भिलाई। नगर निगम की टीम ने सोमवार को मस्जिद के नाम से किए गए अवैध कब्जे को तोड़ दिया। टीम ने एक मजार, दुकानें, वैवाहिक भवन, 40 फीट ऊंचे गेट सहित आसपास के कब्जा जमींदोज कर दिया है। इसमें मछली पालन और दुकान से लगे कई लोगों के घर भी टूटे हैं।
निगम का अमला सुबह करीब 5 बजे एडीएम, एसडीएम, तहसीलदार, 100 से ज्यादा जवान और कई थानों की फोर्स के साथ पहुंचा था। प्रशासन की टीम ने मस्जिद और एक मजार को छोड़कर सारे अतिक्रमण तोड़ दिया है। कब्जा खाली कराने का आदेश हाईकोर्ट ने दिया था। फिलहाल मलबा हटाने का काम चल रहा है।
मौलवी का कमरा और रहने की जगह छोड़ी
मस्जिद परिसर के अंदर एक मौलवी के लिए कमरा और एक जगह कुछ लोगों को रहने के लिए छोड़ी गई है। लोगों का आरोप है कि उन्हें निगम ने कोई नोटिस नहीं दिया और अचानक ही उनका मकान तोड़ दिया गया। इसको लेकर निगम और लोगों के बीच में काफी देर तक बहस भी हुई।
निगम अफसरों ने कहा कि जो भी गैर धार्मिक कब्जा है, सब तोड़ा जाएगा। इससे पहले इन्हें नोटिस दिया गया था, लेकिन इन्होंने नहीं हटाया, इसलिए कार्रवाई की जा रही है। वहीं करबला कमेटी ने इसका विरोध किया है और कब्जे को सही बताया है।
800 वर्ग फीट जमीन दी, ढाई एकड़ पर कब्जा किया
अफसरों के मुताबिक, 1984 में साडा (स्पेशल एरिया डेवलपमेंट अथॉरिटी) ने रायपुर-भिलाई मार्ग (जीई रोड) के किनारे करबला समिति को मस्जिद निर्माण के लिए 500-800 वर्ग फीट जमीन दी थी। आरोप है कि ढाई एकड़ जमीन पर अवैध कब्जा वहां दुकानें, मजार, शादीघर और बड़ा गेट बना दिया गया।
हाईकोर्ट ने दुर्ग कलेक्टर को दिए थे निर्देश
ये कब्जा सैलानी दरबार के नाम पर किया गया है। अवैध कब्जे को लेकर हाईकोर्ट में याचिका दायर की गई थी। कोर्ट ने दुर्ग कलेक्टर को 120 दिनों में निर्णय लेने का समय दिया था। इसके बाद निगम आयुक्त ने 3 दिन पहले नोटिस चस्पा कर कब्जा खाली करने के लिए कहा था।
भिलाई की अब तक की सबसे बड़ी कार्रवाई
अफसरों ने बताया कि, अवैध कब्जा नहीं हटाए जाने पर टीम उसे तोड़ने के लिए पहुंची है। यहां पर कई सालों से अवैध कब्जा कर दुकानें, मकान, मजार और अन्य चीजें विकसित कर ली गईं। इसे तोड़ने के लिए 10 जेसीबी, 30 डंफर, 2 चेन माउंटर लगाए गए हैं। इसे भिलाई में अब तक की सबसे बड़ी कार्रवाई बताया जा रहा है।
समिति ने कहा- 1957 से हमारा कब्जा
करबला कमेटी के सचिव गुलाब नबी ने अतिक्रमण की कार्रवाई का विरोध किया है। उन्होंने कहा कि, 1957 से मुस्लिम समाज का यहां कब्जा है। कोर्ट ने भी इसे माना है। साडा ने हमें लिखकर 72 डेसिमल दिया था। हम यहां 25 सालों से बच्चों की शादी करते आ रहे हैं।
दुकान और स्वागत द्वार क्या गलत है। निगम के बगल में बनाया, तब क्यों नहीं रोका गया। हमारा इमामबाड़ा तोड़ दिया, वो हमें दी गई जमीन पर ही था।
अफसर बोले- जो गैर धार्मिक, वो सब टूटेगा
नगर निगम भिलाई के अपर आयुक्त अशोक द्विवेदी ने कहा कि, हमारी नगर निगम की जमीन पर अतिक्रमण था। करीब 7-8 एकड़ में है ये। इनको नोटिस दिया गया था, लेकिन इन्होंने नहीं हटाया। इसके बाद कार्रवाई की जा रही है।
उन्होंने कहा कि, ये सेंसिटिव एरिया होता है। सक्षम स्तर पर आदेश होना होता है। जब हायर लेवल पर आदेश होते हैं, तब कार्रवाई करनी होती है। जो भी अतिक्रमण में है और गैर धार्मिक उपयोग का है उन सबको तोड़ा जाएगा।