बिलासपुर
शहर की सफाई व्यवस्था को दुरुस्त करने के लिए नगर निगम ने सफाई के टेंडर में एक नया नियम जोड़ा है। इसमें अनुभव को अनिवार्य कर दिया गया है। इस बदलाव के चलते अब केवल वे ठेकेदार ही टेंडर के पात्र होंगे, जिन्होंने पहले सफाई कार्य में अनुभव प्राप्त किया है।
हालांकि, इस नियम को लेकर विवाद खड़ा हो गया है। दरअसल, इससे नए ठेकेदारों के लिए टेंडर हासिल करना लगभग असंभव हो गया है। कई लोगों का मानना है कि यह नियम पुराने ठेकेदारों के पक्ष में एक तरह का आरक्षण साबित हो सकता है, जिससे सफाई व्यवस्था में सुधार की उम्मीद धूमिल होती दिख रही है।
नगर निगम द्वारा सफाई कार्यों के लिए समय-समय पर टेंडर जारी किए जाते हैं। इस बार के टेंडर में अनुभव को अनिवार्य शर्त बना दिया गया है। इससे नए ठेकेदारों के लिए मुश्किलें खड़ी हो गई हैं, क्योंकि जिनके पास पूर्व में सफाई का ठेका नहीं रहा, वे टेंडर प्रक्रिया में शामिल ही नहीं हो पाएंगे।
पुराने ठेकेदारों का बना रहेगा एकाधिकार
इससे पुराने ठेकेदारों का एकाधिकार बना रहेगा और वे अपनी मनमानी जारी रखेंगे। शहर में सफाई व्यवस्था पहले से ही सवालों के घेरे में है। वर्तमान में सफाई व्यवस्था की स्थिति खराब है, लेकिन पुराने ठेकेदारों पर कोई सख्त कार्रवाई नहीं की जाती।
अब जब टेंडर प्रक्रिया में अनुभव को अनिवार्य कर दिया गया है, तो वही ठेकेदार फिर से सफाई का काम संभालेंगे, जिनके कार्यों को लेकर पहले ही शिकायतें दर्ज हो चुकी हैं। नगर निगम द्वारा सफाई कार्यों की मानिटरिंग के बावजूद कचरा उठाने और नालों की सफाई में लापरवाही सामने आती रही है।
नालियां जाम, गलियों में नहीं उठाया जाता कचरा
शहर के कई इलाकों में गंदगी और कचरे के ढेर देखे जा सकते हैं। शहर की कई नालियां ठेकेदारों की मनमानी के कारण बजबजा रही हैं। तंग गलियों में कचरा उठाने कर्मचारी पहुंच नहीं पाते हैं। कई जगहों पर आधा कचरा उठाकर आधा छोड़ दिया जाता है।
मुख्य मार्ग को छोड़कर अंदर की गलियों की हालत खराब है। पुराने ठेकेदार लंबे समय से काम कर रहे हैं। जिम्मेदार अधिकारियों से सांठगाठ के कारण उन पर कार्रवाई नहीं हो पा रही है। इधर, नए नियम से पुराने ठेकेदारों को एक तरह से इस काम के लिए आरक्षण मिल गया है। जिससे उनकी मनमानी और बढ़ेगी।
मुख्य अभियंता ने जारी किया आदेश
मुख्य अभियंता राजकुमार मिश्रा ने पांच मार्च को आदेश जारी किया है। इसमें उन्होंने उल्लेख है कि नालियों की सफाई में वही ठेकेदार भाग ले सकता है, जिनके पास तीन साल का अनुभव हो। इसका सीधा मतलब है कि पुराने ठेकेदारों को लाभ पहुंचाना है। एक सवाल यह भी है कि क्या निगम आयुक्त के बिना हस्ताक्षर से आदेश जारी हो सकता है।