रायपुर। CGMSC घोटाले के बाद साय सरकार ने बड़ा कदम उठाया है। छत्तीसगढ़ सरकार ने राज्य की स्वास्थ्य सेवाओं को और अधिक पारदर्शी और जवाबदेह बनाने की दिशा में एक बड़ी पहल करते हुए DPDMIS (ड्रग प्रोक्योरमेंट एंड डिस्ट्रीब्यूशन मैनेजमेंट इंफॉर्मेशन सिस्टम) पोर्टल को अब आम नागरिकों के लिए सार्वजनिक कर दिया है। स्वास्थ्य सेवाओं की निगरानी अब केवल अधिकारियों तक सीमित नहीं रहेगी, बल्कि आमजन भी दवा आपूर्ति, अस्पताल निर्माण की जानकारी ले सकेंगे। स्वास्थ्य मंत्री श्याम बिहारी जायसवाल ने डिजिटल पारदर्शिता की अभिनव पहल की है।
कांग्रेस सरकार में अधिकारियों और कारोबारियों ने सरकार को 550 करोड़ रुपए का आर्थिक नुकसान पहुंचाया था। IAS, IFS समेत अफसरों ने मिलीभगत कर सिर्फ 27 दिनों में करोड़ों रुपए की खरीदी की थी। इस पर लगाम लगाने अब DPDMIS (ड्रग प्रोक्योरमेंट एंड डिस्ट्रीब्यूशन मैनेजमेंट इंफॉर्मेशन सिस्टम) पोर्टल को आम नागरिकों के लिए सार्वजनिक कर दिया गया है। स्वास्थ्य संस्थानों जैसे मेडिकल कॉलेज, जिला अस्पताल, सीएचसी और पीएचसी में दवा, चिकित्सीय उपकरणों की आपूर्ति, वितरण, स्टॉक की स्थिति यहां तककीकि निर्माणाधीन अस्पताल भवनों की प्रगति को भी रियल-टाइम देखा जा सकता है।
अब हॉस्पिटल से दवा नहीं मिलने पर मरीज स्टॉक चेक करके सवाल उठा सकता है। दवा है तो दिया क्यों नहीं जा रहा है ? दवा नहीं है तो मंगाया क्यों नहीं गया ? दवा सप्लाई के लिए बजट छह माह पहले दिया जाता है तो दवा की कमी क्यों है ? मरीज़ या आम जनता प्रदेश के स्वास्थ्य संस्थानों जैसे मेडिकल कॉलेज, जिला अस्पताल, सीएचसी और पीएचसी में दवा और चिकित्सीय उपकरणों की आपूर्ति, वितरण, स्टॉक की स्थिति और यहां तक कि निर्माणाधीन अस्पताल भवनों की प्रगति को भी रियल-टाइम में देख सकेंगे।
CGMSC की प्रबंध संचालक पद्मिनी भोई ने इस पहल के बारे में कहा, पारदर्शिता केवल आंकड़ों तक सीमित नहीं रहनी चाहिए, बल्कि यह सुनिश्चित करना जरूरी है कि आमजन यह जान सकें कि उनके स्वास्थ्य के लिए सरकार द्वारा खर्च किया जा रहा प्रत्येक संसाधन कहां और कैसे उपयोग हो रहा है। यह पोर्टल उसी दिशा में एक प्रभावी कदम है। पद्मिनी भोई ने यह भी स्पष्ट किया कि DPDMIS पोर्टल न केवल स्वास्थ्य सेवाओं की दक्षता में अभिवृद्धि करेगा, बल्कि कार्य में पारदर्शिता, भ्रष्टाचार नियंत्रण तथा नागरिकों के विश्वास में वृद्धि के लिए एक प्रभावशाली माध्यम सिद्ध होगा। यह पहल छत्तीसगढ़ राज्य में सुशासन की दिशा में एक अनुकरणीय प्रयास है, जो भविष्य की स्वास्थ्य सेवा योजनाओं को सशक्त आधार प्रदान करेगी।
इस मुद्दे को उठाया था कि सरकारी हॉस्पिटल में मरीज़ों को दवा देने का प्रावधान है, लेकिन दवा की कमी या नहीं होने का बहाना बनाकर मरीजों को दवा नहीं दी जा रही है। साथ ही निजी मेडिकल स्टोर का रास्ता मरीजों को दिखाया जा रहा है। इस ख़बर के प्रकाशित होने के बाद स्वास्थ्य मंत्री ने पारदर्शी व्यवस्था कराने की बात कही थी।
CGMSC घोटाले में अधिकारियों और कारोबारियों ने सरकार को 550 करोड़ रुपए का आर्थिक नुकसान पहुंचाया. IAS, IFS समेत अफसरों ने मिलीभगत कर सिर्फ 27 दिनों में करोड़ रुपए की खरीदी की थी। CGMSC के अधिकारियों ने मोक्षित कार्पोरेशन को 27 दिन में 750 करोड़ का कारोबार दिया था। मेडिकल किट समेत अन्य मशीनों की आवश्यकता नहीं थी।
इसके बावजूद सिंडिकेट की तरह काम किया गया। आम जनता को निशुल्क डायग्नोस्टिक जांच उपलब्ध कराने के लिए सभी जिला अस्पतालों, एफआरयू सीएचसी, प्राथमिक स्वास्थ्य केन्द्रों और उप स्वास्थ्य केन्द्रों में हमर लैब योजना में खरीदे जाने वाले मेडिकल उपकरण, रीएजेंट्स की निविदा में पुल टेण्डरिंग और आवश्यक मात्रा से कहीं अधिक रीएजेंट्स की अनावश्यक खरीदी की गई थी।CGMSC के अधिकारी, मोक्षित कार्पोरेशन, रिकॉर्ड्स और मेडिकेयर सिस्टम, श्री शारदा इंडस्ट्रीज और सीबी कार्पोरेशन ने 8 रुपये में मिलने वाले EDTA ट्यूब 2,352 रुपए और 5 लाख वाली CBS मशीन 17 लाख में खरीदी थी।