लाई करेगा. थेल्स की कंपनी इन मिसाइलों का निर्माण करेगी.
रॉयटर्स की रिपोर्ट के मुताबिक, ब्रिटिश सरकार ने इसे अपने डिफेंस इंडस्ट्री और भारत के साथ गहराते सामरिक रिश्तों के लिए ऐतिहासिक मोड़ बताया है. यह मिसाइलें ब्रिटिश कंपनी थेल्स (Thales) द्वारा उत्तरी आयरलैंड में बनाई जाएंगी. ब्रिटिश सरकार का कहना है कि इस सौदे से करीब 700 ब्रिटिश नौकरियां सुरक्षित रहेंगी, जो फिलहाल यूक्रेन को हथियार सप्लाई करने वाले इसी संयंत्र में कार्यरत हैं. ब्रिटिश सरकार ने अपने बयान में कहा, यह डील भारत और ब्रिटेन के बीच कॉम्प्लेक्स वेपंस पार्टनरशिप की दिशा में बड़ा कदम है, जिस पर दोनों देश बातचीत कर रहे हैं.
भारत के लिए यह डील क्यों महत्वपूर्ण
भारत के पास पहले से ही कई तरह की मिसाइलें हैं, लेकिन आधुनिक, हल्की और मल्टीरोल मिसाइलें इंडियन आर्मी को तुरंत जवाब देने में मदद करेंगी. ये मिसाइलें समुद्र और जमीन दोनों जगहों पर इस्तेमाल की जा सकती हैं, जिससे रणनीतिक फ्लेक्सिबिलिटी बढ़ती है.
ब्रिटेन के साथ यह डील टेक्नोलॉजी ट्रांसफर का रास्ता खोलती है. इससे भारत को उन्नत मिसाइल तकनीक सीखने और संभवतः देश में स्थानीय निर्माण करने का अवसर मिलेगा. ब्रिटेन में इस सौदे से 700 नौकरियां सुरक्षित होंगी, और भारत के लिए भी यह रक्षा उद्योग में निवेश और उत्पादन बढ़ाने का संकेत है.
दोहरी साझेदारी पर जोर
मुंबई में हुई इस मुलाकात के दौरान दोनों नेताओं ने भारत-ब्रिटेन व्यापार संबंधों की भी समीक्षा की. कुछ महीनों पहले हुए मुक्त व्यापार समझौते (FTA) के बाद अब दोनों देश रक्षा और टेक्नोलॉजी साझेदारी पर भी फोकस कर रहे हैं. ब्रिटेन ने यह भी घोषणा की कि भारत के साथ नौसैनिक जहाज़ों के लिए इलेक्ट्रिक इंजन तकनीक पर भी एक नया समझौता हुआ है. इस प्रोजेक्ट का प्रारंभिक मूल्य 250 मिलियन पाउंड बताया गया है.
ट्रंप टैरिफ की काट है भारत-ब्रिटेन ट्रेड डील
भारत और ब्रिटेन के बीच हुआ व्यापक आर्थिक और व्यापार समझौता (CETA) भारत पर अमेरिकी टैरिफ के असर को कम करने में मदद करेगा. इससे भारत को ब्रिटेन के सर्विस सेक्टर में अहम जगह मिलेगी. इससे भारतीय टेक कंपनियों को राहत मिलेगी, जो फिलहाल ट्रंप टैरिफ की मार झेल रही है. समझौते से भारत का टेक्सटाइल निर्यात भी ब्रिटेन को बढ जाएगा. भारत पर बांग्लादेश और वियतनाम के मुकाबले ज्यादा टैरिफ होने से अमेरिका को इंडिया से होने वाला टेक्सटाइल एक्सपोर्ट सबसे ज्यादा प्रभावित हुआ है.
अगले साल जुलाई तक लागू होने वाली भारत-ब्रिटेन ट्रेड डील को अपने निर्यात में विविधता लाने में भी मदद करेगी. अमेरिकी टैरिफ की वजह से भारत का 40 अरब डॉलर का निर्यात प्रभावित होगा. इसकी भरपाई भारत अन्य बाजारों से करने में जुटा है और ब्रिटेन का साथ इसमें काफी अहम है.