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डूसू चुनाव: हाईकोर्ट का सख़्त रुख, जीत का जुलूस निकालने पर रोक

नई दिल्ली 
दिल्ली हाईकोर्ट ने डूसूस यानी दिल्ली विश्वविद्यालय छात्र संघ चुनावों को लेकर बुधवार को एक बड़ा आदेश जारी किया। दिल्ली हाईकोर्ट ने अपने इस आदेश में दिल्ली विश्वविद्यालय छात्र संघ चुनाव नतीजों के बाद राष्ट्रीय राजधानी में कहीं भी विजय जुलूस निकालने पर प्रतिबंध लगा दिया। एक दिन पहले भी दिल्ली हाईकोर्ट ने चुनाव प्रचार के दौरान छात्र संगठनों द्वारा नियमों की धज्जियां उड़ाने पर दिल्ली विश्वविद्यालय प्रशासन पर कड़ी टिप्पणियां की थीं।

बेहद कड़े संकेत
दिल्ली हाईकोर्ट ने बुधवार को सुनवाई के दौरान भी कठोर टिप्पणियां की और बेहद सख्ती के संकेत दिए। दिल्ली हाईकोर्ट ने कहा कि हम डूसू चुनाव में हस्तक्षेप नहीं कर रहे हैं लेकिन यदि चुनाव संतोषजनक तरीके से नहीं संपन्न कराए गए तो हम पदाधिकारियों का काम भी रोक सकते हैं।

जरूरी कदम उठाने के निर्देश
उच्च न्यायालय ने बुधवार को दिल्ली पुलिस, डीयू प्रशासन और नागरिक प्रशासन को डूसू चुनावों के दौरान अप्रिय घटनाओं को रोकने के लिए सभी जरूरी कदम उठाने के निर्देश दिए।

विजय जुलूस पर रोक
इसके साथ ही अदालत ने दिल्ली विश्वविद्यालय के उम्मीदवारों और छात्र संगठनों को 19 सितंबर को डूसू चुनाव के नतीजों के बाद राष्ट्रीय राजधानी में कहीं भी विजय जुलूस निकालने पर रोक लगा दी।

नहीं उड़नी चाहिए नियमों की धज्जियां
मुख्य न्यायाधीश डीके उपाध्याय और जस्टिस तुषार राव गेडेला की पीठ ने एकबार फिर यह सुनिश्चित करने का निर्देश दिया कि चुनावों के दौरान नियमों की धज्जियां ना उड़ाई जाएं। पीठ DUSU चुनावों के दौरान संपत्ति को नुकसान पहुंचाने (जैसे पोस्टर लगाना, दीवारों पर लिखना, इंफ्रास्ट्रक्चर को गंदा करना) से जुड़ी एक याचिका पर सुनवाई कर रही है।

कल भी दी थी हिदायत
उल्लेखनीय है कि एक दिन पहले यानी मंगलवार को सुनवाई के दौरान दिल्ली हाईकोर्ट ने कहा था कि दिल्ली यूनिवर्सिटी छात्र संघ चुनावों के दौरान नियमों का कोई उल्लंघन नहीं होना चाहिए। यह जिम्मेदारी यूनिवर्सिटी, दिल्ली पुलिस, उम्मीदवारों के साथ ही सभी छात्र संगठनों की है।

पिछले साल था बेहद कड़ा रुख
सनद रहे साल 2024 में भी हाई कोर्ट ने उम्मीदवारों और उनके समर्थकों की ओर से चुनाव प्रचार के दौरान संपत्तियों को हुए नुकसान की रिपोर्टों पर सख्त रुख अपनाया था। अदालत ने तब चुनाव नतीजों पर तब तक के लिए रोक लगा दी थी जब तक कि सभी पोस्टर, होर्डिंग और दीवारों पर लिखे स्लोगन हटा नहीं दिए गए और सरकारी संपत्ति को पहले जैसा नहीं कर दिया गया था।

 

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