इस्लामाबाद
पाकिस्तान के पंजाब प्रांत की विधानसभा के अध्यक्ष मलिक अहमद खान अपनी हरकतों को लेकर सुर्खियों में हैं। उन्होंने मुंबई आतंकवादी हमले के मास्टरमाइंड हाफिज सईद के नेतृत्व वाले प्रतिबंधित जमात-उद-दावा की ओर से आयोजित रैली में संगठन के शीर्ष नेताओं के साथ मंच साझा किया। पाकिस्तान मुस्लिम लीग-नवाज (PML-N) के नेता खान के पाकिस्तान की सेना के साथ घनिष्ठ संबंध हैं। मलिक अहमद खान ने 28 मई को कसूर में रैली में भाग लिया था। उन्होंने भारतीय नेतृत्व के खिलाफ उग्र भाषण दिया था और पहलगाम आतंकवादी हमले को फाल्स फ्लैग ऑपरेशन करार दिया था। फाल्स फ्लैग आपरेशन उस अभियान को कहते हैं जिसे कोई एक पक्ष अंजाम देता है, लेकिन उसे इस तरह से किया जाता है कि वह किसी दूसरे पक्ष की ओर से अंजाम दिया गया प्रतीत हो।
मलिक अहमद खान ने जेयूडी नेताओं सैफुल्लाह कसूरी, सईद के बेटे हाफिज तल्हा और कई अन्य व्यक्तियों के साथ मंच साझा किया। कट्टरपंथी इस्लामी पार्टी तहरीक-ए-लब्बैक पाकिस्तान (TLP) का प्रमुख साद हुसैन रिजवी भी मौजूद था। जब पत्रकारों ने खान से जेयूडी की रैली में उनकी उपस्थिति के बारे में पूछा, तो उन्होंने सोमवार को उल्टे सवाल किया कि बिना सबूत के वह (सैफुल्लाह) संदिग्ध कैसे हो सकता है?’ खान ने दावा किया, ‘पाकिस्तान ने भारत से कहा था कि वह पहलगाम घटना में उसकी संलिप्तता के सबूत दे, लेकिन उसने ऐसा नहीं किया। हमने मामले की जांच के लिए एक तटस्थ निकाय की पेशकश भी की थी, जिसे उसने खारिज कर दिया। उसने पाकिस्तान पर हमला करने का चयन किया, जिस पर पाकिस्तान ने जवाबी कार्रवाई की और कुछ ही घंटे में उसे मुंहतोड़ जवाब दिया।’
रैली में जाने को सही भी ठहराया
विधानसभा अध्यक्ष खान ने रैली में अपनी उपस्थिति को उचित ठहराते हुए कहा कि यह उनके निर्वाचन क्षेत्र में आयोजित की गई थी और उस मंच से उन्होंने शांति का संदेश दिया। मंगलवार को कसूरी ने प्रतिबंधित समूह की राजनीतिक शाखा – पाकिस्तान मरकजी मुस्लिम लीग की ओर से आयोजित रैली में हिस्सा लेने के खान के साहसिक रुख के वास्ते उन्हें धन्यवाद दिया। कसूरी ने एक बयान में कहा, ‘हम मलिक अहमद खान के आभारी हैं कि उन्होंने (28 मई को लाहौर से करीब 50 किलोमीटर दूर) कसूर में पीएमएमएल की रैली में भाग लेने को लेकर लगाए गए निराधार आरोपों का साहसिक और प्रभावी जवाब दिया।’ उन्होंने कहा कि अगर भारत सरकार के पास उसके खिलाफ सबूत हैं, तो उसे किसी भी अंतरराष्ट्रीय मंच पर इसे पेश करना चाहिए।
पाकिस्तान के पंजाब प्रांत के शीर्ष सैन्य, पुलिस और असैन्य नौकरशाह उन लोगों में शामिल थे, जो 7 मई को मुरीदके में जमात-उद-दावा मुख्यालय पर भारतीय हमलों में मारे गए जमात-उद-दावा के तीन सदस्यों के अंतिम संस्कार में शामिल हुए थे। जेयूडी की रैली एक अन्य कार्यक्रम था, जिसमें सत्तारूढ़ पीएमएल-एन के एक शीर्ष नेता ने हिस्सा लिया और उसे संबोधित किया। इससे यह पता चलता है कि केंद्र और पंजाब में सेना समर्थित सरकार इस समूह को अपना समर्थन देने में कोई रोक नहीं लगा रही है, जिसे भारत आतंकवादी संगठन कहता है जो पाकिस्तान में भी प्रतिबंधित है।