छत्तीसगढ़

ट्रेड यूनियनों का ‘भारत बंद’, 25 करोड़ से ज्यादा कर्मचारी आज हड़ताल..क्या खुला रहेगा और क्या होगा बंद? जानें हर सवाल का जवाब..

नई दिल्ली। आज, 9 जुलाई 2025 को पूरे देश में “भारत बंद” का व्यापक असर देखने को मिल रहा है। देशभर में 25 करोड़ से ज्यादा कर्मचारी राष्ट्रव्यापी हड़ताल पर हैं। इस बड़े आंदोलन का आह्वान 10 केंद्रीय ट्रेड यूनियनों और उनकी सहयोगी इकाइयों द्वारा किया गया है, जो सरकार की श्रमिक, किसान और राष्ट्रविरोधी मानी जा रही नीतियों के खिलाफ एकजुट हुए हैं।

यह हड़ताल केवल एक प्रदर्शन नहीं बल्कि सरकार को सीधा संदेश देने की रणनीतिक कोशिश मानी जा रही है। इसका असर विभिन्न जरूरी सेवाओं पर भी पड़ने की आशंका है, जिससे आम जनता को भी परेशानियों का सामना करना पड़ सकता है।

क्या-क्या रहेगा बंद?

ट्रेड यूनियनों की इस हड़ताल में भाग लेने वाले कर्मचारी विभिन्न क्षेत्रों से हैं। इनमें शामिल हैं:

  • बैंकिंग सेक्टर: सरकारी बैंक शाखाएं, लेनदेन, चेक क्लियरिंग आदि प्रभावित रहेंगे।

  • बीमा कंपनियां: LIC सहित कई सरकारी बीमा कंपनियों में कामकाज ठप।

  • पोस्ट ऑफिस: ग्रामीण और शहरी डाक सेवाएं प्रभावित।

  • कोयला खदानें: SECL, Coal India जैसी कंपनियों के श्रमिक हड़ताल में शामिल।

  • राज्य परिवहन सेवाएं: कई राज्यों में सरकारी बसें नहीं चलेंगी या सीमित संख्या में संचालित होंगी।

  • हाईवे निर्माण और कंस्ट्रक्शन कार्य: राष्ट्रीय राजमार्ग परियोजनाओं और शहरी निर्माण गतिविधियों पर असर।

  • सरकारी फैक्ट्रियां और पीएसयू: BHEL, HAL, और अन्य सरकारी कंपनियों का प्रोडक्शन प्रभावित।

 क्या-क्या रहेगा खुला?

  • निजी क्षेत्र की कंपनियां: IT, प्राइवेट बैंक, MNCs और निजी फर्में सामान्य रूप से काम करेंगी।

  • अस्पताल और इमरजेंसी सेवाएं: सरकारी और निजी अस्पताल, एंबुलेंस, मेडिकल स्टाफ अपनी सेवाएं जारी रखेंगे।

  • निजी स्कूल-कॉलेज और ऑनलाइन क्लासेस: सामान्य रूप से संचालित होंगे।

  • ऑनलाइन सेवाएं: ई-कॉमर्स, फूड डिलीवरी, मोबाइल एप्लिकेशन पर असर नहीं।

    क्या है हड़ताल की वजह?

  • ट्रेड यूनियनों का आरोप है कि केंद्र सरकार लगातार बड़े कॉरपोरेट घरानों के हित में नीतियां बना रही है, जबकि आम आदमी, कर्मचारी और किसान पीछे छूटते जा रहे हैं।
    उनके अनुसार:

    • लेबर लॉ में संशोधन के जरिए श्रमिकों के अधिकारों को कमजोर किया गया।

    • निजीकरण और कॉन्ट्रैक्ट आधारित भर्तियों से नौकरी की स्थिरता खत्म हो रही है।

    • न्यूनतम वेतन, पेंशन, EPF और सामाजिक सुरक्षा पर ध्यान नहीं दिया जा रहा।

    • 17 सूत्रीय मांगों का ज्ञापन सरकार को दिया गया था, लेकिन उस पर कोई ठोस कार्रवाई नहीं हुई।

      यूनियनों की प्रमुख मांगें:

    1. सभी कर्मचारियों के लिए न्यूनतम वेतन ₹26,000 किया जाए।

    2. पुरानी पेंशन योजना (OPS) को फिर से लागू किया जाए।

    3. सभी क्षेत्रों में स्थायी नियुक्तियां की जाएं।

    4. श्रमिकों के सामाजिक सुरक्षा अधिकार सुनिश्चित हों।

    5. श्रमिक संगठनों के अधिकारों को बहाल किया जाए।

    6. सार्वजनिक उपक्रमों का निजीकरण रोका जाए।

    7. किसानों की ऋण माफी और फसल का उचित मूल्य मिले।

    8. सार्वजनिक परिवहन की स्थिति जानकर ही यात्रा करें।

      जनता के लिए क्या सलाह?

      • आज बैंक से जुड़े काम टालें।

      • सार्वजनिक परिवहन की स्थिति जानकर ही यात्रा करें।

      • डाक सेवाओं और बीमा कार्यालयों से जुड़े कार्यों में देरी हो सकती है।

      • अस्पताल और मेडिकल सेवाएं सामान्य रहेंगी, लेकिन भीड़ अधिक हो सकती है।

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